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Gwalior Chambal Election: ग्वालियर चंबल-अंचल को जिसने जीता, उसी ने MP में सत्ता की हासिल, जानिए 50 सालों का राजनीतिक आंकड़ा

Gwalior Chambal Center of Politics: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टियां हर क्षेत्र में एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. किसी भी वर्ग को को पार्टी निराश नहीं करना चाहती है. वहीं बात अगर ग्वालियर चंबल-अंचल की करें, तो यहां जो पार्टी ज्यादा सीट जीतती है, वही सरकार बनाती है. पढ़िए ग्वालियर से संवाददाता अनिल गौर की यह रिपोर्ट

Gwalior Chambal Election
राजनीति का केंद्र चंबल अंचल
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 16, 2023, 6:32 PM IST

Updated : Oct 16, 2023, 7:21 PM IST

चंबल अंचल की राजनीति पर पत्रकार की राय

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव अगले महीने होने जा रहा है. चुनाव की तारीख पास आते ही ग्वालियर चंबल इलाके में सियासी सरगर्मी भी काफी तेज होती जा रही है, क्योंकि पूरे मध्य प्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल एक ऐसा इलाका है, जहां से ही प्रदेश की सत्ता का रास्ता तय होता है. कहा जाता है कि इस अंचल में जिस पार्टी की सीट ज्यादा आती है, उसी की सत्ता मध्य प्रदेश में काबिज होती है.

राजनीति के केंद्र चंबल-अंचल: ग्वालियर चंबल अंचल पूरे मध्य प्रदेश में राजनीति और संसद का केंद्र बिंदु है. यहां पर तमाम ऐसे बड़े दिग्गज नेता हैं. जो बीजेपी और कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करते हैं. यही कारण है कि आजादी से लेकर अब तक इस ग्वालियर चंबल अंचल में जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आई है. उसी ने प्रदेश में सत्ता हासिल की है. पिछले 50 सालों में सिर्फ दो चुनावों को छोड़ दिया जाए तो ग्वालियर चंबल में जिस पार्टी को ज्यादा सीट मिली, मध्य प्रदेश में उसकी सरकार बनी.

साल 2003 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल-अंचल की 34 सीटों में से 22 पर भाजपा को जीत मिली तो कांग्रेस को 15 साल के लिए रास्ता से बाहर होना पड़ा. वहीं 2018 की विधानसभा में इस अंचल की मतदाताओं का फिर मूड बदला तो भाजपा यहां मात्र 7 सीटों पर सीमित गई और कांग्रेस यहां से 26 सीटें लेकर सत्ता में वापसी कर गई.

Gwalior Chambal Region
50 सालों का राजनीतिक आंकड़ा

चंबल-अंचल में जिस पार्टी का ज्यादा वही बनाएगा सरकार: 51 सालों में मध्य प्रदेश में 11 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. 1972 और 1998 का अपवाद छोड़ दिया जाए तो यहां से जिस पार्टी को बहुमत मिला, सरकार उसी की बनी. बीजेपी और कांग्रेस इस बार भी ग्वालियर चंबल अंचल पर नजर गड़ाए हुए हैं. लगातार दोनों पार्टियों के बड़े नेता इस अंचल पर नजर बनाए हैं, क्योंकि ग्वालियर चंबल अंचल से जिस पार्टी ने ज्यादा सीट हासिल की, संभावित सत्ता मध्य प्रदेश में इस पार्टी की होगी. इसलिए दोनों ही पार्टियों रणनीति मेहनत और यहां की वोटरों को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

साल 1977 में कांग्रेस को यहां मिली थी महज 2 सीट: 1985 के बाद 2018 में चुनाव में भले ही कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल अंचल की 34 सीटों में से 26 पर जीत दर्ज की हो, लेकिन 1977 में कांग्रेस ग्वालियर चंबल अंचल में मात्र दो सीटों पर सिमट गई थी. जबकि जनता पार्टी ने 32 सीटों पर कब्जा जमाया था. मध्य प्रदेश के इतिहास में ग्वालियर चंबल संभाग में कितनी ज्यादा सीटों पर एक साथ किसी ने जीत हासिल नहीं की है.

यहां पढ़ें...

