ग्वालियर। मध्य प्रदेश में चुनाव पंचायत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासत गरमा गई है. ओबीसी आरक्षण पर प्रदेश का पॉलिटिकल पारा भी चढ़ा था, कांग्रेस सहित ओबीसी संगठन है बीजेपी सरकार के खिलाफ तेजी से मुखर है तो वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान दिल्ली में ओबीसी आदेश को लेकर मॉडिफिकेशन याचिका दायर करने के लिए कानूनविधों से मुलाकात कर रहे हैं. इन सबके बीच ओबीसी महासभा इस मामले को लेकर खुलकर मैदान में आ गई है. वह कह रही हैं कि 2018 में "माई के लाल" वाला बयान बीजेपी सरकार को भारी पड़ा था, अब वही स्थिति ओबीसी वर्ग के साथ पैदा हो रही है. (mp obc reservation)
प्रदेश व्यापी आंदोलन का ऐलानः कांग्रेस और बीजेपी के ओबीसी आरक्षण को लेकर चल रही सियासी रस्साकशी पर ओबीसी संगठन लामबंद हो गए हैं.वह दोनों ही दलों की ओबीसी आरक्षण को लेकर मंशा पर सवालिया निशान खड़े कर रहे हैं. साथ ही प्रदर्शन कर रहे हैं कि ओबीसी महासभा बीजेपी पर सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर सही ढंग से पैरवी न करने के आरोप लगाते हुए अब खुद का वकील सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करने की बात कर रहे हैं. ओबीसी महासभा ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर प्रदेश व्यापी आंदोलन करने की तैयारी में जुट गई है. इसके साथ ही ग्वालियर में ओबीसी महासभा ने बड़ी बैठक बुलाई है. इस बैठक में एक गांव से लेकर राजधानी तक बड़ा विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी शुरू की जाएगी. (mp politics on obc reservation)
प्रदेश में गरमायी सियासतः सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से गरमा गया है. बीजेपी जहां इस मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में है और ओबीसी आरक्षण पर उल्टा कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर रही है. बीजेपी कांग्रेस पर ओबीसी वर्ग के साथ कुठारघात किए जाने के आरोप लगाते हुए खुद को ओबीसी वर्ग का हितैषी बताते हुए अपनी पीठ थपथपा रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी का दावा कर रही है कि किसी भी कीमत पर पिछड़े वर्ग को उसका हक और अधिकार दिलाने में शिवराज सरकार पीछे नहीं हटेगी. वहीं कांग्रेस ओबीसी आरक्षण पर बीजेपी सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश कर रही है. कांग्रेस ओबीसी आरक्षण को संवैधानिक व्यवस्था बताते हुए बीजेपी के खिलाफ मुखर है. कांग्रेस का आरोप है कि कमलनाथ सरकार दिया हुआ 27 फीसदी आरक्षण नहीं आया. मामले को कानूनी पचड़े में फंसे युवक को आरक्षण से बड़ी साजिश कर रही है.
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कुल मिलाकर प्रदेश में एक बार फिर ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी संग्राम सड़क से लेकर सियासी गलियारों में शुरू हो गया है. सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या ग्वालियर चंबल संभाग में 2018 के विधानसभा चुनावों में सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिया गया माई के लाल बयान की तरह ओबीसी के आरक्षण का मामला भी भाजपा के लिए खतरे की घंटी न बन जाए. साल 2018 में सीएम शिवराज सिंह के द्वारा माई के लाल के बयान के बाद ग्वालियर चंबल अंचल में सवाईभोज शिवराज सरकार के खिलाफ हो गया था. इसे का नतीजा यह निकला कि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल से बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा. अब भाजपा को डर है कि ओबीसी आरक्षण का मामला भी आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी पर भारी न पड़ जाए.