ETV Bharat / state

माता-पिता की परेशानी देखकर उठाया कदम, आज 70 मूक बधिर बच्चों को दे रही शिक्षा

ग्वालियर की मेघा गुप्ता शहर और आसपास के गांव के मूक बधिर 70 बच्चों को साइन लेग्वेज से बच्चों को हर हिंदी, अंग्रेजी के साथ नैतिक शिक्षा दे रही है. वे इन बच्चों को वीडियों के माध्यम से समझाकर पढ़ाती है.

author img

By

Published : Oct 15, 2019, 6:34 AM IST

Updated : Oct 15, 2019, 11:50 AM IST

बच्चों को पढ़ाती मेघा

ग्वालियर। कहते है 'नारी कभी न हारी' पूरे देश में आज विभिन्न विषयों में महिलाओं का कही न कही योगदान जरूर है. इसका उदाहरण ग्वालियर की मेघा गुप्ता पेश कर रही है. मेघा 2013 से मूक बधिर बच्चों के लिए स्कुल चला रही है. वह केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि साइन लेंग्वेज से बच्चों को हर भाषा में सशक्त बना रही है. मेघा गुप्ता के घर पर शहर और गांव के अलग-अलग स्थानों से तकरीबन 70 बच्चे पढ़ने आते है.

बच्चों को पढ़ाती मेघा

मेघा ने इन मूक बधिरों के शिक्षा के लिए जो संस्था बनाई है उसमे सभी मूक बधिर सदस्य है. मेघा बताती है कि वैसे तो समाज का भरपूर सहयोग मिल रहा है. साथ ही सरकार से थोड़ी मदद और मिले तो और बेहतर परिणाम सामने आ सकते है.

दूसरों के लिए बनी प्रेरणा
मेघा के माता-पिता भी मूक बधिर है वह उनकी समस्याओं को रोज देखती रहती है. वह किसी बात नहीं कर पाते थे. इसलिए अपने माता-पिता से बातचीत करने के लिए मेघा ने बड़ी मुश्किल से साइन लेंग्वेज सीखी. तभी से यह निश्चय किया की किसी मूक बधिर को यूं अकेला नहीं रहने देगी. जितने भी एसे बच्चे मिलेंगे उन्हें वह साइन लेंग्वेज के माध्यम से शिक्षा देगी.

चीजों को बेहतर ढंग से समझाने के लिए वे बच्चों को वीडियो के माध्यम से पढ़ाती है. मेघा का कहना है कि अक्सर बच्चे के मूकबधिर होने पर माता पिता उसकी पढाई पर ध्यान नहीं देते है. खास बात यह है कि मेघा के बनाये गए वीडियो से इन दिनों पाकिस्तान की बच्चे भी पढ़ना सीख रहे है. इस वीडियो से पाकिस्तान के ओकरा कैंट स्थित स्पेशल ट्रेनिंग स्कूल के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.

ग्वालियर। कहते है 'नारी कभी न हारी' पूरे देश में आज विभिन्न विषयों में महिलाओं का कही न कही योगदान जरूर है. इसका उदाहरण ग्वालियर की मेघा गुप्ता पेश कर रही है. मेघा 2013 से मूक बधिर बच्चों के लिए स्कुल चला रही है. वह केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि साइन लेंग्वेज से बच्चों को हर भाषा में सशक्त बना रही है. मेघा गुप्ता के घर पर शहर और गांव के अलग-अलग स्थानों से तकरीबन 70 बच्चे पढ़ने आते है.

बच्चों को पढ़ाती मेघा

मेघा ने इन मूक बधिरों के शिक्षा के लिए जो संस्था बनाई है उसमे सभी मूक बधिर सदस्य है. मेघा बताती है कि वैसे तो समाज का भरपूर सहयोग मिल रहा है. साथ ही सरकार से थोड़ी मदद और मिले तो और बेहतर परिणाम सामने आ सकते है.

दूसरों के लिए बनी प्रेरणा
मेघा के माता-पिता भी मूक बधिर है वह उनकी समस्याओं को रोज देखती रहती है. वह किसी बात नहीं कर पाते थे. इसलिए अपने माता-पिता से बातचीत करने के लिए मेघा ने बड़ी मुश्किल से साइन लेंग्वेज सीखी. तभी से यह निश्चय किया की किसी मूक बधिर को यूं अकेला नहीं रहने देगी. जितने भी एसे बच्चे मिलेंगे उन्हें वह साइन लेंग्वेज के माध्यम से शिक्षा देगी.

