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हाईकोर्ट ने पति को सुसराल जाकर पत्नी और बच्चों के साथ रहने की दी सलाह, जानें पूरा मामला - ग्वालियर लेटेस्ट न्यूज

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक घर को टूटने से बचाने के लिए अनूठी पहल की है. न्यायालय ने पति को अपने ससुराल जाकर पत्नी और बच्चों के साथ रहने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट ने अपने स्तर पर परिवार को एक करने के मकसद से पति को एक महीने के लिए ससुराल में रहने की सलाह दी है.

Decision of Gwalior Bench of Madhya Pradesh High Court
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच का फैसला
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Published : Feb 27, 2022, 8:32 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक बार फिर टूटते हुए परिवार को दोबारा मिलाने की कोशिश की है. तीन दिन के भीतर यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें पति-पत्नी के बीच चल रहे अलगाव में याचिकाकर्ता को ससुराल जाकर रहने की सलाह दी गई है. इसके पीछे न्यायालय का मानना है कि बच्चों की वजह से ही सही, लेकिन पति-पत्नी फिर से साथ रहने के लिए एकमत हो जाते हैं तो यह बेहतर होगा.

पति पर प्रताड़ना के आरोप
दरअसल ग्वालियर की रहने वाली एक महिला ने प्रत्यक्षीकरण याचिका में अपने पति और अन्य ससुरालवालों पर प्रताड़ित करने और घर से बेदखल करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं, महिला ने कहा है कि उसके दो साल के बेटे को पति और सास ने अवैध निरोध में रखा हुआ है. महिला ग्वालियर के सेवा नगर इलाके में रहती है जबकि उसका ससुराल मुरैना में है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व में नोटिस जारी किए थे और दोनों पक्षों को सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए थे.

'ससुराल जाकर रहेगा पति'
न्यायालय में पति ने अपने ऊपर लगाए गए प्रताड़ना के आरोपों को खारिज किया उसने कहा कि पत्नी खुद ही ससुराल छोड़कर मायके रहने पहुंच गई है. वह अभी भी उसे साथ रखने के लिए तैयार है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट को लगा कि पति-पत्नी में उतनी खटास नहीं है कि उन्हें अलग किया जाए. हाईकोर्ट ने अपने स्तर पर दोनों को एक करने के मकसद से पति को एक महीने के लिए ससुराल में रहने की सलाह दी है. अब इस मामले की सुनवाई 22 मार्च को होगी. कोर्ट ने पति को एक महीने के लिए अपने बेटे के साथ ससुराल में रहने के निर्देश दिए हैं.

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परिवार टूटने से बचाना प्राथमिकता
हाईकोर्ट के आदेश का महिला के माता-पिता ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि वह दामाद का अच्छी तरह से ख्याल रखेंगे और उसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने देंगे. गौरतलब है कि इससे मिलता-जुलता एक मामला 23 फरवरी को भी सामने आया था, जिसमें एक महिला को एक सप्ताह के लिए अपनी ससुराल में रहने के निर्देश दिए गए थे. उस महिला ने भी अपने बच्चों की कस्टडी में लेने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

(MP High Court) (Gwalior Bench of High Court)

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक बार फिर टूटते हुए परिवार को दोबारा मिलाने की कोशिश की है. तीन दिन के भीतर यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें पति-पत्नी के बीच चल रहे अलगाव में याचिकाकर्ता को ससुराल जाकर रहने की सलाह दी गई है. इसके पीछे न्यायालय का मानना है कि बच्चों की वजह से ही सही, लेकिन पति-पत्नी फिर से साथ रहने के लिए एकमत हो जाते हैं तो यह बेहतर होगा.

पति पर प्रताड़ना के आरोप
दरअसल ग्वालियर की रहने वाली एक महिला ने प्रत्यक्षीकरण याचिका में अपने पति और अन्य ससुरालवालों पर प्रताड़ित करने और घर से बेदखल करने का आरोप लगाया है. इतना ही नहीं, महिला ने कहा है कि उसके दो साल के बेटे को पति और सास ने अवैध निरोध में रखा हुआ है. महिला ग्वालियर के सेवा नगर इलाके में रहती है जबकि उसका ससुराल मुरैना में है. हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पूर्व में नोटिस जारी किए थे और दोनों पक्षों को सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहने के निर्देश दिए थे.

'ससुराल जाकर रहेगा पति'
न्यायालय में पति ने अपने ऊपर लगाए गए प्रताड़ना के आरोपों को खारिज किया उसने कहा कि पत्नी खुद ही ससुराल छोड़कर मायके रहने पहुंच गई है. वह अभी भी उसे साथ रखने के लिए तैयार है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट को लगा कि पति-पत्नी में उतनी खटास नहीं है कि उन्हें अलग किया जाए. हाईकोर्ट ने अपने स्तर पर दोनों को एक करने के मकसद से पति को एक महीने के लिए ससुराल में रहने की सलाह दी है. अब इस मामले की सुनवाई 22 मार्च को होगी. कोर्ट ने पति को एक महीने के लिए अपने बेटे के साथ ससुराल में रहने के निर्देश दिए हैं.

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परिवार टूटने से बचाना प्राथमिकता
हाईकोर्ट के आदेश का महिला के माता-पिता ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि वह दामाद का अच्छी तरह से ख्याल रखेंगे और उसे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होने देंगे. गौरतलब है कि इससे मिलता-जुलता एक मामला 23 फरवरी को भी सामने आया था, जिसमें एक महिला को एक सप्ताह के लिए अपनी ससुराल में रहने के निर्देश दिए गए थे. उस महिला ने भी अपने बच्चों की कस्टडी में लेने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.

(MP High Court) (Gwalior Bench of High Court)

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