ग्वालियर। इस समय पूरे देश में कोरोना को लेकर लॉकडाउन किया गया है. इस लॉकडाउन की वजह से सामाजिक स्तर पर कई बदलाव देखने को मिले हैं. जिसमें एक बदलाव शिक्षा पद्धति में भी आया है. इस लॉकडाउन के चलते अब बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन शुरू हो गई है. मतलब अब स्कूल संस्थान भी बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन शिक्षा का असर अब इन बच्चों पर बुरा प्रभाव डाल रहा है. बच्चों को अब मोबाइल की लत लग रही है. पढ़ाई के बहाने अब बच्चे अपने माता-पिता के मोबाइल को लेकर गेम खेल रहे हैं.
लॉकडाउन के चलते बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी नुकसान हुआ है. बच्चों के स्कूल ना जाने के चलते उनकी शिक्षा पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है. यही वजह है स्कूल संस्थानों ने बच्चों को घर बैठे ही सोशल साइट्स के जरिए या ऑनलाइन क्लासेस के जरिए शिक्षा देना शुरू कर दिया है, लेकिन अब ऑनलाइन शिक्षा का बुरा प्रभाव पड़ रहा है. बच्चे 3 से 4 घंटे तक अपनी आंखों के सामने ही मोबाइल को रख कर पढ़ाई कर रहे हैं, तो वहीं अब इस मोबाइल की लत पढ़ाई के अलावा अन्य दूसरी चीजें देखने में लग गई हैं. बच्चे पढ़ाई के बहाने अपने माता-पिता के मोबाइल को लेकर गेम खेल रहे हैं तो वहीं यूट्यूब पर कार्टून निकाल कर देख रहे हैं. ये लत धीरे-धीरे इतनी बढ़ने लगी है कि बच्चे अपने मोबाइल को आंखों के सामने रखे रहते हैं जिससे आंखों पर जोर पड़ता है.
इस ऑनलाइन पढ़ाई से माता-पिता को भी परेशानी होने लगी है, क्योंकि बच्चे पूरे दिनभर मोबाइल पर रहते हैं. जिससे उनकी आंखों और मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर देखने को मिल रहा है. वहीं स्कूली शिक्षा के जानकार और सामाजसेवी सुधीर सप्रा का कहना है कि असल में स्कूल प्रबंधन ऑनलाइन शिक्षा इसलिए दे रहा है, क्योंकि इन 3 महीनों की फीस उनको आसानी से मिल सके, लेकिन सही मायने में अगर कहा जाए तो जो नर्सरी से लेकर कक्षा 5 तक के जो बच्चे हैं उनको ऑनलाइन शिक्षा देने का कोई महत्व नहीं है. यह सिर्फ स्कूल प्रबंधकों की तरफ से फीस लेने का एक बड़ा फार्मूला है.