ग्वालियर। नये साल की शुरुआत में ही ग्वालियर-चंबल अंचल के किसानों के लिए आसमान से आफत की बारिश हुई. बची-खुची कसर आसमानी ओले ने पूरी कर दी. बारिश और ओले के कहर से पूरी खेती-बाड़ी चौपट हो गई. खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है. ग्वालियर-चंबल अंचल के किसानों के लिए 6 महीने में यह तीसरी बड़ी आपदा है, जिसने किसानों को बर्बाद किया है. इसी बर्बादी की वजह से किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं. इस आपदा से करीब 300 गांव प्रभावित हुए हैं. ग्वालियर जिले में 70 से 80 गांव ऐसे हैं, जो ओलावृष्टि से बुरी तरह प्रभावित हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक ओलावृष्टि से जिले में 30 करोड़ का नुकसान हुआ है.
किसानों का दर्द देखने जमीन पर मंत्री
प्रदेश के साथ ही ग्वालियर-चंबल अंचल में पिछले चार दिनों तक झमाझम बारिश हुई और जमकर ओलावृष्टि भी हुई थी. जिससे खेतों में खड़ी फसल 50 से 70 फीसदी तक बर्बाद हो गई. सबसे ज्यादा ओलावृष्टि अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर और कुछ जगह मुरैना जिले में हुई थी. अंचल के लगभग 200 से अधिक गांव हैं जो ओलावृष्टि से प्रभावित हुए हैं. इस ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा सरसों, चना, मटर, गेहूं की फसल के अलावा सब्जियों की फसल को भी नुकसान हुआ है. यही वजह है कि सरकार तत्काल प्रभावित क्षेत्रों में प्रभारी मंत्रियों को किसानों का हाल जानने के लिए जमीन पर उतार दी है.
10 दिनों में मिल जाएगा किसानों को मुआवजा (MP farmers will get compensation)
ग्वालियर जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट डबरा और भितरवार के ओला प्रभावित गांवों का दौरा (Minister Tulsi Silawat inspectated crop) किये. मुआवजे के लिए नुकसान का सर्वे तेज करने के निर्देश दिए हैं. मंत्री ने बताया कि डबरा में 35 और भितरवार में 30 गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. कई गांव ऐसे हैं, जिनमें ओलावृष्टि के कारण कम नुकसान हुआ है. प्रदेश सरकार किसानों के साथ है और उनकी हर संभव मदद की जाएगी. उन्होंने राजस्व अमले को हिदायत दी है कि वह मौके पर निरीक्षण करने जाएं, ताकि 10 दिन के अंदर किसानों को मुआवजा मिल सके (MP farmers will get compensation). कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि ओलावृष्टि के कारण जिले में लगभग 30 करोड़ रुपए की हानि हुई है, सर्वे का काम शुरू हो गया है और जल्द ही किसानों को सरकार की तरफ से मदद दी जाएगी.
मंत्री-अफसर को देख रोने लगते हैं किसान
पिछले 6 महीने से प्राकृतिक मार झेल रहे किसान पूरी तरह से टूट चुके हैं और कर्ज में डूबते जा रहे हैं. पहले यहां भीषण बाढ़ ने तबाही मचाई थी, जिसमें हजारों घर बेघर हो गए थे और लाखों हेक्टेयर जमीन बर्बाद हो गई थी, पूरी गृहस्थी बर्बाद हो गई थी. इसके बाद ग्वालियर चंबल अंचल में बारिश ने तबाही मचाई थी, जिसमें किसानों की बोवनी पूरी तरह बर्बाद हो गई थी. कर्ज लेकर फिर से बोवनी की और उम्मीद थी नई साल में अपनी फसल बेचकर वह कर्ज से मुक्ति पा लेंगे. प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था. अभी 2 दिन पहले ही ग्वालियर चंबल अंचल में बारिश के साथ ओलावृष्टि से उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है. शासन-प्रशासन से कोई भी गांव में पहुंच रहा है तो किसान फूट-फूटकर रोने लगते हैं.
2020 की बर्बादी पर अब तक नहीं लगा मरहम
साल 2020 में ग्वालियर-चंबल में आई बाढ़ ने लाखों हेक्टेयर फसल को बर्बाद कर दिया था, किसान पूरी तरह बर्बाद हो गया था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया था और किसानों को आश्वासन दिया था कि जल्द ही मुआवजा दिया जाएगा, लेकिन अब भी लगभग 80 फीसदी बाढ़ प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिला है. ऐसे में अंचल के किसानों का कहना है कि सरकार सर्वे तो करवाती है, लेकिन मुआवजे के लिए इंतजार करना पड़ता है. पहले का मुआवजा अभी तक नहीं मिला तो इस पर कैसे भरोसा करें.