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कचरे में आग लगा खुद की नाकामी 'खाक' कर रहा नगर निगम!

ग्वालियर में नगर निगम कचरे को नष्ट करने में नाकामयाब साबित हो रहा है. शहर से बाहर केदारपुर लैंडफिल साइट पर रिसाइकिल प्लांट बंद होने के कारण कचरों के बड़े-बड़े पहाड़ दिखाई दे रहे है.

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Published : Apr 13, 2021, 1:08 PM IST

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कचरा मैनेजमेंट में नाकाम नगर निगम

ग्वालियर। नगर निगम हर साल शहर को स्वच्छ दर्शाने में करोड़ रुपए पानी की तरह बहा रहा है, लेकिन हालात यह है कि न तो शहर स्वच्छ हो पाया है और न ही शहर से निकलने वाले कचरे को नष्ट करने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम किए गए. शहर में रोज 400 टन से अधिक कचरा निकलता है. उसके बाद इस कचरे को शहर से बाहर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद उस कचरे को रिसाइकल कर खाद में तब्दील किया जाता है, लेकिन इसकी जब पड़ताल की गई, तो कई खुलासे हुए. केदारपुर लैंडफिल साइट पर रिसाइकल प्लांट बंद होने के कारण कचरे के बड़े-बड़े पहाड़ दिखाई दे रहे है.

कचरों के दिखाई देने लगे बड़े-बड़े पहाड़

अब शहर का कचरा शिवपुरी लिंक रोड स्थित केदारपुर के पास लैंडफिल साइट पर डाला जा रहा है, लेकिन रिसाइिकल की प्रोसेसिंग यूनिट बंद होने से वहां कचरे का पहाड़ बनता जा रहा है. इको ग्रीन कंपनी के काम बंद करने के बाद अब नगर निगम के लिए कचरा उठाने के साथ ही निस्तारण का काम भी बड़ी परेशानी बन चुका है.

सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने की नहीं है कोई भी व्यवस्था
शहर में डोर टू डोर कचरे का कलेक्शन किया जाता है, जिसमें सूखा और गीला कचरा शामिल होता है. इको ग्रीन कंपनी के समय शहर के सूखे और गीली कचरे को अलग- अलग किया जाता था. उसके बाद लैंडफिल साइट पर कचरे को रिसाइकल खाद बनाने का काम किया जाता था. इको ग्रीन कंपनी से अनुबंध हटने के बाद अब हालात यह हैं कि सूखे और गीले कचरे को एक साथ उठाकर कचरे के ढेर में भेजा जा रहा है. निगम के पास अभी फिलहाल सूखे और गीले कचरे को अलग करने का कोई इंतजाम नहीं है.

कचरा मैनेजमेंट में नाकाम नगर निगम
लैंडफिल साइट बंद होने से लगातार बढ़ रहे खतरों के पहाड़लैंडफिल साइट पर खाद बनाने वाली प्लांट बंद होने से डंपिंग यार्ड पर कचरा का पहाड़ धीरे-धीरे बढ़ रहा है. आलम ये है कि आने वाले समय में कचरा डंप करने की जगह कम पड़ जाएगी. बता दें कि, केदारपुर डंपिंग यार्ड लगभग 5 से 7 बीघा में फैला हुआ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 20 से 25 फीट है.नाकामी छुपाने के लिए आग लगाकर कचरे के पहाड़ को किया जा रहा नष्टनगर निगम अपनी नाकामी छुपाने के लिए कचरे के पहाड़ में आग लगाकर उसे नष्ट करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि शहर से लगभग रोज 400 टन से अधिक कचरा निकलता है. उसके बाद उसे लैंडफिल साइट पर फेंका जाता है, लेकिन इस लैंडफिल साइट पर कचरे को निस्तारण करने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है. हालात यह हो चुके हैं कि डंपिंग यार्ड पर कचरे का सबसे बड़ा पहाड़ बनता जा रहा है.एक और डंपिंग यार्ड की आवश्यकताशहर की आबादी लगभग 20 लाख के आसपास है. इस आबादी से निकलने वाले कचरे को केदारपुर लैंडफिल साइट पर फैला दिया जाता है. साथ ही इसके लिए चार सेंटर भी बनाए गए है, जहां घरों से इन कचरों को इकट्ठा किया जाता है. उसके बाद चारों जगहों से कचरे को केदारपुर लैंडफिल साइट पर फेंका जाता है, लेकिन इसका निस्तारण न होने के कारण यहां कचरे का बड़ा पहाड़ बन गया है. इसलिए शहर के बाहर नए डंपिंग यार्ड की आवश्यकता है.