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: वहीं वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सत्य है कि ग्वालियर चंबल अंचल में जो पार्टी विजय पताका फहराती है. वही वल्लभ भवन पर राज करता है. ग्वालियर चंबल अंचल शुरू से ही राजनीति का बड़ा केंद्र बिंदु है और इस अंचल में सबसे अधिक 34 महत्वपूर्ण सीट है. यही तय करती है कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. इसलिए जब-जब चुनाव होते हैं, उस दौरान ग्वालियर चंबल अंचल राजनीति का बड़ा केंद्र बिंदु होता है, क्योंकि यहां पर बड़े नेता भी अपनी सियासी चाल चलते है.

चंबल अंचल की राजनीति पर पत्रकार की राय

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव अगले महीने होने जा रहा है. चुनाव की तारीख पास आते ही ग्वालियर चंबल इलाके में सियासी सरगर्मी भी काफी तेज होती जा रही है, क्योंकि पूरे मध्य प्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल एक ऐसा इलाका है, जहां से ही प्रदेश की सत्ता का रास्ता तय होता है. कहा जाता है कि इस अंचल में जिस पार्टी की सीट ज्यादा आती है, उसी की सत्ता मध्य प्रदेश में काबिज होती है.

राजनीति के केंद्र चंबल-अंचल: ग्वालियर चंबल अंचल पूरे मध्य प्रदेश में राजनीति और संसद का केंद्र बिंदु है. यहां पर तमाम ऐसे बड़े दिग्गज नेता हैं. जो बीजेपी और कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करते हैं. यही कारण है कि आजादी से लेकर अब तक इस ग्वालियर चंबल अंचल में जिस पार्टी की ज्यादा सीटें आई है. उसी ने प्रदेश में सत्ता हासिल की है. पिछले 50 सालों में सिर्फ दो चुनावों को छोड़ दिया जाए तो ग्वालियर चंबल में जिस पार्टी को ज्यादा सीट मिली, मध्य प्रदेश में उसकी सरकार बनी.

साल 2003 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल-अंचल की 34 सीटों में से 22 पर भाजपा को जीत मिली तो कांग्रेस को 15 साल के लिए रास्ता से बाहर होना पड़ा. वहीं 2018 की विधानसभा में इस अंचल की मतदाताओं का फिर मूड बदला तो भाजपा यहां मात्र 7 सीटों पर सीमित गई और कांग्रेस यहां से 26 सीटें लेकर सत्ता में वापसी कर गई.

Gwalior Chambal Region
50 सालों का राजनीतिक आंकड़ा

चंबल-अंचल में जिस पार्टी का ज्यादा वही बनाएगा सरकार: 51 सालों में मध्य प्रदेश में 11 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं. 1972 और 1998 का अपवाद छोड़ दिया जाए तो यहां से जिस पार्टी को बहुमत मिला, सरकार उसी की बनी. बीजेपी और कांग्रेस इस बार भी ग्वालियर चंबल अंचल पर नजर गड़ाए हुए हैं. लगातार दोनों पार्टियों के बड़े नेता इस अंचल पर नजर बनाए हैं, क्योंकि ग्वालियर चंबल अंचल से जिस पार्टी ने ज्यादा सीट हासिल की, संभावित सत्ता मध्य प्रदेश में इस पार्टी की होगी. इसलिए दोनों ही पार्टियों रणनीति मेहनत और यहां की वोटरों को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

साल 1977 में कांग्रेस को यहां मिली थी महज 2 सीट: 1985 के बाद 2018 में चुनाव में भले ही कांग्रेस ने ग्वालियर चंबल अंचल की 34 सीटों में से 26 पर जीत दर्ज की हो, लेकिन 1977 में कांग्रेस ग्वालियर चंबल अंचल में मात्र दो सीटों पर सिमट गई थी. जबकि जनता पार्टी ने 32 सीटों पर कब्जा जमाया था. मध्य प्रदेश के इतिहास में ग्वालियर चंबल संभाग में कितनी ज्यादा सीटों पर एक साथ किसी ने जीत हासिल नहीं की है.

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क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: वहीं वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सत्य है कि ग्वालियर चंबल अंचल में जो पार्टी विजय पताका फहराती है. वही वल्लभ भवन पर राज करता है. ग्वालियर चंबल अंचल शुरू से ही राजनीति का बड़ा केंद्र बिंदु है और इस अंचल में सबसे अधिक 34 महत्वपूर्ण सीट है. यही तय करती है कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा. इसलिए जब-जब चुनाव होते हैं, उस दौरान ग्वालियर चंबल अंचल राजनीति का बड़ा केंद्र बिंदु होता है, क्योंकि यहां पर बड़े नेता भी अपनी सियासी चाल चलते है.

Last Updated : Oct 16, 2023, 7:21 PM IST
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