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सरकार और प्रशासन पर हावी हैं माफिया, ग्वालियर में दो पहाड़ियों पर हुआ कब्जा

ग्वालियर में भू माफियाओं ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर पहाड़ी पर स्थित 53 बीघा जमीन अपने नाम करा ली. मामला संज्ञान में आने के बाद कलेक्टर ने अतिक्रमण हटाने के आदेश दिये हैं.

land grab in gwalior
ग्वालियर में जमीन पर कब्जा
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Published : Jan 29, 2022, 10:21 PM IST

ग्वालियर। भले ही मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान माफियाओं (mafia in gwalior) को जमीन में गाड़ने की बात कर रहे हों, लेकिन माफिया अभी भी सरकार और प्रशासन पर लगातार हावी नजर आ रहे हैं. इसका उदाहरण हाल ही में जिले में देखने को मिला. यहां माफिया लगातार सरकारी जमीनों को अपना निशाना बना रहे हैं. प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं रहती.

ग्वालियर में जमीन पर कब्जा

ग्वालियर में माफियाओं का दबदबा
ग्वालियर में भू-माफियाओं ने दो पहाड़ों को अपने नाम करा लिया. आनन-फानन में इसकी शिकायत गुमनाम व्यक्ति ने जब जिला प्रशासन से की, तो मामले का खुलासा (land fraud in gwalior) हुआ. मामला जब प्रकाश में आया तो जिला प्रशासन भी हरकत में आया. कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इससे संबंधित अधिकारियों से जब पूछताछ की तो माफियाओं की दबंगई सामने आई. कलेक्टर ने अब उन पहाड़ों को सरकारी घोषित कर दिया है.

मिलीभगत से 53 बीघा जमीन पर किया कब्जा
जिले में 53 बीघा सरकारी जमीन को कुछ लोगों ने राजस्व अमले के साथ मिलकर रिकॉर्ड में काट छांट कर अपने नाम करा लिया था. शिकायत के बाद जांच में यह मामला हेराफेरी का निकला. इसके बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह एसडीएम प्रदीप सिंह तोमर को जांच के लिए निर्देशित किया. उसके बाद तोमर ने इन 5 सर्वे नंबरों की 53 बीघा जमीन को सरकारी घोषित कर दिया.

15 करोड़ रुपये आंकी गई जमीन की कीमत
जमीन की कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये आंकी गई है. वर्तमान में इस जमीन पर फार्म हाउस सहित अन्य पक्के निर्माण हो गए हैं. जिला प्रशासन की नींद टूटने के बाद अब पहाड़ी से अतिक्रमण हटाने की प्लानिंग की जा रही है. वहीं कलेक्टर ने भी कहा कि जल्द ही अतिक्रमण हटाया जाए.

ग्रामीणों की शिकायत पर एक्टिव हुए अधिकारी
खेरिया और सिगोरा के ग्रामीणों की तरफ से राम सिंह और बाबूलाल ने जिला प्रशासन को लिखित में शिकायत की थी. इसमें कहा गया था कि करोड़ों रुपए की कीमत की जमीन पर कुछ लोग कब्जा कर उसे बेच रहे हैं. इसके बाद जिला प्रशासन ने प्रारंभिक जांच शुरू की और नायब तहसीलदार से रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी.

प्रशासन में मचा हड़ंकप
नायब तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मिसल बंदोबस्त के समय सर्वे नंबर 334 से 338 की करीब 53 बीघा जमीन पहाड़ के रूप में सरकार के नाम दर्ज थी. उसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. जांच करने के बाद उस पहाड़ की जमीन को अब सरकारी घोषित कर दिया है.

कलेक्टर ने सरकारी घोषित की जमीन
इस मामले को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने मौके पर पहुंचकर जांच की. वहां उन्होंने पहाड़ी पर आलीशान फार्म हाउस सहित अन्य पक्का निर्माणों को देखा. कलेक्टर का कहना है कि ग्वालियर में माफिया सरकारी जमीन पर नजर बनाए हुए हैं. यही वजह है कि लगातार प्रशासन के द्वारा ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है. उनके कब्जे से सरकारी जमीन को छुड़ाया जा रहा है.

