ग्वालियर। बेलगाम होती महंगाई ने निम्न मध्यमवर्गीय और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है. रिकॉर्ड स्तर पर चल रही महंगाई से मजदूर तबके के लोगों को दो वक्त का खाना भी मुश्किल से नसीब हो रहा है. सरसों का तेल 140 रुपये प्रति किलो का आंकड़ा छू लिया है, जबकि दालें भी 110 से लेकर 140 रुपये प्रति किलो भाव चल रही है.
बेटा ऑटो चलाने को मजबूर
पेट्रोलियम उत्पादों में पहले से ही वृद्धि हो चुकी है, जिसका असर रोजमर्रा के खाने पीने की चीजों के अलावा सभी वस्तुओं पर पड़ रहा है. रसोई गैस सिलेंडर के दाम भी 905 रुपये के पार हो गए हैं. विष्णु जाटव नामक मजदूर बड़ी मुश्किल से रोजाना 300 से 400 रुपये की मजदूरी कर पाते हैं. यदि महीने में 15 दिन भी काम मिला तो उनकी आमदनी अधिकतम 6000 की ही हो पाती है. ऐसे में 11 लोगों के परिवार के मुखिया को अपने कम उम्र के बेटे को ऑटो चलाने के लिए मजबूर करना पड़ा है.
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यहीं हाल राकेश केवट का है, वह भी मुश्किल से अपना घर चला पा रहे हैं, उनके परिवार में भी 6 सदस्य हैं, लेकिन कमाने वाले वह अकेले हैं. महंगाई की रिकॉर्ड वृद्धि ने आम लोगों को घुटनों पर ला दिया है, लेकिन किसी भी जिम्मेवार का ध्यान इस ओर नहीं है. लोग अब सरकार को कोसने से पीछे नहीं हट रहे हैं, तो कारोबारी भी महंगाई के कारण बेहद परेशान हैं. कारोबारियों का कहना है कि बाजार में सामान का उठाव तक नहीं बचा है, लोग अब जरूरत के हिसाब से ही सामान खरीद रहे हैं. बाजार में खरीददारों की कमी से कारोबारी भी हैरान और परेशान हैं.