ग्वालियर। पटेल नगर स्थित एक महिला डॉक्टर के क्लीनिक पर प्रसव पूर्व निदान तकनीक के तहत कार्रवाई को अंजाम देना प्रशासन के गले की फांस बन गया. शनिवार दोपहर से शुरू हुई प्रशासनिक कार्रवाई रात को महिला डॉक्टर की थाने से छोड़ने के बाद खत्म हुई.
इस बीच दिन भर शहर के डॉक्टरों का विश्वविद्यालय थाने पर जमावड़ा लगा रहा. उन्होंने प्रशासन की इस कार्रवाई को मनमाना करार दिया. डॉक्टरों ने कानूनी कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी है. जयारोग्य अस्पताल समूह की एसोसिएट प्रोफेसर व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रतिभा गर्ग निजी क्लीनिक भी चलाती हैं. जहां महिला एसडीएम दीपशिखा भगत उनके क्लीनिक पर मरीज बनकर पहुंची और 2 महीने की प्रेग्नेंसी बता कर गर्भपात के लिए बात की थी.
महिला एसडीएम ने कोई प्रूफ नहीं दिया, बल्कि ये दावा किया कि प्रतिभा गर्ग ने ऑपरेशन की हामी भर दी थी, लेकिन उन्होंने क्लीनिक से ही पुलिस को फोन कर उसे सील कर दिया. महिला डॉक्टर को उठाकर विश्वविद्यालय थाने में बैठा दिया था. इतना ही नहीं महिला डॉक्टर के पति का मोबाइल भी जब्त कर लिया गया. महिला डॉक्टर का आरोप है कि अधिकारी ने उनका मानसिक शोषण किया है. यहां तक कि उनके बच्चों और पति से भी बात नहीं करने दी गई.
मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर को प्रशासन द्वारा अवैध हिरासत में रखे जाने को लेकर शहर भर के डॉक्टर जिनमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही शामिल थे. उनके संगठन थाने पर जमा हो गए और पुलिस व प्रशासन के खिलाफ हंगामा करने लगे.
खास बात ये है कि प्रशासन 9 घंटे तक महिला डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सका. डॉक्टरों के बढ़ते दवाब और हड़ताल की चेतावनी के बाद आखिरकार प्रशासन ने महिला डॉक्टर को रिहा कर दिया. जांच में सहयोग करने के लिए उन्हें एक जुलाई को फिर तलब किया है. प्रशासन का कहना है कि इस मामले की जांच की जा रही है.