ग्वालियर। आखिरकार शहर का ड्रीम प्रोजेक्ट रोप-वे निर्माण को लेकर ग्वालियर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर की नाराजगी सिंधिया पर भारी पड़ गई. प्रशासन द्वारा रोप-वे निर्माण को रोकने के आदेश को राज्य सरकार ने सांसद विवेक शेजवलकर के पत्र के बाद खारिज कर दिया है, साथ ही रोप-वे निर्माण को जल्द ही शुरू करने का आदेश दे दिया गया है. इस आदेश के बाद राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा गूंजने लगी है कि, ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी सांसद विवेक नारायण शेजवलकर के सामने नतमस्तक हो चुके हैं, क्योंकि माना ये जाता रहा कि, इस प्रोजेक्ट को सिंधिया ने पूरी तरह रोकने की कोशिश की, लेकिन विवेक नारायण शेजवलकर लगातार इसे चालू कराने में जुटे रहे. इसी का नतीजा रहा कि आज इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का आदेश जारी हो चुका है.
फूल बाग स्थित बारादरी के समीप से किले तक रोप-वे का निर्माण करना जनसंघ के जमाने से भाजपा का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है, लेकिन भाजपा आरोप लगाती रही कि, सिंधिया परिवार हमेशा से इसमें अड़ंगा लगवाता रहा है, सिंधिया परिवार नहीं चाहता कि रोप-वे बने, क्योंकि उसका एक स्टैंड किले पर सिंधिया स्कूल के समीप बनना है, जो सिंधिया स्कूल को नापसंद है. भाजपा लगातार चुनाव से लेकर सड़क तक यह मुद्दा उठाती रही है, लेकिन सियासत के चलते धूल चाट रहे भाजपा के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को अब एक बार फिर ऑक्सीजन मिली है.
करीब डेढ़ दशक पहले जब विवेक नारायण शेजवलकर पहली बार महापौर बने, तो उन्होंने इस प्रोजेक्ट को फिर से बनवाया था. उस वक्त मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बन चुकी थी. लिहाजा यहां से एनओसी दिलवाने के बाद इस प्रोजेक्ट को दिल्ली से एनओसी दिलाने की कोशिश शुरू की गई. दिल्ली में भी भाजपा सरकार बनी और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के ग्वालियर से सांसद बने, जिसके बाद रोप-वे की फाइल को आगे बढ़ा दिया गया.
कमलनाथ सरकार में अटक गया था मामला
इसके बाद इस प्रोजेक्ट का काम दिल्ली से पूरा होने के बाद बीजेपी ने सफलता पूर्वक भूमि पूजन किया. इसे भाजपा की जीत के रूप में प्रचारित भी किया गया. इस प्रोजेक्ट पर काफी काम भी हो गया था, लेकिन मध्यप्रदेश में जब कमलनाथ सरकार आई, तो ये काम पूरी तरीके से धीमा हो गया. इसके बाद भाजपा आरोप लगाती रही कि, सिंधिया के दबाव में सरकार यह सब कर रही है. हालांकि इस काम पर नगर निगम साढ़े चार करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा खर्च भी कर चुका है.
जब बीजेपी नेता रह गए थे सन्न
प्रदेश में सियासी उथल पुथल के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ सरकार गिरी और राज्य में एक बार फिर भाजपा की वापसी हुई और शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने. अफसरों की तैनाती होते ही एक आदेश से सांसद शेजवलकर सहित पूरी भाजपा तब सन्न रह गई. आदेश के मुताबिक प्रमुख अभियंता ने इसका निर्माण कर रही कंपनी से कहा कि, वो अपर टर्मिनल पर खुदाई का काम तत्काल रोक दें. इसके लिए एक दल भेजकर जांच कराई और उसकी रिपोर्ट को आधार बनाया गया, जिसमें कहा गया कि, अपर टर्मिनल के लिए खोदी जा रही नींव की वजह से किले की दीवार को नुकसान हो सकता है.
शेलवलकर ने अपनाया आक्रामक रुख
इसके बाद सांसद विवेक शेलवलकर ने इस मामले पर आक्रामक रुख अपनाने का निर्णय लिया. उसके बाद उन्होंने पत्र के जरिये इस मामले को संगठन और सत्ता से जुड़े नेताओं तक पहुंचाया. उस पत्र में बताया जा रहा था कि, सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को रोकने का आरोप लगाया था.
सरकार ने बदला फैसला
शेजवलकर के लगातार प्रयासों से सरकार को आखिरकार अपना फैसला बदलने को मजबूर होना पड़ा. नगरीय प्रशासन और विकास विभाग के प्रमुख अभियंता एलपी मालवीय ने नगर निगम आयुक्त को एक पत्र लिखकर आदेश दिया है कि, वे रोप-वे के निर्माण का कार्य शीघ्र शुरू करें. इस आदेश के बाद अब कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर सवाल खड़े करना शुरु कर दिया है.
कांग्रेस ने साधा निशाना
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि, ये एक शहर का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है, लेकिन सिंधिया ने अपने स्वार्थ के लिए और अपने सिंधिया स्कूल को बचाने के लिए लगातार इस प्रोजेक्ट को रोकते रहे, सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने भी इस काम को रोकने में कोई कोर कसर नही छोड़ी. बीजेपी सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने लगातार सरकार और संगठन से बातचीत करके इस प्रोजेक्ट को दोबारा से चालू करवाया.