ग्वालियर। नगर निगम हर साल शहर को स्वच्छ दर्शाने में करोड़ रुपए पानी की तरह बहा रहा है, लेकिन हालात यह है कि न तो शहर स्वच्छ हो पाया है और न ही शहर से निकलने वाले कचरे को नष्ट करने के लिए कोई पुख्ता इंतजाम किए गए. शहर में रोज 400 टन से अधिक कचरा निकलता है. उसके बाद इस कचरे को शहर से बाहर डंपिंग यार्ड तक पहुंचाया जाता है. इसके बाद उस कचरे को रिसाइकल कर खाद में तब्दील किया जाता है, लेकिन इसकी जब पड़ताल की गई, तो कई खुलासे हुए. केदारपुर लैंडफिल साइट पर रिसाइकल प्लांट बंद होने के कारण कचरे के बड़े-बड़े पहाड़ दिखाई दे रहे है.

कचरों के दिखाई देने लगे बड़े-बड़े पहाड़

अब शहर का कचरा शिवपुरी लिंक रोड स्थित केदारपुर के पास लैंडफिल साइट पर डाला जा रहा है, लेकिन रिसाइिकल की प्रोसेसिंग यूनिट बंद होने से वहां कचरे का पहाड़ बनता जा रहा है. इको ग्रीन कंपनी के काम बंद करने के बाद अब नगर निगम के लिए कचरा उठाने के साथ ही निस्तारण का काम भी बड़ी परेशानी बन चुका है.

सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने की नहीं है कोई भी व्यवस्था
शहर में डोर टू डोर कचरे का कलेक्शन किया जाता है, जिसमें सूखा और गीला कचरा शामिल होता है. इको ग्रीन कंपनी के समय शहर के सूखे और गीली कचरे को अलग- अलग किया जाता था. उसके बाद लैंडफिल साइट पर कचरे को रिसाइकल खाद बनाने का काम किया जाता था. इको ग्रीन कंपनी से अनुबंध हटने के बाद अब हालात यह हैं कि सूखे और गीले कचरे को एक साथ उठाकर कचरे के ढेर में भेजा जा रहा है. निगम के पास अभी फिलहाल सूखे और गीले कचरे को अलग करने का कोई इंतजाम नहीं है.

कचरा मैनेजमेंट में नाकाम नगर निगम
लैंडफिल साइट बंद होने से लगातार बढ़ रहे खतरों के पहाड़लैंडफिल साइट पर खाद बनाने वाली प्लांट बंद होने से डंपिंग यार्ड पर कचरा का पहाड़ धीरे-धीरे बढ़ रहा है. आलम ये है कि आने वाले समय में कचरा डंप करने की जगह कम पड़ जाएगी. बता दें कि, केदारपुर डंपिंग यार्ड लगभग 5 से 7 बीघा में फैला हुआ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 20 से 25 फीट है.नाकामी छुपाने के लिए आग लगाकर कचरे के पहाड़ को किया जा रहा नष्टनगर निगम अपनी नाकामी छुपाने के लिए कचरे के पहाड़ में आग लगाकर उसे नष्ट करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि शहर से लगभग रोज 400 टन से अधिक कचरा निकलता है. उसके बाद उसे लैंडफिल साइट पर फेंका जाता है, लेकिन इस लैंडफिल साइट पर कचरे को निस्तारण करने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है. हालात यह हो चुके हैं कि डंपिंग यार्ड पर कचरे का सबसे बड़ा पहाड़ बनता जा रहा है.एक और डंपिंग यार्ड की आवश्यकताशहर की आबादी लगभग 20 लाख के आसपास है. इस आबादी से निकलने वाले कचरे को केदारपुर लैंडफिल साइट पर फैला दिया जाता है. साथ ही इसके लिए चार सेंटर भी बनाए गए है, जहां घरों से इन कचरों को इकट्ठा किया जाता है. उसके बाद चारों जगहों से कचरे को केदारपुर लैंडफिल साइट पर फेंका जाता है, लेकिन इसका निस्तारण न होने के कारण यहां कचरे का बड़ा पहाड़ बन गया है. इसलिए शहर के बाहर नए डंपिंग यार्ड की आवश्यकता है.
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