ग्वालियर। शरीर से प्राणों को हरने वाले यमराज का मंदिर सुनने में अजीब जरूर लगता होगा, पर यह बात बिलकुल सही है. ग्वालियर में देश का एक मात्र यमराज का मंदिर है, जो लगभग 300 साल पुराना है. दीपावली के एक दिन पहले नरक चौदस को इस मंदिर पर यमराज की पूजा के साथ उनकी मूर्ति का अभिषेक किया जाता है. यह विशेष पूजा भी वर्ष में एक बार ही होती है. साथ ही यमराज से मन्नत मांगी जाती है, कि वह उन्हें अंतिम दौर में कष्ट न दें और अकाल मृत्यु से बचाएं. जिन लोगों को ज्योतिषी इस पूजा को करने की सलाह देते हैं, वे और देश भर से अनेक लोग हर वर्ष छोटी दीवाली पर ग्वालियर आकर यहां यमराज की पूजा करते हैं.
300 साल से हो रही यमराज की पूजा: ग्वालियर शहर के बीचों-बीच फूलबाग पर मार्कडेश्वर मंदिर में यमराज की प्रतिमा है. यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया राजवंश के राजाओं के समय लगभग 300 साल पहले करवाई थी. पीढी-दर-पीढ़ी इस मंदिर पर पूजा अर्चना करने का जिम्मा संभाल रहे भार्गव परिवार के डॉ मनोज भार्गव इस समय इस मंदिर की पूजा -अर्चना का जिम्मा संभल रहे हैं. उनका कहना है कि इस मंदिर की स्थापना एक त्र्यम्बक परिवार ने 310 वर्ष पहले करवाई थी. उनके कोई संतान नहीं थी वे यह मंदिर स्थापित करवाना चाहते थे तो उन्होंने तत्कालीन सिंधिया शासकों के यहां गुहार लगाई. सिंधिया महाराज ने उन्हें फूलबाग पर न केवल स्थान उपलब्ध करवाई बल्कि मंदिर की स्थापना और प्राण - प्रतिष्ठा में भी पूरा सहयोग किया.
चलिए यमराज के सबसे प्राचीन मंदिर में, मिल जाएगा स्वर्ग
देशभर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं पूजा करने: पुजारी मनोज भार्गव ने बताया कि यमराज की पूजा अर्चना भी खास तरीके से की जाती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर घी, तेल, पंचामृत, इतर, फूलमाला, दूध-दही, शहद आदि से यमराज का अभिषेक किया जाता है. इसके बाद दीपदान किया जाता है. यमराज की पूजा करने के लिए देशभर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं. यहां पूजा में भाग लेकर यमराज को रिझाने की कोशिश करते हैं. यमराज का ये मंदिर देश में सबसे प्राचीन अकेला होने के कारण पूरे देश की श्रृद्धा का केंद्र है.
चांदी के चौमुख दीपक से होती है पूजा: मंदिर की पूजा-अर्चना परम्परा से जुड़ीं शकुंतला शर्मा का कहना है कि अभिषेक और पूजा के बाद यमराज की आरती होती है. यह आरती परम्परागत चांदी के चौमुख दीपक से की जाती है. उसके बाद सब दीपदान करते हैं. यमराज की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने यमराज को बरदान दिया था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना और अभिषेक करेगा, उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होंगी. साथ ही उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी. तभी से नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.