ETV Bharat / state

मध्यप्रदेश में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया में गड़बड़ी को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जा सकती है, हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior High Court) ने इस मामले में सुनवाई करते हुए स्टेट्स रिपोर्ट मांगा था, साथ ही सुप्रीम कोर्ट जाने का भी वक्त दिया था.

Gwalior High Court
ग्वालियर हाई कोर्ट
author img

By

Published : Sep 14, 2021, 10:54 AM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Elections) में आरक्षण (Reservation) को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने का फैसला किया है, ग्वालियर हाई कोर्ट (Gwalior High Court) में सुनवाई के दौरान सरकार ने चार सप्ताह का समय मांगा है. हाईकोर्ट (Gwalior High Court) ने 4 सप्ताह का समय देते हुए इस मामले का स्टेटस मांगा है. साथ ही प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए समय भी दिया है. अब देखना होगा कि प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को किस तरह रखती है.

डेंगू के डंक से डरा जबलपुर! मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलाने के लिए हाई कोर्ट में लगाई याचिका

नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Elections) में हाई कोर्ट की ग्वालियर (Gwalior High Court) खंडपीठ में अधिवक्ता मान वर्धन सिंह तोमर ने नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद में अध्यक्ष व अन्य तरह से आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती दी थी, जिसमें याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी अभिभाषक अभिषेक सिंह भदोरिया ने की थी, याचिका पर पहली सुनवाई 10 मार्च 2021 को हुई थी, इसके बाद प्रदेश सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए दो दिन का समय दिया गया था, हाईकोर्ट की युगल पीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि 10 सितंबर 2020 को जारी आरक्षण आदेश में रोटेशन पद्धति (Rotation Method) का पालन नहीं किया गया है, हाईकोर्ट ने एक अन्य प्रकरण में ऐसा मान्य किया है, इसके बाद आरक्षण रोटेशन पद्धति से ही लागू होना चाहिए. ऐसी स्थिति में आरक्षण को इस तरह तक कर दिया गया था.

इस मामले में हाई कोर्ट ने 2 मार्च को दो नगर निगम, नगर पालिका नगर पंचायत के आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाने के बाद मध्यप्रदेश शासन से जवाब मांगा था, हाई कोर्ट ने जवाब पेश करते हुए शासन की तरफ से कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 243 और नगर पालिका अधिनियम की धारा 29 में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के जो अध्यक्ष चुने जाते हैं, उनके पदों के आरक्षण का अधिकार शासन को दिया है, अनुसूचित जाति जनजाति के लिए जो पद आरक्षित किए जाते हैं, वह जनगणना के आधार पर तय किए जाते हैं, जनसंख्या के समान पाठ के आधार पर आरक्षण किया जाता है, ऐसा नहीं है कि एक पद आरक्षित हो गया, उसे दोबारा आरक्षित नहीं किया जा सकता. महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्ष के पद आरक्षित करने में कोई गलती नहीं की है, कानून का पालन करते हुए आरक्षण किया गया है, मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) की तरफ से पेश की गई दलील सुनने के बाद याचिकाकर्ता मान वर्धन सिंह पवार ने कहा है कि आरक्षण में रोस्टर का पालन नहीं किया गया था.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Elections) में आरक्षण (Reservation) को चुनौती देने वाली याचिका के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जाने का फैसला किया है, ग्वालियर हाई कोर्ट (Gwalior High Court) में सुनवाई के दौरान सरकार ने चार सप्ताह का समय मांगा है. हाईकोर्ट (Gwalior High Court) ने 4 सप्ताह का समय देते हुए इस मामले का स्टेटस मांगा है. साथ ही प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए समय भी दिया है. अब देखना होगा कि प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को किस तरह रखती है.

डेंगू के डंक से डरा जबलपुर! मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलाने के लिए हाई कोर्ट में लगाई याचिका

नगरीय निकाय चुनाव (Urban Body Elections) में हाई कोर्ट की ग्वालियर (Gwalior High Court) खंडपीठ में अधिवक्ता मान वर्धन सिंह तोमर ने नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद में अध्यक्ष व अन्य तरह से आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती दी थी, जिसमें याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी अभिभाषक अभिषेक सिंह भदोरिया ने की थी, याचिका पर पहली सुनवाई 10 मार्च 2021 को हुई थी, इसके बाद प्रदेश सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए दो दिन का समय दिया गया था, हाईकोर्ट की युगल पीठ ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कहा था कि ऐसा प्रतीत होता है कि 10 सितंबर 2020 को जारी आरक्षण आदेश में रोटेशन पद्धति (Rotation Method) का पालन नहीं किया गया है, हाईकोर्ट ने एक अन्य प्रकरण में ऐसा मान्य किया है, इसके बाद आरक्षण रोटेशन पद्धति से ही लागू होना चाहिए. ऐसी स्थिति में आरक्षण को इस तरह तक कर दिया गया था.

इस मामले में हाई कोर्ट ने 2 मार्च को दो नगर निगम, नगर पालिका नगर पंचायत के आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाने के बाद मध्यप्रदेश शासन से जवाब मांगा था, हाई कोर्ट ने जवाब पेश करते हुए शासन की तरफ से कहा गया था कि संविधान के अनुच्छेद 243 और नगर पालिका अधिनियम की धारा 29 में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के जो अध्यक्ष चुने जाते हैं, उनके पदों के आरक्षण का अधिकार शासन को दिया है, अनुसूचित जाति जनजाति के लिए जो पद आरक्षित किए जाते हैं, वह जनगणना के आधार पर तय किए जाते हैं, जनसंख्या के समान पाठ के आधार पर आरक्षण किया जाता है, ऐसा नहीं है कि एक पद आरक्षित हो गया, उसे दोबारा आरक्षित नहीं किया जा सकता. महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष व नगर पंचायत अध्यक्ष के पद आरक्षित करने में कोई गलती नहीं की है, कानून का पालन करते हुए आरक्षण किया गया है, मध्यप्रदेश सरकार (MP Government) की तरफ से पेश की गई दलील सुनने के बाद याचिकाकर्ता मान वर्धन सिंह पवार ने कहा है कि आरक्षण में रोस्टर का पालन नहीं किया गया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.