बापू की पुण्यतिथि पर गोडसे-आप्टे रत्न सम्मान बांटेगी हिंदू महासभा, कालीचरण को करेगी सम्मानित

कलेक्टर ने कहा कि पिछले 6 महीने के अंदर लगभग ग्वालियर में 150 करोड़ रुपए की सरकारी जमीनों को माफियाओं से छुड़ाया गया है. अभी सूचना के अनुसार इस पहाड़ी की जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया है. अब कार्रवाई होना बाकी है. जल्द ही अतिक्रमण की कार्रवाई कर वहां से अतिक्रमण को हटाया जाएगा.

ग्वालियर। भले ही मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान माफियाओं (mafia in gwalior) को जमीन में गाड़ने की बात कर रहे हों, लेकिन माफिया अभी भी सरकार और प्रशासन पर लगातार हावी नजर आ रहे हैं. इसका उदाहरण हाल ही में जिले में देखने को मिला. यहां माफिया लगातार सरकारी जमीनों को अपना निशाना बना रहे हैं. प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं रहती.

ग्वालियर में जमीन पर कब्जा

ग्वालियर में माफियाओं का दबदबा
ग्वालियर में भू-माफियाओं ने दो पहाड़ों को अपने नाम करा लिया. आनन-फानन में इसकी शिकायत गुमनाम व्यक्ति ने जब जिला प्रशासन से की, तो मामले का खुलासा (land fraud in gwalior) हुआ. मामला जब प्रकाश में आया तो जिला प्रशासन भी हरकत में आया. कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इससे संबंधित अधिकारियों से जब पूछताछ की तो माफियाओं की दबंगई सामने आई. कलेक्टर ने अब उन पहाड़ों को सरकारी घोषित कर दिया है.

मिलीभगत से 53 बीघा जमीन पर किया कब्जा
जिले में 53 बीघा सरकारी जमीन को कुछ लोगों ने राजस्व अमले के साथ मिलकर रिकॉर्ड में काट छांट कर अपने नाम करा लिया था. शिकायत के बाद जांच में यह मामला हेराफेरी का निकला. इसके बाद कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह एसडीएम प्रदीप सिंह तोमर को जांच के लिए निर्देशित किया. उसके बाद तोमर ने इन 5 सर्वे नंबरों की 53 बीघा जमीन को सरकारी घोषित कर दिया.

15 करोड़ रुपये आंकी गई जमीन की कीमत
जमीन की कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये आंकी गई है. वर्तमान में इस जमीन पर फार्म हाउस सहित अन्य पक्के निर्माण हो गए हैं. जिला प्रशासन की नींद टूटने के बाद अब पहाड़ी से अतिक्रमण हटाने की प्लानिंग की जा रही है. वहीं कलेक्टर ने भी कहा कि जल्द ही अतिक्रमण हटाया जाए.

ग्रामीणों की शिकायत पर एक्टिव हुए अधिकारी
खेरिया और सिगोरा के ग्रामीणों की तरफ से राम सिंह और बाबूलाल ने जिला प्रशासन को लिखित में शिकायत की थी. इसमें कहा गया था कि करोड़ों रुपए की कीमत की जमीन पर कुछ लोग कब्जा कर उसे बेच रहे हैं. इसके बाद जिला प्रशासन ने प्रारंभिक जांच शुरू की और नायब तहसीलदार से रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी.

प्रशासन में मचा हड़ंकप
नायब तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मिसल बंदोबस्त के समय सर्वे नंबर 334 से 338 की करीब 53 बीघा जमीन पहाड़ के रूप में सरकार के नाम दर्ज थी. उसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. जांच करने के बाद उस पहाड़ की जमीन को अब सरकारी घोषित कर दिया है.

कलेक्टर ने सरकारी घोषित की जमीन
इस मामले को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने मौके पर पहुंचकर जांच की. वहां उन्होंने पहाड़ी पर आलीशान फार्म हाउस सहित अन्य पक्का निर्माणों को देखा. कलेक्टर का कहना है कि ग्वालियर में माफिया सरकारी जमीन पर नजर बनाए हुए हैं. यही वजह है कि लगातार प्रशासन के द्वारा ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है. उनके कब्जे से सरकारी जमीन को छुड़ाया जा रहा है.

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कलेक्टर ने कहा कि पिछले 6 महीने के अंदर लगभग ग्वालियर में 150 करोड़ रुपए की सरकारी जमीनों को माफियाओं से छुड़ाया गया है. अभी सूचना के अनुसार इस पहाड़ी की जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया है. अब कार्रवाई होना बाकी है. जल्द ही अतिक्रमण की कार्रवाई कर वहां से अतिक्रमण को हटाया जाएगा.

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