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ग्वालियर में अंतिम क्षणों में BSP ने प्रत्याशी बदलकर मुकाबले को बनाया रोमांचक, 2 में BJP तो एक में हो सकता है कांग्रेस को नुकसान - ग्वालियर में त्रिकोणीय हुआ मुकाबला

एमपी के ग्वालियर में बहुजन समाज पार्टी ने शहर की एक सीट पर बड़ा उलटफेर कर दिया है. अंतिम क्षणों में बीएसपी ने अपना उम्मीदवार बदलकर सबको चौंका दिया है.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 31, 2023, 10:58 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर में मंगलवार को विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्रों की आज जांच चल रही है, लेकिन अंतिम क्षणों में बहुजन समाज पार्टी ने शहर की एक सीट पर बड़ा उलटफेर कर दिया है. अंतिम क्षणों में बीएसपी ने अपना उम्मीदवार बदलकर सबको चौंका दिया है. अब इस क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार बन गए हैं. यह क्षेत्र ग्वालियर पूर्व है.

बसपा ने बदला अपना प्रत्याशी: ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में बसपा ने पहले रामचंद्र गुर्जर को अपना प्रत्याशी बनाया था. गुर्जर वोट कांग्रेस समर्थित माने जाते हैं. बसपा के गुर्जर प्रत्याशी के उतरने से कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार को नुकसान होने की संभावना थी, लेकिन गुर्जर कमजोर कैंडिडेट माने जा रहे थे. बसपा ने अंतिम क्षणों में यहां से अपना प्रत्याशी बदल दिया. अब पार्टी ने अपना अधिकृत प्रत्याशी प्रहलाद सिंह को मैदान में उतार दिया. उनकी पत्नी अनेक बार पार्षद रह चुकीं हैं.

त्रिकोणीय हुआ मुकाबला: ग्वालियर पूर्व सीट अभी कांग्रेस के कब्जे में है और यहां से पार्टी ने अपने वर्तमान विधायक सतीश सिकरवार को ही मैदान में उतारा है. भाजपा ने मुन्नालाल गोयल का टिकट काटकर यहां से माया सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वे 2013 में यहां से विधायक चुनी गईं थी और मंत्री भी बनी थीं. 2018 में उनका टिकट काट दिया था, लेकिन इस बार फिर वे ही मैदान में हैं. पहले यहां कांग्रेस के सतीश सिकरवार से सीधी टक्कर मानी जा रही थी, लेकिन बसपा के प्रत्याशी के बदलने से मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार बन गए हैं.

हालांकि कांग्रेस को गुर्जर वोट के नुकसान की सता रही चिंता से तो राहत मिली है, लेकिन पंरपरागत दलित वोटों के बसपा की तरफ लौटने की आशंका की चिंताएं भी सताने लगी है. ग्वालियर पूर्व में छह वार्ड दलित बाहुल्य हैं, जिन पर 2018 के पहले तक बसपा का जोर रहता था. हालांकि 2018 के मुख्य और 2020 के उप चुनाव में दलित कांग्रेस के साथ चले गए थे.

बीजेपी की बढ़ी परेशानी: इसी तरह बसपा ने अंतिम दिनों में ग्वालियर विधानसभा सीट पर भी प्रत्याशी बदलकर सबको चौंकाया, बल्कि भाजपा को दिक्कत में डाल दिया. यहां से बसपा ने पहले पप्पन यादव को मैदान में उतारा था. यादव वोट का झुकाव अभी कांग्रेस की तरफ है. लिहाजा लग रहा था कि पप्पन यादव वोट काटकर कांग्रेस का नुकसान करेंगे, लेकिन अंतिम दिनों में बसपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. अब यहां से मनोज शिवहरे को प्रत्याशी बनाया गया है. इस क्षेत्र में शिवहरे समाज के काफी वोट हैं और इन्हें भाजपा समर्थक माना जाता है. अब बसपा ने उसी जाति का उम्मीदवार उतारकर भाजपा की दिक्कतें और चिंता दोनों बढ़ा दी.

यहां पढ़ें...

ग्वालियर दक्षिण में बसपा की बढ़ी मुश्किलें: ग्वालियर दक्षिण क्षेत्र में बसपा ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है. इस क्षेत्र में कांग्रेस ने अपने विधायक प्रवीण पाठक को तो भाजपा ने पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह पर ही एक बार फिर दांव पर लगाया है. 2018 के चुनाव में भी यही जोड़ी आमने-सामने थी और चौंकाने पाले परिणाम आये. कांग्रेस के नए उम्मीदवार प्रवीण पाठक ने तीन बार चुनाव जीत चुके कुशवाह को महज 121 वोट के अंतर से हरा दिया था. इस क्षेत्र में कुशवाह वोट काफी हैं, लेकिन मुस्लिम मतों की भी संख्या भी अच्छी खासी है. इस बार बसपा ने कांग्रेस की दिक्कतें बढ़ा दी हैं. उसने यहां से एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है. यहां से सद्दो खान प्रत्याशी है, हालांकि यहां मुकाबला त्रिकोणीय तो नहीं होगा, लेकिन सद्दो खान जितने भी वोट काटेगी, उससे कांग्रेस का ही नुकसान होगा.

