ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में बनाए जा रहे शौचालयों के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत को संज्ञान में लिया है. हाई कोर्ट ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देशित किया है कि वे शौचालयों के निर्माण में अनियमितता की जांच करें. इसके लिए उन्हें 2 महीने का समय दिया गया है. हाई कोर्ट ने यह भी कहा गया है कि जो भी लोग शौचालय के नाम पर भ्रष्टाचार में दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.
- पूरे प्रदेश में हुआ है भ्रष्टाचार
दरअसल भिंड जिले की अटेर तहसील के ऐतहार गांव में रहने वाले ओम नारायण शर्मा ने अपनी पंचायत में शौचालयों के निर्माण में लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किए जाने संबंधी याचिका पिछले साल हाई कोर्ट में दायर की थी. याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में कहा कि भिंड में ही करोड़ों का भ्रष्टाचार शौचालयों के निर्माण को लेकर हुआ है. कई स्थानों पर भौतिक सत्यापन शौचालय भी निर्मित नहीं मिले हैं, जबकि उनका भुगतान ले लिया गया है. ऐसी स्थिति पूरे प्रदेश में है.
शौचालय निर्माण में हुआ जमकर भ्रष्टाचार, लोग खुले में जाने को मजबूर
- हाई कोर्ट पहले भी जारी कर चुका है नोटिस
इस याचिका को ध्यान में रखकर पूर्व में हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और भिंड प्रशासन को नोटिस जारी किए थे. अब कोर्ट ने कहा है कि पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव शौचालयों के निर्माण में भ्रष्टाचार की जांच करें. जो भी उनकी जांच में दोषी निकले उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. चाहे फिर वह अफसर हो या सरपंच या सचिव. जो भी दोषी होगा उनसे राशि की वसूली भी की जाए.