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एक हादसे में गंवाया हाथ, फिर भी पैरा एथलेटिक्स में देश को दिलाया गोल्ड

विश्व विकलांग दिवस के ही दिन एक हादसे में पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह ने अपना एक हाथ गवा दिया था पर उन्होंने हादसे के बाद हिम्मत नहीं हारी और पैरा एथलीट्स प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल कर लिए.

player who lost a hand in the accident gave the country gold in Para Athletics
अजीत के हैसले की उड़ान है
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Published : Dec 3, 2019, 10:05 PM IST

ग्वालियर। कहते हैं कि जब मन में कुछ करने का जज्बा होता है तो हर काम आसान हो जाता हैं. ग्वालियर के पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की कहानी भी हौसले की उड़ान से कम नहीं, उन्होंने विश्व विकलांगता के ही दिन 2017 में एक हादसे में अपना एक हाथ गंवा दिया था, लेकिन वो हार नहीं माने और पैरा एथलीट्स प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया और अब चीन में आयोजित वर्ल्ड ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं.

अजीत के हैसले की उड़ान

हादसे के बाद भी नहीं छोड़ा हौसला
अजीत सिंह साल 2017 विश्व विकलांग दिवश के दिन अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे, उसी समय उसके साथ एक रेल हादसा हो गया. जिसमें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा. साल भर के आराम के बाद पैरा ओलंपिक एथलीट में हिस्सा की बात अपने कॉलेज सीनियर्स से कही, पहले तो सभी को उनकी बात पर आश्चर्य हुआ, फिर सभी ने उनकी मदद करने की ठान ली और सुबह-शाम कड़ी मेहनत कर, देश के नाम गोल्ड लाने में कामयाब रहे.

पहला गोल्ड मई 2019 उन्होंने बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में और दूसरा ब्रॉन्ज मेडल दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में हासिल किया.

देश को किया गौरवान्वित
मई 2019 में चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में जैवलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल लाने की बात हो या फिर दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो गेम में ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने का. अजीत ने हमेशा से ही देश का नाम रौशन किया.अजीत प्रदेश से अकेले खिलाड़ी थे, जिन्होंने देश को पैरा एथलेटिक्स में गोल्ड और फिर ब्रॉन्ज दिलाया.

'परिस्थितियां कैसी भी हों, हार ना मानें'
अजीत सिंह की कहानी उन खिलाड़ियों और दिव्यांगों के लिए प्रेरणा है जो विषम परिस्थितियों से हार जाते हैं और हताश होकर घर बैठ जाते हैं. अजीत सिंह कहते है विषम परिस्थितियों में लोगों का शरीर हार जाए, लेकिन उसका मन कभी नहीं हारना चाहिए. हर परिस्थिति को पॉजिटिव लेना चाहिए. अजीत का मानना है कि परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करने से जीवन में हर चीजें आसान हो जाती हैं.

ग्वालियर। कहते हैं कि जब मन में कुछ करने का जज्बा होता है तो हर काम आसान हो जाता हैं. ग्वालियर के पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की कहानी भी हौसले की उड़ान से कम नहीं, उन्होंने विश्व विकलांगता के ही दिन 2017 में एक हादसे में अपना एक हाथ गंवा दिया था, लेकिन वो हार नहीं माने और पैरा एथलीट्स प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल किया और अब चीन में आयोजित वर्ल्ड ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं.

अजीत के हैसले की उड़ान

हादसे के बाद भी नहीं छोड़ा हौसला
अजीत सिंह साल 2017 विश्व विकलांग दिवश के दिन अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे, उसी समय उसके साथ एक रेल हादसा हो गया. जिसमें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा. साल भर के आराम के बाद पैरा ओलंपिक एथलीट में हिस्सा की बात अपने कॉलेज सीनियर्स से कही, पहले तो सभी को उनकी बात पर आश्चर्य हुआ, फिर सभी ने उनकी मदद करने की ठान ली और सुबह-शाम कड़ी मेहनत कर, देश के नाम गोल्ड लाने में कामयाब रहे.

पहला गोल्ड मई 2019 उन्होंने बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में और दूसरा ब्रॉन्ज मेडल दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में हासिल किया.

