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BJP के लिए परेशानी बनी सिंधिया समर्थकों की बयानबाजी, विधानसभा चुनाव में खड़ी कर सकती है मुसीबतें - एमपी विधानसभा चुनाव 2023

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए उनकी पार्टी के नए नवेले और सिंधिया समर्थक परेशानी का सबब बन रहे हैं, क्योंकि सिंधिया समर्थकों की बयानबाजी पार्टी की गाइड लाइन से अलग और पार्टी को ही कटघरे में खड़ा रही है.

scindia supporters leaders statement
सिंधिया समर्थकों की बयानबाजी
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Published : Dec 5, 2022, 4:50 PM IST

Updated : Dec 5, 2022, 5:47 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए उनकी पार्टी के नए नवेले और सिंधिया समर्थक परेशानी का सबब बन रहे हैं, क्योंकि सिंधिया समर्थकों की बयानबाजी पार्टी की गाइड लाइन से अलग और पार्टी को ही कटघरे में खड़ा रही है. जिनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसौदिया और मंत्री ओपीएस भदौरिया का नाम शामिल है. हालांकि बीजेपी सांसद कह रहे हैं कि पार्टी ऐसे मामलों पर नजर रखी हुई है, तो वहीं कांग्रेस कह रही है कि ये लोग कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा करते थे. अब बीजेपी के लिए भी वहीं काम कर रहे हैं.

परेशानी का सबब बन रहे सिंधिया समर्थक: भाजपा की अपनी कार्यशैली है. पार्टी की गाइडलाइन पर शीर्ष नेता से लेकर कार्यकर्ता तक बाध्य होते हैं. पार्टी नेता भी संगठन की नीतियों व सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बोलते हैं, लेकिन इन दिनों ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव के नजदीक सड़कों को लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की पादुकाएं उतारने को लेकर सरकार व संगठन दोनों नाराज हैं. शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पहले से मुखर हैं. इस मुद्दे पर सरकार व संगठन दोनों खामोश हैं. अब ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने शराब बंदी पर बोलकर इस मुद्दे को फिर से हवा दे दी है. ऐसे में कांग्रेस पूरे मसले पर चुटकी ले रही है.

कांग्रेस का बीजेपी पर निशाना

ऊर्जा मंत्री के इस संकल्प ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. चुनाव के समय शीर्ष नेतृत्व को इसका जवाब देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, तो वहीं इमरती देवी के बयान भी लगातार बीजेपी को मुश्किल में डाल रहे हैं. इन दोनों नेताओं के साथ-साथ मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ओर मंत्री ओपीएस भदौरिया का नाम भी शामिल है. जिसमें सिसौदिया ने सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े किए थे तो वहीं ओपीएस भदौरिया ने जाति विशेष को लेकर टिप्पणी की थी. हालांकि बीजेपी सांसद कह रहे है कि पार्टी ऐसे मामलों पर नजर रखी हुई है.

समर्थकों के बयान पर सिंधिया की चुप्पी, क्या 'महाराज' के इशारे पर तैयार हो रही है कोई रणनीति

इन मामलों में सरकार को डाल रहे है, मुश्किल में

  • ऊर्जा मंत्री- खराब सड़कों की हालत को लेकर नंगे पैर रहने का संकल्प लिया है. उमा भारती की शराबबंदी को सरकार टालने की कोशिश में है, तो वहीं प्रद्युम्न सिंह तोमर ने शराब बंदी पर उमा भारती का साथ दिया है. साथ ही कभी भी सफाई अभियान के नाम पर नालों में उतरना.
  • इमरती देवी, लघु सूक्ष्म उधोग की निगम अध्यक्ष- सार्वजनिक तौर पर कहती हैं, सरकारी जमीनों को बेघर कर बाबा साहेब की मूर्ति मैनें लगवाई है. हाल ही में अपने विधानसभा क्षेत्र में हुई लूट के मामले में पुलिस को लेकर कटघरे में खड़ा करती हैं.
  • महेंद्र सिंह सिसौदिया, मंत्री- मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को निशाने पर लिया है था.
  • ओपीएस भदौरिया, सहकारिता मंत्री- कुछ चतुर जातियों पर क्षत्रियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था.

राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बने मंत्री और पूर्व मंत्री: वैसे कहा जाता है राजनीति में इत्तेफाकन कुछ भी नहीं होता है. रंगमंच की तरह सियासत में भी कब कौन सा संवाद बोला जाना है, कब कौना सा सियासी स्टंट करना है. उसकी स्क्रिप्ट और टाइमिंग भी तय होती है. ऐसे में शिवराज सरकार के मंत्रियों ओर पूर्व मंत्रियों की संवाद स्टंट फिलहाल राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए उनकी पार्टी के नए नवेले और सिंधिया समर्थक परेशानी का सबब बन रहे हैं, क्योंकि सिंधिया समर्थकों की बयानबाजी पार्टी की गाइड लाइन से अलग और पार्टी को ही कटघरे में खड़ा रही है. जिनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसौदिया और मंत्री ओपीएस भदौरिया का नाम शामिल है. हालांकि बीजेपी सांसद कह रहे हैं कि पार्टी ऐसे मामलों पर नजर रखी हुई है, तो वहीं कांग्रेस कह रही है कि ये लोग कांग्रेस के लिए मुश्किलें पैदा करते थे. अब बीजेपी के लिए भी वहीं काम कर रहे हैं.

परेशानी का सबब बन रहे सिंधिया समर्थक: भाजपा की अपनी कार्यशैली है. पार्टी की गाइडलाइन पर शीर्ष नेता से लेकर कार्यकर्ता तक बाध्य होते हैं. पार्टी नेता भी संगठन की नीतियों व सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बोलते हैं, लेकिन इन दिनों ग्वालियर चंबल संभाग में बीजेपी के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. विधानसभा चुनाव के नजदीक सड़कों को लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की पादुकाएं उतारने को लेकर सरकार व संगठन दोनों नाराज हैं. शराबबंदी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती पहले से मुखर हैं. इस मुद्दे पर सरकार व संगठन दोनों खामोश हैं. अब ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने शराब बंदी पर बोलकर इस मुद्दे को फिर से हवा दे दी है. ऐसे में कांग्रेस पूरे मसले पर चुटकी ले रही है.

कांग्रेस का बीजेपी पर निशाना

ऊर्जा मंत्री के इस संकल्प ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. चुनाव के समय शीर्ष नेतृत्व को इसका जवाब देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, तो वहीं इमरती देवी के बयान भी लगातार बीजेपी को मुश्किल में डाल रहे हैं. इन दोनों नेताओं के साथ-साथ मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ओर मंत्री ओपीएस भदौरिया का नाम भी शामिल है. जिसमें सिसौदिया ने सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े किए थे तो वहीं ओपीएस भदौरिया ने जाति विशेष को लेकर टिप्पणी की थी. हालांकि बीजेपी सांसद कह रहे है कि पार्टी ऐसे मामलों पर नजर रखी हुई है.

समर्थकों के बयान पर सिंधिया की चुप्पी, क्या 'महाराज' के इशारे पर तैयार हो रही है कोई रणनीति

इन मामलों में सरकार को डाल रहे है, मुश्किल में

  • ऊर्जा मंत्री- खराब सड़कों की हालत को लेकर नंगे पैर रहने का संकल्प लिया है. उमा भारती की शराबबंदी को सरकार टालने की कोशिश में है, तो वहीं प्रद्युम्न सिंह तोमर ने शराब बंदी पर उमा भारती का साथ दिया है. साथ ही कभी भी सफाई अभियान के नाम पर नालों में उतरना.
  • इमरती देवी, लघु सूक्ष्म उधोग की निगम अध्यक्ष- सार्वजनिक तौर पर कहती हैं, सरकारी जमीनों को बेघर कर बाबा साहेब की मूर्ति मैनें लगवाई है. हाल ही में अपने विधानसभा क्षेत्र में हुई लूट के मामले में पुलिस को लेकर कटघरे में खड़ा करती हैं.
  • महेंद्र सिंह सिसौदिया, मंत्री- मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को निशाने पर लिया है था.
  • ओपीएस भदौरिया, सहकारिता मंत्री- कुछ चतुर जातियों पर क्षत्रियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था.

राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बने मंत्री और पूर्व मंत्री: वैसे कहा जाता है राजनीति में इत्तेफाकन कुछ भी नहीं होता है. रंगमंच की तरह सियासत में भी कब कौन सा संवाद बोला जाना है, कब कौना सा सियासी स्टंट करना है. उसकी स्क्रिप्ट और टाइमिंग भी तय होती है. ऐसे में शिवराज सरकार के मंत्रियों ओर पूर्व मंत्रियों की संवाद स्टंट फिलहाल राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं.

Last Updated : Dec 5, 2022, 5:47 PM IST
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