ग्वालियर। एक व्यक्ति ने अपनी मां के देहांत के बाद उनकी त्रयोदशी ना करते हुए मूक बधिर बच्चों के गरीब और परेशान अभिभावकों को खाद्यान्न वितरित है. उनका मानना है कि त्रयोदशी की जगह गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को थोड़ी बहुत मदद करना कहीं ज्यादा बेहतर है. क्योंकि कोरोना वायरस कारण लॉक डाउन लगा हुआ है और गरीब एवं मजदूर तबका आर्थिक स्थिति से बेहद परेशान है.
इस वर्ग के लोगों को कुछ राहत देने से उनकी मां की आत्मा को शांति मिलेगी. ऐसा उन्हें विश्वास है. राकेश पांडे की मां का 10 मई को देहांत हो गया था. बुधवार को उनकी त्रयोदशी आयोजित की जा रही थी लेकिन उन्होंने ग्वालियर के आंग्रे बाजार स्थित मूक-बधिर संस्था में रह रहे बच्चों और उनके अभिभावकों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया है. मूक बधिर संस्था में पहले से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चे पढ़ते हैं उनकी संख्या लगभग 50 से करीब है. इन छात्रों को साइन लैंग्वेज के जरिए उन्हें पढ़ाई कराई जाती है.
इस काम में उनके नजदीकी रिश्तेदारों और डाइट से रिटायर्ड आरके दीक्षित ने विशेष प्रोत्साहन दिया है. इसके अलावा पूर्व डाइट प्रभारी रहे दीक्षित ने अपनी ओर से भी मूक बधिर संस्था के बच्चों को स्टेशनरी और राशन उपलब्ध कराया है. इसके बाद अब बच्चों को स्टेशनरी भी बाजार खुलने के साथ ही वितरित की जाएगी. जिसमें कॉपी पेन किताब सहित साइन लैंग्वेज की पुस्तकें और ड्राइंग बॉक्स शामिल होगा.