देश को किया गौरवान्वित
मई 2019 में चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में जैवलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल लाने की बात हो या फिर दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो गेम में ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने का. अजीत ने हमेशा से ही देश का नाम रौशन किया.अजीत प्रदेश से अकेले खिलाड़ी थे, जिन्होंने देश को पैरा एथलेटिक्स में गोल्ड और फिर ब्रॉन्ज दिलाया.

'परिस्थितियां कैसी भी हों, हार ना मानें'
अजीत सिंह की कहानी उन खिलाड़ियों और दिव्यांगों के लिए प्रेरणा है जो विषम परिस्थितियों से हार जाते हैं और हताश होकर घर बैठ जाते हैं. अजीत सिंह कहते है विषम परिस्थितियों में लोगों का शरीर हार जाए, लेकिन उसका मन कभी नहीं हारना चाहिए. हर परिस्थिति को पॉजिटिव लेना चाहिए. अजीत का मानना है कि परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करने से जीवन में हर चीजें आसान हो जाती हैं.

Intro:ग्वालियर- कहते हैं कि जब मन में कुछ करने का जज्बा होता है तो हर काम आसान हो जाते हैं। ऐसा ही कर दिखाया है ग्वालियर के जांबाज पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह ने..... लेकिन सबसे पहले हम अजीत सिंह की कहानी को हम आज से 2 साल पीछे ले जाते हैं....सन 2017 को विश्व विकलांगता दिवस के मौके पर पैरा एथलेटिक्स अजीत सिंह के साथ एक बड़ा हादसा हो गया था जिसमें उन्होंने अपना एक हाथ गंवा दिया था ।अजीत सिंह का शुरू से ही सपना था कि वह देश के लिए गोल्ड मेडल लाए। लेकिन इस हादसे के बाद अजीत सिंह का यह सपना उनको अधूरा लगने लगा.... लेकिन उन्होंने हादसे के बाद हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पैरा एथलीट्स प्रतियोगिता में दो गोल्ड मेडल हासिल कर लिए।


Body:दरअसल 2017 को जो अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे उसी समय उसके साथ एक रेल हादसा हो गया। जिसमें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा। एक साल तक वह रिकवरी करने के लिए घर पर आराम करते रहे और उनके दिमाग में बस यही बात थी कि आखिरकार एक हाथ से वह कैसे अपने देश के लिए होल्ड ला सकते हैं। उन्होंने कॉलेज आकर सीनियर से बात की और कहा कि वो पैरा ओलंपिक एथलीट में हिस्सा लेना चाहते हैं पहले तो सभी को उनकी बात पर आश्चर्य हुआ। फिर सभी ने उनकी मदद करने की ठान ली और खुद अजीत सिंह सुबह शाम 3 से 4 घंटे कड़ी मेहनत करके देश के नाम गोल्ड लाने में कामयाब रहे।पहला मई 2019 के शुरुआत में ही चीन के बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में जैवलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था। यह पहला मौका था जब वह मध्य प्रदेश के किसी खिलाड़ी ने पैरा एथलेटिक्स में गोल्ड जीता था। और दूसरा अभी हाल में ही दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो गेम में ब्रॉन्ज मेडल हासिल करने में सफलता हासिल की है। इस प्रतियोगिता में देश भर की 23 खिलाड़ीओ ने हिस्सा लिया था। जिसमें मध्य प्रदेश से एकलौते अजीत सिंह ने हिस्सा लिया था।


Conclusion:अजीत सिंह की कहानी उन लोगों और खिलाड़ियों के लिए है जो विषम परिस्थितियों से हार जाते हैं और वह हताश होकर घर बैठ जाते हैं। अजीत सिंह कहते है विषम परिस्थितियों में लोगों का शरीर हार जाए लेकिन उसका मन कभी नहीं हारना चाहिए। इस स्थिति में लोगों को हार नहीं मानी चाहिए और हर परिस्थिति को पॉजिटिव लेना चाहिए। उनका मानना है कि जिंदगी में किसी एक हाथ से से पूरी जिंदगी खत्म नहीं हो जाती है। उन परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करते हैं तो जीवन में हर चीजें आसान करती है। यही वजह है कि आज अजीत सिंह इस हादसे के बाद भी एक वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी है और वह देश का नाम रोशन कर रहा है। अजीत सिंह अब चीन में आयोजित वर्ल्ड ओलंपिक गेम्स में गोल्ड लाने की तैयारी कर रहा है।

बाईट - अजीत सिंह , पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी
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