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रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस आज, 18 जून 1858 को अंग्रेजों से लड़ते हुए हुईं थीं शहीद - Rani Laxmibai sacrifice day today

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का आज बिलदान दिवास है. 18 जून 1858 को वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों की हुकूमत के सामने घूटने टेकने से मना कर दिया था और इस दिन अंग्रेजों का मुकाबला करते हुए शहीद हो गईं थीं.

रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि
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Published : Jun 18, 2019, 8:47 AM IST

Updated : Jun 18, 2019, 11:38 AM IST


ग्वालियर। 'बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी'...ये लाइन वीरांगना लक्ष्मीबाई की गाथा को बताती है. आज ही के दिन 18 जून 1858 को वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गईं थीं.

रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि

ग्वालियर के फूलबाग स्थित वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर हर साल 18 जून को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. जहां पर शहर के साथ-साथ देश के तमाम लोग इकट्ठा होते हैं. रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के आगे झुकने से मना कर दिया था और अपनी पूरी ताकत के साथ उनका मुकाबल किया.

रानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर उनकी वेशभूषा में तैयार छात्रा ने वीरांगना के बदिलान की याद दिलाई, ईटीवी भारत से खास बातचीत में मांत्रिता शर्मा ने वीरांगना लक्ष्मी बाई के बलिदान को याद करते हुए कविता पाठ कर श्रद्धांजलि दी.


ग्वालियर। 'बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी'...ये लाइन वीरांगना लक्ष्मीबाई की गाथा को बताती है. आज ही के दिन 18 जून 1858 को वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गईं थीं.

रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि

ग्वालियर के फूलबाग स्थित वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर हर साल 18 जून को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. जहां पर शहर के साथ-साथ देश के तमाम लोग इकट्ठा होते हैं. रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के आगे झुकने से मना कर दिया था और अपनी पूरी ताकत के साथ उनका मुकाबल किया.

रानी लक्ष्मी बाई की समाधि पर उनकी वेशभूषा में तैयार छात्रा ने वीरांगना के बदिलान की याद दिलाई, ईटीवी भारत से खास बातचीत में मांत्रिता शर्मा ने वीरांगना लक्ष्मी बाई के बलिदान को याद करते हुए कविता पाठ कर श्रद्धांजलि दी.

Intro:
ग्वालियर - आज के ही दिन मतलब 18 जून 1858 को बिरंगना रानीं लक्ष्मी बाई ग्वालियर किले पर अंग्रेजो लड़ते लड़ते शहीद हो गईं थी। ग्वालियर के फूलबाग स्थित वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल है वहां पर हर साल 18 जून को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। जहां पर शहर के साथ-साथ देश की तमाम लोग इकट्ठे होते हैं। आज मतलब 18 जून को वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई समाधि स्थल पर आयोजन हो रहा है। जहां पर पहुंची एक नन्ही बालिका ने सबकी निगाहें एक ही जगह टिका थी। नन्ही बालिका रानी लक्ष्मीबाई की वेशभूषा में समाधि स्थल पर आई थी। ऐसा लग रहा था जैसे रानी लक्ष्मी बाई अपनी बचपन के रूप को लेकर वापस लौट आई है।



Body:ईटीवी भारत ने खास बातचीत की तो ऐसा लग रहा था मानो यह बालिका अंग्रेजो के खिलाफ जोश से उतर पुतर हो रही है। नन्ही बालिका ने एक रानी लक्ष्मी बाई की वीरांगना को लेकर कविता भी सुनाई जो लोगों को काफी पसंद आई। नन्ही बालिका कविता सुनाते हुए पूरे देश भक्ति के जोश में थी। ऐसा लग रहा था जैसे की बालिका के सामने कोई भी अंग्रेज आकर खड़ा हो तो वह डटकर मुकाबला कर सकती है। रानी लक्ष्मीबाई के भेषभूसा में आई नन्ही का नाम मांत्रिक शर्मा है और कक्षा नर्सरी में पड़ती है लेकिन देश और रानी लक्ष्मी बाई के प्रति प्रेम और देशप्रेम को देखकर हर कोई अचंभित था


Conclusion:121 - मांत्रिक शर्मा के साथ
Last Updated : Jun 18, 2019, 11:38 AM IST
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