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अब नहीं होना पड़ेगा परेशान, MP के इस जिले में होगा ब्रेन ट्यूमर का इलाज, जानें खासियत - ग्वालियर गजराराज मेडिकल कॉलेज

मध्यप्रदेश के लोगों के लिए एक अच्छी खबर है. अब ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए प्रदेशवासियों को दूसरे राज्य के चक्कर नहीं काटना पड़ेंगे. ग्वालियर के राजा मेडिकल कॉलेज के जयारोग्य अस्पताल में एमपी की पहली स्टीरियोटैक्टिक मशीन आ गई है. जानिए कैसे होगा इलाज

MP first machine treatment of brain tumor
ब्रेन ट्यूमर का होगा इलाज
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Published : Apr 4, 2023, 7:33 PM IST

ब्रेन ट्यूमर का होगा इलाज

ग्वालियर। भारत में हर साल 28 हजार से ज्यादा मामले ब्रेन ट्यूमर के सामने आ रहे हैं. जो ब्रेन ट्यूमर से मौत का 10वां सबसे बड़ा कारण है. वहीं मध्य प्रदेश में अब इसका सफल इलाज संभव है. प्रदेश में पहली बार ग्वालियर के गजराराज मेडिकल कॉलेज (GRMC) के जयारोग्य अस्पताल में स्टीरियोटैक्टिक मशीन स्थापित की गई है. जिससे मरीजों की बायोप्सी-सर्जरी के साथ साथ मेडिकल के छात्रों को भी लाभ मिलेगा.

ऐसे निकालेंगे ट्यूमर: ग्वालियर संभाग के सबसे बड़े सरकारी जयारोग्य अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक मशीनों को स्थापित किया गया. स्टीरियोटैक्टिक मशीन स्थापित होने के बाद जयारोग्य प्रदेश का पहला अस्पताल बन गया है. जहां ब्रेन ट्यूमर का स्टीरियोटैक्टिक मशीन के जरिए ट्यूमर तक पहुंचने के लिए दिमाग की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई और ट्यूमर तक पहुंचने के लिए कौन-सा रास्ता ठीक व नजदीक होगा. यह पता चल सकेगा. इसके आधार पर डॉक्टर एक सेंटीमीटर का छेदकर वहां से छोटा ट्यूमर निकाल सकते हैं.

अस्पताल से जल्द डिस्चार्ज होंगे मरीज: अत्याधुनिक स्टीरियोटैक्टिक मशीन के बारे में जानकारी देते हुए हुए न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ अविनाश शर्मा का कहना है कि सिर की हड्डी या दिमाग में किसी भी तरह की गांठ को ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. स्टीरियोटैक्टिक यह एक फ्रेम होता है, जिसे मरीज के सिर पर लगाया जाता है, जो लैपटाप पर दिमाग के अंदर का चित्र बनाकर देता है. सर्जरी के दौरान मरीज का सिर न खोलकर एक छोटा छेद किया जाता है. जिससे ब्लीडिंग नहीं होती और मरीज को लंबे समय के लिए बेहोश नहीं करना पड़ता. जिससे मरीज को जल्द अस्पताल से डिस्चार्ज होने में मदद मिलती है.

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10 बेड का नया वार्ड तैयार: इसके अलावा सिर के अंदर से छोटा ट्यूमर व पस भी निकाला जा सकता है. स्टीरियोटैक्टिक बायोप्सी एक शल्य प्रक्रिया है. जहां एक सूक्ष्मदर्शी के नीचे जांच करने के लिए ऊतक के एक छोटे टुकड़े को निकालने के लिए एक न्यूरोसर्जन द्वारा मस्तिष्क में एक पतली सुई डालकर निकाल लेता है. गौरतलब है कि न्यूरो सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक मशीनों से सुसज्जित पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में उन मरीजों को रखकर इलाज दिया जाएगा, जिनका ऑपरेशन होता है. उसके लिए 10 बेड का नया वार्ड तैयार किया गया है. साथ ही पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड में नए बेड डाले गए. अस्पताल प्रबंधन का प्रयास है मरीज को दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन के लिए नहीं जाना पड़े और उनका सरकारी अस्पताल में सफल इलाज हो सके. वहीं GRMC के डीन डॉ अक्षय निगम का कहना है कि 50 लाख और 40 लाख रुपए कीमत की अत्याधुनिक स्टीरियोटैक्टिक, एक अन्य दो मशीनें न्यूरो सर्जरी विभाग में स्थापित की गई हैं. जिससे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को लाभ होगा. वहीं मरीज की सफल सर्जरी करने के बाद उसे जल्दी डिस्चार्ज किया जा सकेगा.

ब्रेन ट्यूमर का होगा इलाज

ग्वालियर। भारत में हर साल 28 हजार से ज्यादा मामले ब्रेन ट्यूमर के सामने आ रहे हैं. जो ब्रेन ट्यूमर से मौत का 10वां सबसे बड़ा कारण है. वहीं मध्य प्रदेश में अब इसका सफल इलाज संभव है. प्रदेश में पहली बार ग्वालियर के गजराराज मेडिकल कॉलेज (GRMC) के जयारोग्य अस्पताल में स्टीरियोटैक्टिक मशीन स्थापित की गई है. जिससे मरीजों की बायोप्सी-सर्जरी के साथ साथ मेडिकल के छात्रों को भी लाभ मिलेगा.

ऐसे निकालेंगे ट्यूमर: ग्वालियर संभाग के सबसे बड़े सरकारी जयारोग्य अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभाग में अत्याधुनिक मशीनों को स्थापित किया गया. स्टीरियोटैक्टिक मशीन स्थापित होने के बाद जयारोग्य प्रदेश का पहला अस्पताल बन गया है. जहां ब्रेन ट्यूमर का स्टीरियोटैक्टिक मशीन के जरिए ट्यूमर तक पहुंचने के लिए दिमाग की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई और ट्यूमर तक पहुंचने के लिए कौन-सा रास्ता ठीक व नजदीक होगा. यह पता चल सकेगा. इसके आधार पर डॉक्टर एक सेंटीमीटर का छेदकर वहां से छोटा ट्यूमर निकाल सकते हैं.

अस्पताल से जल्द डिस्चार्ज होंगे मरीज: अत्याधुनिक स्टीरियोटैक्टिक मशीन के बारे में जानकारी देते हुए हुए न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ अविनाश शर्मा का कहना है कि सिर की हड्डी या दिमाग में किसी भी तरह की गांठ को ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. स्टीरियोटैक्टिक यह एक फ्रेम होता है, जिसे मरीज के सिर पर लगाया जाता है, जो लैपटाप पर दिमाग के अंदर का चित्र बनाकर देता है. सर्जरी के दौरान मरीज का सिर न खोलकर एक छोटा छेद किया जाता है. जिससे ब्लीडिंग नहीं होती और मरीज को लंबे समय के लिए बेहोश नहीं करना पड़ता. जिससे मरीज को जल्द अस्पताल से डिस्चार्ज होने में मदद मिलती है.

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