ग्वालियर। मध्यप्रदेश में अभी कोरोना का कहर थमा नहीं था कि ग्वालियर चंबल-अंचल पर कुपोषण भी कहर बनकर टूटा है. कोरोना महामारी से लोग पहले ही डरे हुए हैं ऐेसे में कुपोषण का बढ़ता प्रकोप नई आफत बनकर उभरा है. खासकर ग्वालियर चंबल अंचल में लॉकडाउन के दौरान कोरोना के साथ कुपोषण ने रफ्तार पकड़ी और बीते तीन महीनों में 2 हजार से ज्यादा अधिक बच्चों को अपनी जद में ले लिया. हैरानी की बात ये है कि कुपोषण से ग्रसित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाना है, लेकिन कोरोना कहर के चलते लोग अपने बच्चों को केंद्र में भर्ती कराने से कतरा रहे हैं. हालात ये हैं सामान्य दिनों में कुपोषित बच्चों से फुल होने वाले पोषण पुनर्वास केंद्र इन दिनों खाली पड़े हुए हैं.
प्रशासन की लाख समझाइश के बावजूद भी अभिभावक अपने बच्चों को लेकर पोषण पुनर्वास केंद्र नहीं पहुंच रहे हैं. ग्वालियर जिले में कुल 5 पोषण पुनर्वास केंद्र हैं और सभी में कुपोषित बच्चों की संख्या एक से पांच तक है. ग्वालियर शहर के पोषण पुनर्वास केंद्र जिसकी क्षमता 20 बच्चों को रखने की है, लेकिन आज कोरोना के चलते मात्र 5 कुपोषित बच्चे भर्ती हैं. पोषण पुनर्वास केंद्र प्रभारी डॉ मोनिका यादव ने इसके पीछे की वजह कोरोना का डर बताया है.
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कोरोना के चलते लगातार जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ रही है. यह एक चिंता का विषय है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी इस बात की है कि परिजन अपने कुपोषित बच्चों को लेकर एनआरसी सेंटर आने से कतरा रहे हैं. ग्वालियर में लॉकडाउन लगने के बाद से ही पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चा आना बंद हो गए हैं. इन तीन महीनों में एक भी बच्चा पुनर्वास केंद्र में भर्ती नहीं हुआ है.
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कुपोषण के मामले में बदनाम रहा ग्वालियर
अब जैसी ही अनलॉक हुआ है वैसे ही आंगनबाड़ियों की मदद से और उनके परिजनों को समझा कर धीरे-धीरे कुपोषित बच्चों को भर्ती करा रहे हैं. ग्वालियर चंबल अंचल कुपोषित बच्चों के लिए कुपोषण के मामले में लगातार बदनाम रहा है. यहां पर कुपोषित बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है. यही वजह है कि लगातार कुपोषित बच्चों को लेकर यहां पर सरकार भी चिंता जाहिर कर चुकी है.
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