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MP Doctors Strike: सरकार से मिले आश्वासन के बाद डॉक्टरों ने स्थगित की हड़ताल, कहा- मांग नहीं मानी तो फिर उतरेंगे सड़कों पर - भोपाल डॉक्टरों की हड़ताल स्थगित

शिवराज कैबिनेट की बैठक (Shivraj cabinet meeting) में मेडिकल कॉलेज और उससे संबंधित अस्पतालों में चिकित्सा और प्रबंधन की अलग-अलग शाखाएं बनाने का प्रस्ताव लाने की चर्चा थी, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों चुनाव प्रचार के चलते गुजरात में होने के कारण बैठक निरस्त कर दी गई. बैठक निरस्त होने के बाद हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने भी अपनी हड़ताल को स्थगित कर दिया है.

mp doctors strike postponed
डॉक्टरों ने स्थगित की हड़ताल
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Published : Nov 22, 2022, 7:22 PM IST

भोपाल/ ग्वालियर। मध्य प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलजों में होने वाली डॉक्टरों की हड़ताल स्थगित कर दी गई है. (mp doctors strike postponed) मुख्यमंत्री से मिले संदेश के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी है. इस बारे में जानकारी देते हुए प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने बताया कि, कैबिनेट बैठक निरस्त हो गई है.उसमें लाया जाने वाला प्रस्ताव भी नहीं पेश हुआ है. इसीलिए हड़ताल स्थगित कर दी गई है.

डॉक्टरों ने स्थगित की हड़ताल

कैबिनेट की बैठक स्थगित: मेडिकल कॉलेजों में प्रशासक की नियुक्ति का डॉक्टर्स विरोध कर रहे थे, लेकिन इसी बीच कैबिनेट की बैठक भी स्थगित कर दी गई. जिसमें प्रस्ताव आना था. तो दूसरी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संदेश देते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से कई डॉक्टरों की चर्चा हुई. जिसके बाद उन्होंने हड़ताल स्थगित कर दी है. डॉक्टर का कहना है कि सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया है कि, इस तरह का प्रस्ताव पास नहीं किया जाएगा. इसलिए यह सभी काम पर वापस लौट रहे हैं. आगे अगर फिर कभी ऐसा प्रस्ताव आता है तो यह सभी पुनः सड़कों पर होंगे.

डॉक्टरों ने स्थगित की हड़ताल

डॉक्टरों ने बंद की ओपीडी: इधर ग्वालियर में मेडिकल कालेजों में डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम की नियुक्ति किए जाने के विरोध में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. गजरराजा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने रूटीन ओपीडी भी बंद कर दी थी. दरअसल कैबिनेट में सरकार प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति का बिल लाने जा रही थी. प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों के टीचर्स एसोसिएशन की मीटिंग में निर्णय लिया गया था कि, इसका मजबूती से विरोध होना चाहिए.

MP Doctors Strike मेडिकल कॉलेजों में प्रशासक की नियुक्ति का फिर विरोध, सोमवार से हड़ताल पर रहेंगे डॉक्टर्स

प्रस्ताव पारित होने पर विरोध की चेतावनी: डॉक्टरों का कहना था कि, चिकित्सा विशेषज्ञों को राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नियंत्रण में लाने से कॉलेज संचालन की व्यवस्था पूर्णत: ध्वस्त हो जाएगी. देश के किसी भी राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों को मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन के लिए नियुक्त नहीं किया गया है. चिकित्सा संस्थानों को तकनीकी स्वायत्तता व अधिकार देने की बजाय उनकी स्वतंत्रता को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. डॉक्टरों ने भी चेतवानी दी है कि, सरकार अगर ये प्रस्ताव पारित कर देती है, तो वही इसका आगे पुरजोर विरोध करेंगे.

भोपाल/ ग्वालियर। मध्य प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलजों में होने वाली डॉक्टरों की हड़ताल स्थगित कर दी गई है. (mp doctors strike postponed) मुख्यमंत्री से मिले संदेश के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी है. इस बारे में जानकारी देते हुए प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन ने बताया कि, कैबिनेट बैठक निरस्त हो गई है.उसमें लाया जाने वाला प्रस्ताव भी नहीं पेश हुआ है. इसीलिए हड़ताल स्थगित कर दी गई है.

डॉक्टरों ने स्थगित की हड़ताल

कैबिनेट की बैठक स्थगित: मेडिकल कॉलेजों में प्रशासक की नियुक्ति का डॉक्टर्स विरोध कर रहे थे, लेकिन इसी बीच कैबिनेट की बैठक भी स्थगित कर दी गई. जिसमें प्रस्ताव आना था. तो दूसरी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संदेश देते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से कई डॉक्टरों की चर्चा हुई. जिसके बाद उन्होंने हड़ताल स्थगित कर दी है. डॉक्टर का कहना है कि सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया है कि, इस तरह का प्रस्ताव पास नहीं किया जाएगा. इसलिए यह सभी काम पर वापस लौट रहे हैं. आगे अगर फिर कभी ऐसा प्रस्ताव आता है तो यह सभी पुनः सड़कों पर होंगे.

डॉक्टरों ने स्थगित की हड़ताल

डॉक्टरों ने बंद की ओपीडी: इधर ग्वालियर में मेडिकल कालेजों में डिप्टी कलेक्टर और एसडीएम की नियुक्ति किए जाने के विरोध में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था. गजरराजा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने रूटीन ओपीडी भी बंद कर दी थी. दरअसल कैबिनेट में सरकार प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति का बिल लाने जा रही थी. प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों के टीचर्स एसोसिएशन की मीटिंग में निर्णय लिया गया था कि, इसका मजबूती से विरोध होना चाहिए.

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प्रस्ताव पारित होने पर विरोध की चेतावनी: डॉक्टरों का कहना था कि, चिकित्सा विशेषज्ञों को राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के नियंत्रण में लाने से कॉलेज संचालन की व्यवस्था पूर्णत: ध्वस्त हो जाएगी. देश के किसी भी राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों को मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन के लिए नियुक्त नहीं किया गया है. चिकित्सा संस्थानों को तकनीकी स्वायत्तता व अधिकार देने की बजाय उनकी स्वतंत्रता को नष्ट करने की कोशिश की जा रही है. डॉक्टरों ने भी चेतवानी दी है कि, सरकार अगर ये प्रस्ताव पारित कर देती है, तो वही इसका आगे पुरजोर विरोध करेंगे.

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