चीजों को बेहतर ढंग से समझाने के लिए वे बच्चों को वीडियो के माध्यम से पढ़ाती है. मेघा का कहना है कि अक्सर बच्चे के मूकबधिर होने पर माता पिता उसकी पढाई पर ध्यान नहीं देते है. खास बात यह है कि मेघा के बनाये गए वीडियो से इन दिनों पाकिस्तान की बच्चे भी पढ़ना सीख रहे है. इस वीडियो से पाकिस्तान के ओकरा कैंट स्थित स्पेशल ट्रेनिंग स्कूल के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.

Intro:
ग्वालियर - कहते है नारी कभी न हारी.....पूरे देश में आज विभिन्न विषयो में महिलाओं का कही न कही योगदान जरूर है यही बजह है कि हर क्षेत्र में महिलाओं का नाम सबसे आगे आता है। महिला वह शब्द है जिसने कभी हार नही मानी है वह हर परिस्थिति से लड़कर सबसे आगे खड़ी मिली है ऐसी एक महिला ग्वालियर की रहने वाली मेघा गुप्ता है। जिसने वह कर दिखाया जो उसके लिए बहुत कठिन रास्ता था। साल 2013 से मूक बधिर बच्चो के लिए स्कुल चला रही है वह केवल किताबी ज्ञान नहीं बल्कि साइन लेंग्वेज से वह अपने आपको सशक्त बना रही है मेघा गुप्ता के घर पर शहर और गांव के अलग अलग स्थानों से तकरीबन 70 बच्चे पड़ने आते है। यह सभी बच्चे मूक बधिर बच्चे है। मेघा ने इन मूक बधिरों के शिक्षा के लिए जो संस्था भी बनाई है उसमे सभी मूक बधिर सदस्य है। मेघा बताती है कि वैसे तो समाज का भरपूर सहयोग मिल रहा है सरकार थोड़ी मदद और मिले तो और बेहतर परिणाम सामने आ सकते है। इन मूक बधिर को बच्चो को पढ़ाने के पीछे मेघा गुप्ता की बड़ी दिलचस्प कहानी है।Body:दरअसल मेघा के माता -पिता भी मूक बधिर है वह उनकी समस्याओं को रोज देखती रहती है वह किसी बात नहीं कर पाते थे इसीलिए अपने माता पिता से बातचीत करने के लिए मेघा ने बड़ी मुश्किल से साइन लेंग्वेज सीखी और तभी से यह निश्चय किया की , किसी मूक बधिर को यूँ अकेला नहीं रहने देगी। जितने भी बच्चे मिलेंगे उन्हें वह साइन लेंग्वेज के माध्यम से शिक्षा देगी। मेघा के इस काम में उनके माता पिता और अब उनके पति उनका पूरा साथ देते है। मेघा ने चीजों को बेहतर ढंग से समझाने के लिए कुछ वीडियो भी तैयार किये है जिनके माध्यम से वह बच्चो को पढ़ाती है। मेघा का कहना है कि अक्सर बच्चे के मूकबधिर होने पर माता पिता उसकी पढाई पर कोई ध्यान नहीं देते है उनका मानना है कि यह कुछ नहीं कर सकते है ऐसे माता -पिता की कई बार काउंसलिंग करनी पड़ती है ,तब जाकर वह अपने बच्चे को स्कुल भेजने के लिए तैयार होते है। उनका ऐसा मानना है कि सामान्य बच्चो की तरह यह बच्चे भी नौकरी में उच्च पदों पर जा सकते है और अन्य बच्चो के लिए उदहारण बन सकते है। उनकी इच्छा है कि अगर आने वाले समय में उन्हें सरकारी मदद मिले तो वह बेहतर स्कुल शुरू करना चाहती है। सबसे खास बात यह है कि मेघा गुप्ता के द्वारा बनाये गए वीडियो से इन दिनों पाकिस्तान की बच्चे एवीसीडी सीख रहे है। इस वीडियो से पाकिस्तान के ओकरा कैंट स्थित स्पेशल ट्रेनिंग स्कूल के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है वीडियो को स्कूल प्रबंधन ने फेसबुक पेज अलनूर स्पेशल चिल्ड्रन स्कूल ओकरा कैंट पेज पर 23 मई को अपलोड किया है। मेघा गुप्ता ने साइन लेग्बेज में तैयार कर यह वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया था

Conclusion:बाइट - मेघा गुप्ता, शिक्षक
Last Updated : Oct 15, 2019, 11:50 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.