ग्वालियर। कलेक्ट्रट के पास सिरौल पहाड़ी पर लगे राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला सामने आया है. तिरंगे को स्थापित करने का नियम है, कि उसे कभी भी अंधेरे में नहीं रखा जाएगा, लेकिन यहां लगे तिरंगे की देखरेख के लिए कोई नहीं है, जिसके कारण रात में तिरंगे के पास लाइट की कोई व्यवस्था नहीं. कलेक्ट्रट से महज एक किलोमीटर की दूरी पर होने के बाबजूद तिरंगे का अपमान प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है.
आपको बता दें कि इस पहाड़ी पर कलेक्टर अनुराग चौधरी कई बार वृक्षारोपण कर चुके हैं और जिला प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी और समाजसेवी यहां की मॉनिटरिंग करते हैं. इसके बावजूद किसी भी अधिकारी को दिन के उजाले में ये झंडा नहीं दिखाई दिया, रात में तो इसके दिखने का सवाल ही पैदा नहीं होता.
क्यों नहीं दिखता तिरंगा?'
इसके अलावा इस पहाड़ी को शासन ने ऑक्सीजन जोन घोषित करने की तैयारी कर ली है और यहां हर रोज कोई न कोई अधिकारी और नेतागण पौधारोपण करने आते रहते हैं. लेकिन किसी भी व्यक्ति को 15 अगस्त 2019 से लेकर आज तक ये ध्वज दिखाई नहीं दिया.
जब ईटीवी भारत ने यहां उपस्थित माली से बात की, तो उसने इस विषय पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. माली के मुताबिक इस तिरंगे झंडे को किसने लगाया कब लगाया उसे कुछ भी पता नहीं है.
कलेक्टर की सफाई
इस संबंध में कलेक्टर अनुराग चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज के विषय में गूगल सर्च की मदद लेकर पता किया जाएगा कि इस ध्वज को किसने और कब लगाया है. लगाने वाले के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन कलेक्टर और अधिकारियों के कई बार मौके पर जाने के बाद भी झंडा उन्हें नजर नहीं आया. इस सवाल का जवाब उन्होंने भी नहीं दिया.