ग्वालियर। इस साल भारत देश अपना 72वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. 26 जनवरी 1950 को ही भारतीय संविधान को आत्मसात किया गया था. जिसके बाद भारत एक लोकतांत्रिक, संप्रभु और गणतंत्र देश कहलाया. यूं तो संविधान के बारे में हम सबने पढ़ा-सुना है. लेकिन कभी भी इसके मूल प्रति को नहीं देखा है. सात दशक पहले तैयार हुए संविधान की मूल प्रति आज भी मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में मौजूद है. शहर की शान में संविधान की मूल प्रति ने चार चांद लगाए हुए हैं, जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग शहर पहुंचते हैं.
1956 में ग्वालियर पहुंची थी मूल प्रति
संविधान की मूल प्रति 31 मार्च 1956 को ग्वालिरयर लाई गई थी, जो ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी में आज भी मौजूद है. इसी समय देश के अलग-अलग हिस्सों में संविधान की 16 प्रतियां भेजी गई थीं. मध्य प्रदेश में ग्वालियर इकलौता शहर है, जहां संविधान की मूल प्रति मौजूद है.
मूल प्रति में स्वर्णाक्षर हैं अंकित
संविधान की मूल प्रति अपने आप में बहुत खास है. संविधान के आवरण पृष्ठ (कवर पेज) पर स्वर्णाक्षर अंकित हैं. इसमें कुल 231 पेज हैं. इतना ही नहीं संविधान सभा के 284 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं. जिनमें राजेंद्र प्रसाद, बाब भीमराव अंबेडकर, फिरोज गांधी शामिल हैं.
पढ़ें- देश की शोभा बढ़ा रहा ग्वालियर में बना तिरंगा
इथोग्राफी पैटर्न में है प्रिजर्व
ग्वालियर सेंट्रल लाइब्रेरी के प्रबंधक विवेक सोनी ने बताया कि ये हमारे लिए बहुत ही गर्व की बात है कि संविधान की मूल प्रति यहां मौजूद है. इस मूल प्रति को इथोग्राफी पैटर्न में प्रिजर्व किया गया है. जिसके तहत एक हजार साल तक इसके पेज खराब नहीं होंगे. इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
प्रतीकात्मक विशेष चित्र हैं प्रकाशित
सेंट्रल लाइब्रेरी प्रबंधक विवेक सोनी ने बताया कि मूल प्रति में दर्ज हर अनुच्छेद की शुरुआत में प्रतीकात्मक एक विशेष चित्र प्रकाशित किया गया है. संविधान निर्माण के लिए 29 अगस्त 1947 को डक्टिंग का गठन हुआ था. जिसने करीब 2 साल बाद 26 नवंबर 1949 को पूर्ण रूप से संविधान तैयार किया. संविधान के निर्माण में कुल 284 सदस्यों का सहयोग रहा. संसदीय समिति ने 26 जनवरी 1950 को संविधान को लागू किया.
पढ़ें- 'प्रस्तावना' संविधान की आत्मा, हम भारत के लोग...
साल में तीन बार देख सकते हैं मूल प्रति
सेंट्रल लाइब्रेरी प्रबंधक विवेक सोनी ने बताया कि संविधान की मूल प्रति साल में तीन बार दिखाई जाती है. जिसमें संविधान दिवस, गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस शामिल हैं. अब सेंट्रल लाइब्रेरी में इसको दिखाने के लिए एक अलग से गैलरी बनाई जा रही है, जहां पहुंचकर लोग इसे आसानी से देख सकें.