ग्वालियर। नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर हाईकोर्ट ग्वालियर के आदेश को चैलेंज किया था. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज करते हुए नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक और नर्सिंग कॉलेजों की सीबीआई जांच के ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है. महू स्थित कॉलेज ने एसएलपी दायर कर परीक्षाओं पर लगी रोक हटाने और सीबीआई जांच के खिलाफ आवेदन किया था. इस पर ग्वालियर के अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि यह मामला बेहद गंभीर है.
मिलीभगत करके ली मान्यता : सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता ने बताया कि नर्सिंग कॉलेज संचालकों द्वारा हाल ही में पिछले तीन-चार सत्रों की मान्यता साठगांठ करके हासिल की गई है. वहीं सीबीआई ने अपनी जांच में 22 कॉलेजों की रिपोर्ट पेश की थी. ये सभी कॉलेज सरकारी थे. इनमें आधे नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया और मेडिकल यूनिवर्सिटी की औपचारिकता तक पूरी नहीं कर रहे हैं. ऐसे में निजी नर्सिंग कॉलेजों की स्थिति क्या होगी, इसे आसानी से समझा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता देखते हुए हाई कोर्ट ग्वालियर के आदेश को बरकरार रखा है और नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक एवं सीबीआई जांच को सही ठहराया है. इससे पहले कुछ नर्सिंग कॉलेजों के छात्र भी एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और अपनी परीक्षाओं पर लगी रोक को हटाने की मांग की थी. उस एसएलपी को ही सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
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एमपी के 364 कॉलेजों की जांच : बता दें कि प्रदेश में 364 कॉलेजों की सीबीआई जांच कर रही है, जिसे 27 जुलाई को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में पेश करना है. हैरानी की बात यह है कि कई नर्सिंग कॉलेज बिना बिल्डिंग प्लेग्राउंड प्रैक्टिकल लैब और टीचिंग स्टाफ के चल रहे हैं लेकिन ये नर्सिंग कॉलेज प्रभावशाली लोगों के हैं. इसलिए वे मेडिकल यूनिवर्सिटी और नर्सिंग काउंसिल से मान्यता हासिल करने में कामयाब हो रहे हैं. इसी को कोर्ट में चुनौती दी गई है. उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता दिलीप कुमार शर्मा की याचिका पर ग्वालियर हाईकोर्ट ने नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगाई है. साथ ही मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है.