ग्वालियर। मध्य प्रदेश में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, बीजेपी आलाकमान के चौंकाने वाले निर्णयों से पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है. ग्वालियर चम्बल के दिग्गज राष्ट्रीय भाजपा नेता केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से टिकट देकर चौंकाने के बाद अब एक और चौंकाने वाली खबर सिंधिया परिवार से आई. खेलमंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर कर सबको चौंका दिया.
आराम करना चाहती यशोधरा राजे सिंधिया: यह जानकारी खुद यशोधरा राजे ने ही मीडिया के जरिये उजागर की है, उनके हवाले से एक अखबार में छपा है कि उन्होंने केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व से मिलकर अपनी इच्छा बता दी है कि वे एमपी विधानसभा चुनाव 2023 नहीं लड़ना चाहती. वे अपने समर्थकों से भी बात कर चुकीं हैं, उनका कहना है कि उन्हें जीतने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य के साथ न देने के कारण वे लगातार दौरे करने की स्थिति में नही हैं. यशोधरा ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि "मैं चार बार कोविड की चपेट में आ चुकी हूं, अधिक शारीरिक परिश्रम करने की स्थिति में नही हैं. चुनावो में ज्यादा भागदौड़ के चलते मुझे दिक्कत बढ़ सकती है, इसलिए मैं 5- 6 माह आराम चाहती हूं,"
बढ़ सकती हैं भाजपा की दिक्कतें: यशोधरा के हवाले से कहा गया है कि पार्टी नेतृत्व ने उनसे पुनर्विचार करने को कहा है. सूत्रों की मानें तो यशोधरा राजे अगस्त में ही अपने फैसले से पार्टी नेताओं को अवगत करा चुकीं थी, चूंकि यशोधरा शिवपुरी से अभी तक अपराजेय हैं और राजमाता सिंधिया की विरासत को संभालती हैं, इसलिये बीजेपी को उनके निर्णय से दिक्कत हो सकती है.
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ईटीवी से बोलीं थीं शिवपुरी से ही लडूंगी चुनाव: हालांकि यशोधरा राजे के समर्थक तो दावा कर रहे हैं कि सर्वे में उनकी जीत सुनिश्चित थी, लेकिन मीडिया में आता रहा है कि इस बार शिवपुरी में उनकी हालत निरापद नहीं थी, इसीलिए उनके सीट बदलने की चर्चाएं भी सियासी गलियारों में आम थीं. उनके कभी शिवपुरी के पोहरी तो कभी ग्वालियर के दक्षिण अथवा पूर्व से उम्मीदवार होने की चर्चाएं चल रहीं थी. उनके समर्थकों ने तो इस पर विचार के लिए अनौपचारिक बैठक भी की थी, हालांकि उसके बाद संक्षिप्त प्रवास पर ग्वालियर आईं यशोधरा ने ईटीवी भारत से साफ कहा था कि "मैं शिवपुरी से ही चुनाव लड़ूंगी. यह मेरा क्षेत्र है और यहां से चौथी बार विधायक हैं." यशोधरा सिंधिया के इस फैसले से आम जन से ज्यादा बीजेपी में खलबली मची हुई है.