ग्वालियर। सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है. जिससे देश के बहुसंख्यक समाज का अहित होने जा रहा है. इसी को लेकर विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों ने शनिवार को स्थानीय फूलबाग चौराहे पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया.
उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि जिस तरह से विमानन रेलवे बीएसएनएल, एलआईसी एवं पेट्रोलियम कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है, इससे देश का गरीब मजदूर और निम्न मध्यमवर्गीय तबका बुरी तरह प्रभावित होगा. केंद्र सरकार सिर्फ चुनिंदा औद्योगिक घरानों को खुश करने के लिए ये कदम उठा रही है. जिसके दूरगामी परिणाम होंगे. यदि सरकार ने निजीकरण को नहीं रोका तो अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा. सामाजिक संगठनों ने कहा है कि इस देश की अर्थव्यवस्था गरीब मजदूर वर्ग से ही चलती है.
देश का मजदूर संगठन क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है. इन मजदूरों को निजीकरण की दशा में गुलाम होने से कोई नहीं बचा सकेगा. 30 से ज्यादा संगठनों ने धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इसमें राष्ट्र हित संघर्ष पार्टी, मानव अधिकार पार्टी, मुस्लिम लीग, मजदूर संघ बौद्ध महासभा, सामाजिक पार्टी, आल इंडिया बार एसोसिएशन, दलित शोषण मुक्ति मंच, आरक्षण बचाओ मोर्चा, सीपीआईएम, मानवाधिकार मंच, संविधान बचाओ समिति सहित विभिन्न संगठन शामिल रहे.
निजीकरण के विरोध में कई संगठनों ने दिया धरना, किया केंद्र सरकार का विरोध
ग्वालियर जिले में सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में बेचने का आरोप लगाते हुए विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने शनिवार को स्थानीय फूलबाग चौराहे पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया.
ग्वालियर। सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में बेचा जा रहा है. जिससे देश के बहुसंख्यक समाज का अहित होने जा रहा है. इसी को लेकर विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संगठनों ने शनिवार को स्थानीय फूलबाग चौराहे पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया.
उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि जिस तरह से विमानन रेलवे बीएसएनएल, एलआईसी एवं पेट्रोलियम कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है, इससे देश का गरीब मजदूर और निम्न मध्यमवर्गीय तबका बुरी तरह प्रभावित होगा. केंद्र सरकार सिर्फ चुनिंदा औद्योगिक घरानों को खुश करने के लिए ये कदम उठा रही है. जिसके दूरगामी परिणाम होंगे. यदि सरकार ने निजीकरण को नहीं रोका तो अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा. सामाजिक संगठनों ने कहा है कि इस देश की अर्थव्यवस्था गरीब मजदूर वर्ग से ही चलती है.
देश का मजदूर संगठन क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है. इन मजदूरों को निजीकरण की दशा में गुलाम होने से कोई नहीं बचा सकेगा. 30 से ज्यादा संगठनों ने धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इसमें राष्ट्र हित संघर्ष पार्टी, मानव अधिकार पार्टी, मुस्लिम लीग, मजदूर संघ बौद्ध महासभा, सामाजिक पार्टी, आल इंडिया बार एसोसिएशन, दलित शोषण मुक्ति मंच, आरक्षण बचाओ मोर्चा, सीपीआईएम, मानवाधिकार मंच, संविधान बचाओ समिति सहित विभिन्न संगठन शामिल रहे.