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नरक चौदस पर यमराज के दर्शन से मिल जाती है पापों से मुक्ति! यहां है देश का इकलौता मंदिर - नरक चौदस

देश का एकमात्र यमराज का मंदिर ग्वालियर में है. जो करीब 300 साल पुराना है. जहां दिवाली के एक दिन पहले नरक चौदस के दिन यमराज के इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक किया जाता है.

Gwalior
यमराम मंदिर
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Published : Nov 13, 2020, 4:31 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 7:37 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित यमराज का मंदिर देश का एकमात्र यमराज का मंदिर है. जो करीब 300 साल पुराना है. जहां दीपावली के एक दिन पहले नरक चौदस के दिन यमराज के इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक किया जाता है. इस मौके पर हजारों श्रद्धालु यमराज के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. ग्वालियर के बीचों-बीच फूलबाग पर स्थित मारकंडेश्वर मंदिर में यमराज की प्रतिमा स्थित है. इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 300 साल पहले की थी.

देश का इकलौता यमराज का मंदिर

यमराज की पूजा-अर्चना के लिए क्या है मान्यता ?

यमराज भगवान शिव की तपस्या किए थे. इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि दिवाली से एक दिन पहले जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना और अभिषेक करेगा उसे सब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होगी, और स्वर्ग की प्राप्ति होगी. इसके बाद से ही नरक चौदस की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

आज के दिन यमराज की होती है विशेष पूजा
यमराज की पूजा अर्चना भी खास तरीके से की जाती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर तेल ,पंचामृत ,फूल ,माला, दूध दही चढ़ाया जाता है. इसके बाद दीपदान किया जाता है. इसमें चांदी के चौमुखी दीपक से यमराज की आरती उतारी जाती है. यमराज की पूजा करने के लिए देशभर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं. यमराज का मंदिर देश में अकेला होने के चलते पूरे देश के श्रद्धालु यहां नरक चौदस के दिन पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं.

कोरोना के असर से श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी
कोरोना संक्रमण होने के चलते इस बार भगवान यमराज के मंदिर में श्रद्धालु काफी कम संख्या में दिखाई दे रहे हैं. मंदिर ट्रस्ट की तरफ से अबकी बार भीड़ एकत्रित नहीं की जा रही है. साथ ही लोगों को भी ज्यादा संख्या में मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं किया जा रहा है. यही वजह है कि भगवान यमराज के दर्शन करने के लिए लोग बारी-बारी से मंदिर पहुंच रहे हैं.

यमराज के दर्शन से मिलती है पापों की मुक्ति !
कहा जाता है कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा करने से किए गए पापों से मुक्ति मिलती है. और ईश्वर की प्राप्ति भी होती है. यही वजह है कि नरक चौदस के दिन इस मंदिर में काफी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित यमराज का मंदिर देश का एकमात्र यमराज का मंदिर है. जो करीब 300 साल पुराना है. जहां दीपावली के एक दिन पहले नरक चौदस के दिन यमराज के इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक किया जाता है. इस मौके पर हजारों श्रद्धालु यमराज के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. ग्वालियर के बीचों-बीच फूलबाग पर स्थित मारकंडेश्वर मंदिर में यमराज की प्रतिमा स्थित है. इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 300 साल पहले की थी.

देश का इकलौता यमराज का मंदिर

यमराज की पूजा-अर्चना के लिए क्या है मान्यता ?

यमराज भगवान शिव की तपस्या किए थे. इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि दिवाली से एक दिन पहले जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना और अभिषेक करेगा उसे सब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होगी, और स्वर्ग की प्राप्ति होगी. इसके बाद से ही नरक चौदस की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.

आज के दिन यमराज की होती है विशेष पूजा
यमराज की पूजा अर्चना भी खास तरीके से की जाती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर तेल ,पंचामृत ,फूल ,माला, दूध दही चढ़ाया जाता है. इसके बाद दीपदान किया जाता है. इसमें चांदी के चौमुखी दीपक से यमराज की आरती उतारी जाती है. यमराज की पूजा करने के लिए देशभर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं. यमराज का मंदिर देश में अकेला होने के चलते पूरे देश के श्रद्धालु यहां नरक चौदस के दिन पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं.

कोरोना के असर से श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी
कोरोना संक्रमण होने के चलते इस बार भगवान यमराज के मंदिर में श्रद्धालु काफी कम संख्या में दिखाई दे रहे हैं. मंदिर ट्रस्ट की तरफ से अबकी बार भीड़ एकत्रित नहीं की जा रही है. साथ ही लोगों को भी ज्यादा संख्या में मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं किया जा रहा है. यही वजह है कि भगवान यमराज के दर्शन करने के लिए लोग बारी-बारी से मंदिर पहुंच रहे हैं.

यमराज के दर्शन से मिलती है पापों की मुक्ति !
कहा जाता है कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा करने से किए गए पापों से मुक्ति मिलती है. और ईश्वर की प्राप्ति भी होती है. यही वजह है कि नरक चौदस के दिन इस मंदिर में काफी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

Last Updated : Nov 13, 2020, 7:37 PM IST
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