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दशहरे पर शाही पोशाक में दिखे 'महाराज', परिवार के साथ सिंधिया ने लिया कुलदेवी का आशीर्वाद

विजयदशमी के अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के गोरखी स्थित देवघर में राजशाही पोशाक में अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की. इस दौरान सिंधिया पूरे वक्त मास्क पहने रहे, पूजा के बाद सिंधिया राजपरिवार के प्रतीक ध्वज और शस्त्रों का पूजन किये, साथ ही राजशाही गद्दी पर बैठे. उनके साथ महाआर्यमन भी शाही पोशाक में मौजूद रहे. पूजा के बाद सिंधिया अपनी कुल देवी के दर्शन करने मांढरे वाली माता के दरबार पहुंचे, जहां उन्होंने कुलदेवी का आशीर्वाद लिया.

Scindia royal family special worship of Shami tree on Dussehra
पूजा करते ज्योतिरादित्य सिंधिया
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Published : Oct 15, 2021, 1:43 PM IST

Updated : Oct 15, 2021, 6:11 PM IST

ग्वालियर। पूरे देश में आज दशहरा हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, यह त्यौहार सिंधिया परिवार के लिए भी बेहद खास माना जाता है. यही वजह है कि सिंधिया राजघराने का पूरा परिवार इस मौके पर जयविलास महल में रहता है और पूरे दिन पूजा-पाठ चलता है. दशहरे पर सिंधिया परिवार के लिए शमी के पेड़ की पूजा का खास महत्व है, सिंधिया परिवार वर्षों से इस परंपरा को निभाता आ रहा है. पूजा के दौरान सिंधिया राजपरिवार के साथ-साथ सिंधिया राजघराने के सरदार और उनसे जुड़े लोग शामिल होते हैं और सैकड़ों समर्थक भी मौजूद रहते हैं.

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दशहरे पर विशेष पूजा करता है राजपरिवार

सिंधिया परिवार पूरे दिन विशेष पूजा-पाठ में लगा रहता है, उनके साथ राज परिवार के सरदार सहित तमाम निजी लोग शामिल होते हैं, सबसे पहले महल में शस्त्रों की पूजा की जाती है, जिसमें परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनकी पत्नी और बच्चे शामिल हुए, ये पूजा-पाठ सिंधिया राजपरिवार के पुरोहित संपन्न कराते हैं. इसके बाद सिंधिया परिवार अपनी कुलदेवी मांढरे की माता पर पहुंचते हैं, जहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, सिंधिया परिवार की कुलदेवी मांढरे की माता महल के सामने ही है. कहा जाता है कि सिंधिया परिवार दूरबीन से रोजाना माता के दर्शन किया करता था.

पूजा करते ज्योतिरादित्य सिंधिया

शाम के समय शमी की होती है पूजा

शाम के वक्त मांढरे की माता मंदिर प्रांगण में लगे शमी के पेड़ की पूजा की जाती है, इस दौरान सिंधिया परिवार राजकीय पोशाक में वहां पहुंचता है, सिंधिया परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके पुत्र महाआर्यमन भी मौजूद रहते हैं, साथ ही पूजा-अर्चना के दौरान सिंधिया परिवार के सरदार और राजदरबार शामिल होते हैं, करीबी और राजनीतिक लोग भी मौजूद रहते हैं.

200 साल पुरानी है परंपरा

200 साल से सिंधिया परिवार शमी पेड़ की विशेष पूजा-अर्चना करता आ रहा है, यह पूजा राजवंश की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार और रीति-रिवाजों के अनुसार राजवंश के पुरोहितों द्वारा कराया जाता है, इसके बाद सिंधिया परिवार का प्रमुख तलवार से शमी पेड़ को छूता है, उसके बाद पूजा संपन्न होती है. जैसे ही सिंधिया तलवार से उस पेड़ को छूते हैं, वैसे ही वहां पर मौजूद लोग पेड़ से पत्तियों को लेने के लिए दौड़ते हैं, इस दौरान सुखमय जीवन और सुख समृद्धि की कामना की जाती है.

ग्वालियर। पूरे देश में आज दशहरा हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, यह त्यौहार सिंधिया परिवार के लिए भी बेहद खास माना जाता है. यही वजह है कि सिंधिया राजघराने का पूरा परिवार इस मौके पर जयविलास महल में रहता है और पूरे दिन पूजा-पाठ चलता है. दशहरे पर सिंधिया परिवार के लिए शमी के पेड़ की पूजा का खास महत्व है, सिंधिया परिवार वर्षों से इस परंपरा को निभाता आ रहा है. पूजा के दौरान सिंधिया राजपरिवार के साथ-साथ सिंधिया राजघराने के सरदार और उनसे जुड़े लोग शामिल होते हैं और सैकड़ों समर्थक भी मौजूद रहते हैं.

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दशहरे पर विशेष पूजा करता है राजपरिवार

सिंधिया परिवार पूरे दिन विशेष पूजा-पाठ में लगा रहता है, उनके साथ राज परिवार के सरदार सहित तमाम निजी लोग शामिल होते हैं, सबसे पहले महल में शस्त्रों की पूजा की जाती है, जिसमें परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित उनकी पत्नी और बच्चे शामिल हुए, ये पूजा-पाठ सिंधिया राजपरिवार के पुरोहित संपन्न कराते हैं. इसके बाद सिंधिया परिवार अपनी कुलदेवी मांढरे की माता पर पहुंचते हैं, जहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, सिंधिया परिवार की कुलदेवी मांढरे की माता महल के सामने ही है. कहा जाता है कि सिंधिया परिवार दूरबीन से रोजाना माता के दर्शन किया करता था.

पूजा करते ज्योतिरादित्य सिंधिया

शाम के समय शमी की होती है पूजा

शाम के वक्त मांढरे की माता मंदिर प्रांगण में लगे शमी के पेड़ की पूजा की जाती है, इस दौरान सिंधिया परिवार राजकीय पोशाक में वहां पहुंचता है, सिंधिया परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ उनके पुत्र महाआर्यमन भी मौजूद रहते हैं, साथ ही पूजा-अर्चना के दौरान सिंधिया परिवार के सरदार और राजदरबार शामिल होते हैं, करीबी और राजनीतिक लोग भी मौजूद रहते हैं.

200 साल पुरानी है परंपरा

200 साल से सिंधिया परिवार शमी पेड़ की विशेष पूजा-अर्चना करता आ रहा है, यह पूजा राजवंश की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार और रीति-रिवाजों के अनुसार राजवंश के पुरोहितों द्वारा कराया जाता है, इसके बाद सिंधिया परिवार का प्रमुख तलवार से शमी पेड़ को छूता है, उसके बाद पूजा संपन्न होती है. जैसे ही सिंधिया तलवार से उस पेड़ को छूते हैं, वैसे ही वहां पर मौजूद लोग पेड़ से पत्तियों को लेने के लिए दौड़ते हैं, इस दौरान सुखमय जीवन और सुख समृद्धि की कामना की जाती है.

Last Updated : Oct 15, 2021, 6:11 PM IST
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