ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक दलित नाबालिग के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि दलित उत्पीड़न और पास्को एक्ट के तहत दर्ज मामले अब सिर्फ पास्को एक्ट की विशेष अदालत में ही चलाए जा सकेंगे.
वही एट्रोसिटी एक्ट में दर्ज मामले में जमानत निरस्त करने का अधिकार भी कोर्ट को होगा. दरअसल भिंड के कोतवाली थाना क्षेत्र में एक दलित नाबालिग के यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था. इस मामले में आरोपी को एट्रोसिटी कोर्ट की तरफ से जमानत का लाभ दिया गया था. लेकिन आरोपी ने पीड़ित पक्ष को डराया धमकाया, जिससे पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट में आवेदन लगाकर आरोपी की जमानत को निरस्त करने के लिए आवेदन दिया. हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की.
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में तीन महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं.कोर्ट ने कहा है कि एट्रोसिटी एक्ट में एक बार जमानत मिलने के बाद न्यायालय को जमानत निरस्त करने का भी अधिकार होगा. वही एट्रोसिटी और पॉस्को एक्ट के तहत विचाराधीन मामले सिर्फ पास्को कोर्ट में ही चलाए जा सकेंगे.उसके लिए मुख्य न्यायाधीश से प्रदेश के सभी जिला एवं सत्र न्यायालय को निर्देश जारी करने की भी अपील की गई है. पास्को एक्ट कोर्ट के दिशा निर्देश एट्रोसिटी एक्ट के ऊपर प्रभावी होंगे. हालांकि भिंड के जिस मामले में यह सुनवाई की गई, उसमें आरोपी की जमानत निरस्त करने संबंधी आवेदन को न्यायालय ने खारिज कर दिया है.