ग्वालियर। ग्वालियर में मंगलवार को विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्रों की आज जांच चल रही है, लेकिन अंतिम क्षणों में बहुजन समाज पार्टी ने शहर की एक सीट पर बड़ा उलटफेर कर दिया है. अंतिम क्षणों में बीएसपी ने अपना उम्मीदवार बदलकर सबको चौंका दिया है. अब इस क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार बन गए हैं. यह क्षेत्र ग्वालियर पूर्व है.

बसपा ने बदला अपना प्रत्याशी: ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में बसपा ने पहले रामचंद्र गुर्जर को अपना प्रत्याशी बनाया था. गुर्जर वोट कांग्रेस समर्थित माने जाते हैं. बसपा के गुर्जर प्रत्याशी के उतरने से कांग्रेस प्रत्याशी और विधायक डॉ सतीश सिंह सिकरवार को नुकसान होने की संभावना थी, लेकिन गुर्जर कमजोर कैंडिडेट माने जा रहे थे. बसपा ने अंतिम क्षणों में यहां से अपना प्रत्याशी बदल दिया. अब पार्टी ने अपना अधिकृत प्रत्याशी प्रहलाद सिंह को मैदान में उतार दिया. उनकी पत्नी अनेक बार पार्षद रह चुकीं हैं.

त्रिकोणीय हुआ मुकाबला: ग्वालियर पूर्व सीट अभी कांग्रेस के कब्जे में है और यहां से पार्टी ने अपने वर्तमान विधायक सतीश सिकरवार को ही मैदान में उतारा है. भाजपा ने मुन्नालाल गोयल का टिकट काटकर यहां से माया सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वे 2013 में यहां से विधायक चुनी गईं थी और मंत्री भी बनी थीं. 2018 में उनका टिकट काट दिया था, लेकिन इस बार फिर वे ही मैदान में हैं. पहले यहां कांग्रेस के सतीश सिकरवार से सीधी टक्कर मानी जा रही थी, लेकिन बसपा के प्रत्याशी के बदलने से मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार बन गए हैं.

हालांकि कांग्रेस को गुर्जर वोट के नुकसान की सता रही चिंता से तो राहत मिली है, लेकिन पंरपरागत दलित वोटों के बसपा की तरफ लौटने की आशंका की चिंताएं भी सताने लगी है. ग्वालियर पूर्व में छह वार्ड दलित बाहुल्य हैं, जिन पर 2018 के पहले तक बसपा का जोर रहता था. हालांकि 2018 के मुख्य और 2020 के उप चुनाव में दलित कांग्रेस के साथ चले गए थे.

बीजेपी की बढ़ी परेशानी: इसी तरह बसपा ने अंतिम दिनों में ग्वालियर विधानसभा सीट पर भी प्रत्याशी बदलकर सबको चौंकाया, बल्कि भाजपा को दिक्कत में डाल दिया. यहां से बसपा ने पहले पप्पन यादव को मैदान में उतारा था. यादव वोट का झुकाव अभी कांग्रेस की तरफ है. लिहाजा लग रहा था कि पप्पन यादव वोट काटकर कांग्रेस का नुकसान करेंगे, लेकिन अंतिम दिनों में बसपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया. अब यहां से मनोज शिवहरे को प्रत्याशी बनाया गया है. इस क्षेत्र में शिवहरे समाज के काफी वोट हैं और इन्हें भाजपा समर्थक माना जाता है. अब बसपा ने उसी जाति का उम्मीदवार उतारकर भाजपा की दिक्कतें और चिंता दोनों बढ़ा दी.

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ग्वालियर दक्षिण में बसपा की बढ़ी मुश्किलें: ग्वालियर दक्षिण क्षेत्र में बसपा ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है. इस क्षेत्र में कांग्रेस ने अपने विधायक प्रवीण पाठक को तो भाजपा ने पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह पर ही एक बार फिर दांव पर लगाया है. 2018 के चुनाव में भी यही जोड़ी आमने-सामने थी और चौंकाने पाले परिणाम आये. कांग्रेस के नए उम्मीदवार प्रवीण पाठक ने तीन बार चुनाव जीत चुके कुशवाह को महज 121 वोट के अंतर से हरा दिया था. इस क्षेत्र में कुशवाह वोट काफी हैं, लेकिन मुस्लिम मतों की भी संख्या भी अच्छी खासी है. इस बार बसपा ने कांग्रेस की दिक्कतें बढ़ा दी हैं. उसने यहां से एक मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है. यहां से सद्दो खान प्रत्याशी है, हालांकि यहां मुकाबला त्रिकोणीय तो नहीं होगा, लेकिन सद्दो खान जितने भी वोट काटेगी, उससे कांग्रेस का ही नुकसान होगा.

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