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एससी- एसटी एक्ट के विरोध में सवर्ण समाज का मौन विरोध, सांकेतिक धरना देकर जताई नाराजगी

ग्वालियर में गांधी जयंती पर सवर्ण समाज के संगठन रक्षक मोर्चा ने एससी- एसटी एक्ट के खिलाफ सांकेतिक धरना देकर उपवास किया.

गांधी जयंती पर सवर्ण समाज हुआ मौन
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Published : Oct 2, 2019, 6:20 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर में गांधी जयंती के मौके पर सवर्ण समाज के संगठन रक्षक मोर्चा के द्वारा 3 घंटे का सांकेतिक धरना और उपवास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. एससी एसटी एक्ट के खिलाफ संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए केन्द्र सरकार जो काला कानून लेकर आई है. वह सामान्य वर्ग पर कुठाराघात है. इस तरह के कानून को वापस लिया जाए. इसके चलते कई सवर्णों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं.

गांधी जयंती पर सवर्ण समाज हुआ मौन

सवर्ण नेता अखिलेश पांडे ने कहा कि 2 अप्रैल के दंगे इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि, सवर्ण वर्गो पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरीके से देश में पिछले 70 सालों से आरक्षण चला आ रहा है, इससे कई प्रतिभावान लोगों की प्रतिभा दम तोड़ रही है.


उन्होंने कहा कि जब भारत सरकार अखंड भारत की बात करती है, तो फिर नगरों के लिए समानता का अधिकार क्यों नहीं. और सबसे बड़ी बात यह है, कि जब मौलिक अधिकारों में समानता के अधिकार का ही हनन होगा, तो फिर स्वर्णिम भारत का सपना कैसे संजोया जा सकता है ?

ग्वालियर। ग्वालियर में गांधी जयंती के मौके पर सवर्ण समाज के संगठन रक्षक मोर्चा के द्वारा 3 घंटे का सांकेतिक धरना और उपवास कार्यक्रम का आयोजन किया गया. एससी एसटी एक्ट के खिलाफ संगठन के कार्यकर्ताओं का कहना है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए केन्द्र सरकार जो काला कानून लेकर आई है. वह सामान्य वर्ग पर कुठाराघात है. इस तरह के कानून को वापस लिया जाए. इसके चलते कई सवर्णों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं.

गांधी जयंती पर सवर्ण समाज हुआ मौन

सवर्ण नेता अखिलेश पांडे ने कहा कि 2 अप्रैल के दंगे इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि, सवर्ण वर्गो पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरीके से देश में पिछले 70 सालों से आरक्षण चला आ रहा है, इससे कई प्रतिभावान लोगों की प्रतिभा दम तोड़ रही है.


उन्होंने कहा कि जब भारत सरकार अखंड भारत की बात करती है, तो फिर नगरों के लिए समानता का अधिकार क्यों नहीं. और सबसे बड़ी बात यह है, कि जब मौलिक अधिकारों में समानता के अधिकार का ही हनन होगा, तो फिर स्वर्णिम भारत का सपना कैसे संजोया जा सकता है ?

Intro:ग्वालियर- ग्वालियर में गांधी जयंती के मौके पर सवर्ण वर्ग के संगठन रक्षक मोर्चा द्वारा 3 घंटे का सांकेतिक धरना और उपवास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन स्थित गांधी प्रतिमा के नीचे बैठकर किया गया उपवास पर बैठे शरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस तरीके से देश का माहौल बनाने के लिए भारत के राजनीतिक दलों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए जो काला कानून लेकर आई है। वह सामान्य पर कुठाराघात है। इस तरह की कानून को वापस लिया जाए। इसके चलते कई सवर्ण वर्गो झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे है।


Body:2 अप्रैल के दंगे इस बात का जीता जागता उदाहरण है साथ ही उन्होंने कहा कि वह यह भी चाहती हैं कि जिस तरीके से देश में पिछले 70 सालों से आरक्षण चला आ रहा है इससे कई प्रतिभावान लोगों की प्रतिभा दम तोड़ रही है। जब भारत सरकार अखंड भारत की बात करती है तो फिर नगरों के लिए समानता का अधिकार क्यों नही। और सबसे बड़ी बात यह है कि जब मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार का ही हनन होगा तो फिर स्वर्णिम भारत का सपना कैसे संजोया जा सकता है।


Conclusion:बाइट - अखिलेश पांडे, सवर्ण नेता
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