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लावारिस कोरोना मृतकों को सोरों में मिलेगी मुक्ति, हिंदू महासभा और नगर निगर अस्थि कलश लेकर रवाना

कोरोना संक्रमण से दिवंगत हुए लोगों की अस्थि संचय करने के लिए उनके परिजन नहीं पहुंचे. ऐसे में अब नगर निगम और अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने 108 अस्थि कलश को तीर्थ नगरी सोरों ले जाने का फैसला लिया है.

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Published : May 25, 2021, 2:36 PM IST

हिंदू महासभा और नगर निगम
हिंदू महासभा और नगर निगम

ग्वालियर। हिन्दू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अस्थि विसर्जन एक अनिवार्य क्रिया है, कोरोना काल में कई ऐसे लोग थे, जिनकी मौत के बाद उनके परिजन किन्ही कारणों से उनकी अस्थि संचय करने नहीं पहुंचे थे. ऐसे लोगों के 108 अस्थि कलश नगर निगम के पास एकत्रित हो गए, जिन्हें कोई लेने नहीं पहुंचा. नगर निगम ने सामाजिक संस्थाओं से इन अस्थि विसर्जन को लेकर मदद की बात कही. इसके बाद अखिल भारतीय हिंदू महासभा सामने आई और लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में रखे अस्थि कलश को तीर्थ नगरी सोरों ले जाने का फैसला लिया. आज हिंदू महासभा और नगर निगम के द्वारा मोक्ष यात्रा निकाली गई. जिसमें कोरोना से हुई मौतों के बाद संचय की गई अस्थियों के कलश रखे गए. जिन्हें सोरों घाट पर ले जाकर विधि विधान से विसर्जित किया जाएगा.

सोरों में विसर्जित होंगे अस्थि कलश
दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सांसद सहित अन्य लोग
कोरोना से दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मोक्ष रथ को कुछ देर तक ग्वालियर के महाराज बाड़े पर रखा गया, जहां सांसद सहित अन्य लोगों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए, जिसके बाद यह रथ सोरों के लिए रवाना किया गया. मोक्ष रथ में ऐसे 108 अस्थि कलश है, जिनकों लेने के लिए मृतक के परिजन नहीं आए. इसलिए इनको गंगा में विसर्जित करने के लिए हिंदू महासभा आज रवाना हो गई है.

कोरोना के डर से अस्थि लेने नहीं आए लोग

दरअसल, कोरोना संक्रमण की दूसरी लगर में करई परिवार पूरी तरह से उजड़ गये. इस लहर में कई तस्वीरें तो ऐसी आई जिसमें परिवार के लोगों ने मृतकों के शव को छूने से भी इंकार कर दिया. वहीं, अंतिम संस्कार होने के बाद कई परिवार ऐसे थे, जो अपनों के अस्थि कलश को लेने भी नहीं पहुंचे. यही वजह रही मुक्तिधाम में कोरोना से मरने वाले लोगों के अस्थि कलश इकट्ठे हो गये.

रोज एक दर्जन से अधिक हो रही है मौतें
भले ही ग्वालियर जिले में कोरोना संक्रमण की दर लगातार कम होती जा रही है, लेकिन मृतकों का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अभी भी जिले में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रोज 8 से 9 मौतें हो रही हैं, तो वहीं मुक्तिधाम के आंकड़ों की बात करें तो रोज 12 से 15 मौतें संक्रमण के कारण हो रही हैं.

ग्वालियर। हिन्दू धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अस्थि विसर्जन एक अनिवार्य क्रिया है, कोरोना काल में कई ऐसे लोग थे, जिनकी मौत के बाद उनके परिजन किन्ही कारणों से उनकी अस्थि संचय करने नहीं पहुंचे थे. ऐसे लोगों के 108 अस्थि कलश नगर निगम के पास एकत्रित हो गए, जिन्हें कोई लेने नहीं पहुंचा. नगर निगम ने सामाजिक संस्थाओं से इन अस्थि विसर्जन को लेकर मदद की बात कही. इसके बाद अखिल भारतीय हिंदू महासभा सामने आई और लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में रखे अस्थि कलश को तीर्थ नगरी सोरों ले जाने का फैसला लिया. आज हिंदू महासभा और नगर निगम के द्वारा मोक्ष यात्रा निकाली गई. जिसमें कोरोना से हुई मौतों के बाद संचय की गई अस्थियों के कलश रखे गए. जिन्हें सोरों घाट पर ले जाकर विधि विधान से विसर्जित किया जाएगा.

सोरों में विसर्जित होंगे अस्थि कलश
दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सांसद सहित अन्य लोग
कोरोना से दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मोक्ष रथ को कुछ देर तक ग्वालियर के महाराज बाड़े पर रखा गया, जहां सांसद सहित अन्य लोगों ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए, जिसके बाद यह रथ सोरों के लिए रवाना किया गया. मोक्ष रथ में ऐसे 108 अस्थि कलश है, जिनकों लेने के लिए मृतक के परिजन नहीं आए. इसलिए इनको गंगा में विसर्जित करने के लिए हिंदू महासभा आज रवाना हो गई है.

कोरोना के डर से अस्थि लेने नहीं आए लोग

दरअसल, कोरोना संक्रमण की दूसरी लगर में करई परिवार पूरी तरह से उजड़ गये. इस लहर में कई तस्वीरें तो ऐसी आई जिसमें परिवार के लोगों ने मृतकों के शव को छूने से भी इंकार कर दिया. वहीं, अंतिम संस्कार होने के बाद कई परिवार ऐसे थे, जो अपनों के अस्थि कलश को लेने भी नहीं पहुंचे. यही वजह रही मुक्तिधाम में कोरोना से मरने वाले लोगों के अस्थि कलश इकट्ठे हो गये.

रोज एक दर्जन से अधिक हो रही है मौतें
भले ही ग्वालियर जिले में कोरोना संक्रमण की दर लगातार कम होती जा रही है, लेकिन मृतकों का आंकड़ा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. अभी भी जिले में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, रोज 8 से 9 मौतें हो रही हैं, तो वहीं मुक्तिधाम के आंकड़ों की बात करें तो रोज 12 से 15 मौतें संक्रमण के कारण हो रही हैं.
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