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आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी पर एसपी हुए तलब, ग्वालियर हाईकोर्ट ने डीजीपी से मांगा स्पष्टीकरण - ग्वालियर में एसपी तलब

ग्वालियर हाईकोर्ट ने 4 नवंबर 2016 को पुलिस को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया. लेकिन कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं हुआ. कोर्ट ने अप्रैल 2019 में ग्वालियर एसपी को तलब किया.

आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी पर एसपी हुए तलब
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Published : Jul 29, 2019, 11:24 PM IST

ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ग्वालियर रेंज के आईजी राजा बाबू सिंह के उस आदेश पर प्रदेश के पुलिस मुखिया वीके सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया है, जिसमें उन्होंने एक चिटफंड कम्पनी के निदेशक और कर्मचारियों की गिरफ्तारी में हुई देरी के बाद पुलिसकर्मियों पर अर्थदंड अधिरोपित किया था. कोर्ट का मानना था कि ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या सिर्फ अर्थदंड लगाना ही काफी है या उनके खिलाफ विभागीय जांच होनी चाहिए.

आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी पर एसपी हुए तलब

हजीरा थाना क्षेत्र में रहने वाले गोकर्ण शर्मा ने 2015 में उम्मीद कॉर्पोरेशन चिटफंड कंपनी में दो लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था. चिटफंड कंपनी का दावा था कि कुछ ही समय में जमा की गई रकम दोगुनी हो जाएगी लेकिन बाद में यह चिटफंड कंपनी भाग गई. इसे लेकर गोकर्ण शर्मा ने पुलिस थाने में कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही थी. जिसके बाद गोकर्ण शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

ग्वालियर हाईकोर्ट ने 4 नवंबर 2016 को पुलिस को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया. लेकिन कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं हुआ. कोर्ट ने अप्रैल 2019 में ग्वालियर एसपी को तलब किया. एसपी के तलब होते ही आनन-फानन में पुलिस ने कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट ने एसपी से आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी को लेकर सवाल किए तो एसपी ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईजी ग्वालियर रेंज ने अर्थदंड की कार्रवाई की है. जिसमें थाना प्रभारी पर पांच हजार का अर्थदंड लगाया और अन्य पुलिसकर्मियों पर एक-एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है.

ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ग्वालियर रेंज के आईजी राजा बाबू सिंह के उस आदेश पर प्रदेश के पुलिस मुखिया वीके सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया है, जिसमें उन्होंने एक चिटफंड कम्पनी के निदेशक और कर्मचारियों की गिरफ्तारी में हुई देरी के बाद पुलिसकर्मियों पर अर्थदंड अधिरोपित किया था. कोर्ट का मानना था कि ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या सिर्फ अर्थदंड लगाना ही काफी है या उनके खिलाफ विभागीय जांच होनी चाहिए.

आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी पर एसपी हुए तलब

हजीरा थाना क्षेत्र में रहने वाले गोकर्ण शर्मा ने 2015 में उम्मीद कॉर्पोरेशन चिटफंड कंपनी में दो लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था. चिटफंड कंपनी का दावा था कि कुछ ही समय में जमा की गई रकम दोगुनी हो जाएगी लेकिन बाद में यह चिटफंड कंपनी भाग गई. इसे लेकर गोकर्ण शर्मा ने पुलिस थाने में कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही थी. जिसके बाद गोकर्ण शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.

ग्वालियर हाईकोर्ट ने 4 नवंबर 2016 को पुलिस को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया. लेकिन कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं हुआ. कोर्ट ने अप्रैल 2019 में ग्वालियर एसपी को तलब किया. एसपी के तलब होते ही आनन-फानन में पुलिस ने कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया. कोर्ट ने एसपी से आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी को लेकर सवाल किए तो एसपी ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईजी ग्वालियर रेंज ने अर्थदंड की कार्रवाई की है. जिसमें थाना प्रभारी पर पांच हजार का अर्थदंड लगाया और अन्य पुलिसकर्मियों पर एक-एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने ग्वालियर रेंज के आईजी राजा बाबू सिंह के उस आदेश पर प्रदेश के पुलिस मुखिया वीके सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया है जिसमें उन्होंने आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी पर पुलिसकर्मियों पर अर्थदंड अधिरोपित किया था कोर्ट ने पूछा कि यह सजा काफी है अथवा इसमें विभागीय जांच होनी चाहिए?


Body:दरअसल हजीरा थाना क्षेत्र में रहने वाले गोकर्ण शर्मा ने 2015 में उम्मीद कारपोरेशन चिटफंड कंपनी में दो लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट किया था चिटफंड कंपनी का दावा था कि कुछ ही समय में जमा की गई रकम दोगुनी हो जाएगी। लेकिन बाद में यह चिटफंड कंपनी भाग गई इसे लेकर गोकर्ण शर्मा ने पुलिस थाने में कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हो रही थी इसे लेकर गोकर्ण शर्मा ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने 4 नवंबर 2016 को पुलिस को 3 महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया। कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं हुआ तब कोर्ट ने इसी अप्रैल महीने में ग्वालियर एसपी को तलब किया एसपी के तलब होते ही आनन-फानन में पुलिस ने कंपनी के निदेशक और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया कोर्ट ने एसपी से आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी को लेकर सवाल किए तो एसपी ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईजी ग्वालियर रेंज ने अर्थदंड की कार्रवाई की है। जिसमें थाना प्रभारी पर ₹5000 का अर्थदंड लगाया है और अन्य पुलिसकर्मियों पर एक एक हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है।


Conclusion:एसपी ने कोर्ट में यह भी बताया कि दो सीएसपी को आईजी ने अप्रसन्नता की सजा भी दी है हाई कोर्ट आई जी की इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुआ कोर्ट का मानना था कि जब 3 साल में कोई कार्रवाई नहीं की गई, एसपी के तलब होते ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ क्या सिर्फ अर्थदंड लगाना ही काफी है या उनके खिलाफ विभागीय जांच होनी चाहिए। अब डीजीपी वीके सिंह को अपना जवाब हाई कोर्ट में पेश करना होगा।
बाइट नरोत्तम शर्मा याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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