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रोपवे के अपर टर्मिनल का स्थान बदला, निर्माण करने वाली कंपनी पहुंची हाईकोर्ट

ग्वालियर किला और फूल बाग परिसर को जोड़ने वाला रोपवे एक बार फिर नई अड़चन में फस गया है. टर्मिनल का स्थान निर्धारित करने को लेकर निर्माणकर्ता एजेंसी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है. पढ़िए पूरी खबर..

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Published : Jun 30, 2020, 7:12 PM IST

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निर्माणकर्ता एजेंसी पहुंची हाई कोर्ट

ग्वालियर। ग्वालियर का ड्रीम प्रोजेक्ट यानी ऐतिहासिक किले और फूल बाग परिसर को जोड़ने वाला रोपवे एक बार फिर नई अड़चन में फस गया है. अपर टर्मिनल स्थान परिवर्तन करने का जब से प्रशासन और नगर निगम ने फैसला किया है तब से रोपवे का निर्माण करने वाली कोलकाता की बालाजी दामोदरदास रोपवे सर्विस की मुश्किलें बढ़ गई हैं. निर्माणकर्ता एजेंसी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि किले पर बनने जा रहे अपर टर्मिनल का स्थान बदलने को उन्हें कहा गया है, जबकि उनका सर्वे लोअर टर्मिनल और अपर टर्मिनल पर पहले ही फैसला हो चुका है. उसी के आधार पर उन्होंने एनओसी ली थी. अब टर्मिनल का स्थान निर्धारित करने से उन्हें तमाम तरह की मंजूरी और अन्य समस्याओं को फेस करना होगा. जिससे काम में अनावश्यक रूप से विलंब होगा.

गौरतलब है कि साढे़ 12 करोड़ रुपए की यह योजना 12 साल पहले बनाई गई थी. नगर निगम की मंजूरी के बाद से ही अब तक इसमें कुछ ना कुछ रुकावत आती रही हैं. यही कारण है कि रोपवे का निर्माण आज तक पूरा नहीं हो पाया है. हाईकोर्ट ने निर्माणकर्ता एजेंसी की दलीलें सुनने के बाद नगर निगम प्रशासक यानी कि संभागीय आयुक्त, निगम कमिश्नर और मॉन्यूमेंट अथॉरिटी को नोटिस जारी किए हैं, क्योंकि अपर टर्मिनल बदलने के पीछे किले की जर्जर होती दीवारों को वजह बताया गया है.

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ग्वालियर किला

ग्वालियर। ग्वालियर का ड्रीम प्रोजेक्ट यानी ऐतिहासिक किले और फूल बाग परिसर को जोड़ने वाला रोपवे एक बार फिर नई अड़चन में फस गया है. अपर टर्मिनल स्थान परिवर्तन करने का जब से प्रशासन और नगर निगम ने फैसला किया है तब से रोपवे का निर्माण करने वाली कोलकाता की बालाजी दामोदरदास रोपवे सर्विस की मुश्किलें बढ़ गई हैं. निर्माणकर्ता एजेंसी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि किले पर बनने जा रहे अपर टर्मिनल का स्थान बदलने को उन्हें कहा गया है, जबकि उनका सर्वे लोअर टर्मिनल और अपर टर्मिनल पर पहले ही फैसला हो चुका है. उसी के आधार पर उन्होंने एनओसी ली थी. अब टर्मिनल का स्थान निर्धारित करने से उन्हें तमाम तरह की मंजूरी और अन्य समस्याओं को फेस करना होगा. जिससे काम में अनावश्यक रूप से विलंब होगा.

गौरतलब है कि साढे़ 12 करोड़ रुपए की यह योजना 12 साल पहले बनाई गई थी. नगर निगम की मंजूरी के बाद से ही अब तक इसमें कुछ ना कुछ रुकावत आती रही हैं. यही कारण है कि रोपवे का निर्माण आज तक पूरा नहीं हो पाया है. हाईकोर्ट ने निर्माणकर्ता एजेंसी की दलीलें सुनने के बाद नगर निगम प्रशासक यानी कि संभागीय आयुक्त, निगम कमिश्नर और मॉन्यूमेंट अथॉरिटी को नोटिस जारी किए हैं, क्योंकि अपर टर्मिनल बदलने के पीछे किले की जर्जर होती दीवारों को वजह बताया गया है.

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ग्वालियर किला
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