ग्वालियर। गरीबों को गंभीर बीमारियों का सस्ता इलाज मुहैया कराने के उद्देश्य से तीन साल पहले केंद्र सरकार ने एक परियोजना की शुरुआत की थी, जो अब दम तोड़ती नजर आ रही है. चिकित्सकों और सरकारी नुमाइंदों के सहयोग नहीं करने के कारण लोगों को जन औषधि केंद्र पर सस्ती दवाई नहीं मिल पा रही है. डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर और एंटीबायोटिक दवाइयों की पिछले दो माह से सप्लाई में गड़बड़ी देखी जा रही है.
केंद्र सरकार ने सस्ते दामों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जन औषधि केंद्र खोला था. ये जन औषधि केंद्र लोगों को सरकार से मिलने वाली दवाओं को बेहद कम दामों पर बेचते हैं, जिससे लोगों को 85 से 90 फीसदी तक फायदा होता है. गरीबों के लिए ये बेहतर योजना थी, जिससे वे कम दामों पर गंभीर बीमारियों का इलाज पा लेते थे. व्यवस्था में गड़बड़ी होने से लोग अधिक दामों पर दवाइयां खरीदने को मजबूर हैं.
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डायबिटीज की ग्लाइकोमेट, एम्लोडिपिन, एटिनॉल, लोसार्टन, क्लापिडोगरिल, एटोरवास्टेटिन, रेवीप्रोजोल जैसी बेहद जरूरी मांग वाली दवाओं की आपूर्ति नहीं की जा रही है. इसके बारे में कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं है.
इस मामले में जब अधिकारियों को ध्यान दिलाया गया तो उन्होंने कहा कि दवा की सप्लाई क्यों नहीं हो रही वह चेक करेंगे. बता दें लॉकडाउन में दवाई जैसी वस्तुओं का परिवहन प्रतिबंधित नहीं किया था, इसके बावजूद दवाओं की सप्लाई नहीं हो रही है.