ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ग्वालियर रेंज के आईजी राजा बाबू सिंह के उस आदेश पर प्रदेश के पुलिस मुखिया वीके सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया है, जिसमें उन्होंने एक चिटफंड कम्पनी के निदेशक और कर्मचारियों की गिरफ्तारी में हुई देरी के बाद पुलिसकर्मियों पर अर्थदंड अधिरोपित किया था. कोर्ट का मानना था कि ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या सिर्फ अर्थदंड लगाना ही काफी है या उनके खिलाफ विभागीय जांच होनी चाहिए.
हजीरा थाना क्षेत्र में रहने वाले गोकर्ण शर्मा ने 2015 में उम्मीद कॉर्पोरेशन चिटफंड कंपनी में दो लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था. चिटफंड कंपनी का दावा था कि कुछ ही समय में जमा की गई रकम दोगुनी हो जाएगी लेकिन बाद में यह चिटफंड कंपनी भाग गई. इसे लेकर गोकर्ण शर्मा ने पुलिस थाने में कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही थी. जिसके बाद गोकर्ण शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.
ग्वालियर हाईकोर्ट ने 4 नवंबर 2016 को पुलिस को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया. लेकिन कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं हुआ. कोर्ट ने अप्रैल 2019 में ग्वालियर एसपी को तलब किया. एसपी के तलब होते ही आनन-फानन में पुलिस ने कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट ने एसपी से आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी को लेकर सवाल किए तो एसपी ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईजी ग्वालियर रेंज ने अर्थदंड की कार्रवाई की है. जिसमें थाना प्रभारी पर पांच हजार का अर्थदंड लगाया और अन्य पुलिसकर्मियों पर एक-एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है.