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नैरोगेज ट्रेन को ट्राम के रूप में किया जाएगा विकसित, ट्रैफिक दबाव कम करने में मिलेगी मदद

परिवहन विभाग पुरानी नैरोगेज ट्रेनों को ट्राम के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है, माना जा रहा है कि इसकी मदद से शहर के ट्रैफिक दबाव को कम करने में मदद मिलेगा.

Narrowage train will be developed as a tram in gwalior
ट्रैफिक का दबाव कम करने की पहल
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Published : Jan 22, 2020, 2:58 PM IST

ग्वालियर। शहर में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए अब परिवहन विभाग एक नए प्लान की शुरुआत करने जा रहा है. इसके लिए विभाग नैरोगेज के ट्रैक पर कोलकाता की तर्ज पर ट्राम चलाने का प्लान तैयार कर रहा है. परिवहन विभाग अभी रूट प्लान और मॉडल तैयार कर रहा है, जैसे ही ये प्लान तैयार हो जाएगा, उसे प्रशासन को सौंपा दिया जाएगा.

परिवहन अधिकारी एमपी सिंह का कहना है कि सिंधिया रियासत काल में यह नैरोगेज ट्रेन शहर के अंदर से होकर गुजरती थी, लेकिन आज के समय में ट्रेन मुख्य स्टेशनों से होते हुए बाहर से ही निकल जाती है, जबकि आज भी इसका ट्रेक मौजूद है. वही पुराने ट्रैक और नए ट्रैक का मिलान किया जा रहा है.

ट्रैफिक का दबाव कम करने की पहल

अधिकारी ने बताया कि, पुरानी ट्रेन के मौजूद डिब्बों में इलेक्ट्रिक इंजन लगाकर उन्हें आसानी से चलाया जा सकता है. परिवहन विभाग की ये पहल ग्वालियर को एक अलग पहचान देगी. साथ ही उनका कहना है कि, फिलहाल काम शुरू करने के लिए शहर में 11 किलोमीटर तक मौजूद ट्रेक का उपयोग किया जा सकता है. विभाग का मानना है कि, पूरे शहर को जोड़ते हुए पुराने ट्रैक के साथ नया ट्रैक फिर से विकसित किया जाता है, तो आने वाले दिनों में ट्रैफिक दबाव आसानी से कम हो सकता है.

ग्वालियर। शहर में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए अब परिवहन विभाग एक नए प्लान की शुरुआत करने जा रहा है. इसके लिए विभाग नैरोगेज के ट्रैक पर कोलकाता की तर्ज पर ट्राम चलाने का प्लान तैयार कर रहा है. परिवहन विभाग अभी रूट प्लान और मॉडल तैयार कर रहा है, जैसे ही ये प्लान तैयार हो जाएगा, उसे प्रशासन को सौंपा दिया जाएगा.

परिवहन अधिकारी एमपी सिंह का कहना है कि सिंधिया रियासत काल में यह नैरोगेज ट्रेन शहर के अंदर से होकर गुजरती थी, लेकिन आज के समय में ट्रेन मुख्य स्टेशनों से होते हुए बाहर से ही निकल जाती है, जबकि आज भी इसका ट्रेक मौजूद है. वही पुराने ट्रैक और नए ट्रैक का मिलान किया जा रहा है.

ट्रैफिक का दबाव कम करने की पहल

अधिकारी ने बताया कि, पुरानी ट्रेन के मौजूद डिब्बों में इलेक्ट्रिक इंजन लगाकर उन्हें आसानी से चलाया जा सकता है. परिवहन विभाग की ये पहल ग्वालियर को एक अलग पहचान देगी. साथ ही उनका कहना है कि, फिलहाल काम शुरू करने के लिए शहर में 11 किलोमीटर तक मौजूद ट्रेक का उपयोग किया जा सकता है. विभाग का मानना है कि, पूरे शहर को जोड़ते हुए पुराने ट्रैक के साथ नया ट्रैक फिर से विकसित किया जाता है, तो आने वाले दिनों में ट्रैफिक दबाव आसानी से कम हो सकता है.

Intro:ग्वालियर- शहर में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने के लिए अब परिवहन विभाग एक नई प्लान की शुरुआत करने जा रहा है। सिंधिया रियासत कालीन के समय चलने वाली ट्रेन नैरोगेज के ट्रैक पर कोलकाता की तर्ज पर ट्राम चलाने का प्लान तैयार कर रहा है। इसके लिए परिवहन विभाग रूट तैयार कर रहा है जहां सिंधिया रियासत के समय यह नैरोगेज ट्रेन शहर के अंदर चलती थी।


Body:शहर में काम चलाने का संचालन पीपीपी मॉडल पर करने का प्रस्ताव बन रहा है परिवहन विभाग अभी रूट प्लान तैयार कर रहा है। जब इसका प्लान तैयार हो जाएगा तब परिवहन विभाग के द्वारा यह प्रशासन को सौंपा जाएगा। परिवहन अधिकारी एमपी सिंह का कहना है कि इस रिपोर्ट में भी यही बताएंगे कि जिस शहर जिस तरह शहर का विस्तार हो रहा है और आने वाले सालों में नैरोगेज ट्रेन बंद हो जाएगी। जिसके वर्तमान ट्रैक और पुरानी रूट को फिर से विकसित कर शहर में ट्राम चलाकर सिटी ट्रांसपोर्ट कैसे बेहतर कर सकते हैं उस पर यह प्लान तैयार किया है। क्योंकि सिंधिया रियासत काल में यह नैरोगेज ट्रेन शहर के अंदर से होकर गुजरती थी जिसमें मुरार से गोला का मंदिर होते हुए भिंड जिले में जाती थी। लेकिन आज के समय में नैरोगेज ट्रेन मुख्य स्टेशन से घोसीपुरा,मोतीझील स्टेशन तक और उसके बाद श्योपुर जिले के लिए निकल जाती है। और बाकी शहर के अंदर नैरोगेज ट्रेन नहीं गुजर रही है। लेकिन आज भी इसका ट्रैक मौजूद है इसके लिए हम सिंधिया के तत्कालीन की मैप से मिलान कर रहे हैं कि इस नैरोगेज ट्रेन का ट्रैक शहर में कहां कहां मौजूद है। उसके बाद इन्हीं ऐतिहासिक नैरोगेज ट्रेन के डिब्बों में इलेक्ट्रिक इंजन लगाकर इसी तरह के साथ आसानी से चलाया जा सकता है जो एक ग्वालियर की अलग पहचान बनेगी। साथ ही उनका कहना है कि फिलहाल काम चलाने के लिए शहर में 11 किलोमीटर का निर्णय भी मौजूद है यदि पूरे शहर को जोड़ते हुए नया ट्रेक फिर से विकसित किया जाता है तो आने वाले दिनों में शहर का बढ़ता ट्रैफिक दबाव आसानी से कम हो सकता है।


Conclusion:बाइट - एमपी सिंह , परिवहन अधिकारी
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