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Mahavir Jayanti 2023: ग्वालियर किले में मौजूद है विश्व की इकलौती भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा, जानें रोचक इतिहास

ग्वालियर किले में भगवान पार्श्वनाथ की 42 फीट ऊंची पद्मासन मुद्रा में विशाल प्रतिमा है, इसे पार्श्वनाथ की विश्व की इकलौती प्रतिमा होने का गौरव भी हासिल है. मूर्ति को लेकर गोपाचल न्यास के सेक्रेटरी अजीत बरैया ने सरकार से मांग की है कि इन मूर्तियों को संरक्षित किया जाए और भगवान महावीर की जयंती पर यहां पर कॉरिडोर बनाने की घोषणा की जाए.

Mahavir Jayanti 2023
विश्व की इकलौती भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा
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Published : Apr 3, 2023, 5:30 PM IST

Updated : Apr 3, 2023, 6:42 PM IST

विश्व की इकलौती भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा

ग्वालियर। जिले में बने किले की तलहटी में एक पत्थर की बावड़ी है. इस बावड़ी पर जैन प्रतिमाएं बनी हुई हैं, जो अपने आप में बेहद खास हैं. वहीं इनमें से कुछ प्रतिमाएं ऐसी है जो विश्व भर में इकलौती है. यहां पर जैन धर्म के तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की एक प्रतिमा बनी हुई है, जो विश्व भर में अद्वितीय है. यही कारण है कि इन प्रतिमा के दर्शन करने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विश्वभर से लोग पहुंचते हैं. भगवान पार्श्वनाथ की इन मूर्तियों की देखरेख गोपाचल न्यास के सेक्रेटरी अजीत बरैया कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि ये सभी प्रतिमाएं अपने आप अनूठी हैं.

मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इन प्रतिमाओं को कराया था खंडितः गोपाचल न्यास के सेक्रेटरी अजीत बरैया ने बताया कि लगभग 1528ईसवी में जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने ग्वालियर पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहा था, तो उन्होंने भगवान की इन सुंदर प्रतिमाओं में से कई प्रतिमाओं को खंडित कर दिया था, लेकिन जब वे इस 42 फीट लंबी प्रतिमा को नष्ट करने पहुंचे थे तो स्वतः ही उनके हाथ कांपने लगे थे और उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसकी सूचना जब बाबर को लगी, तो वह भी इन मूर्तियों को खुद खंडित करने आए था, लेकिन खंडित नहीं कर पाया था. इसके बाद बाबर ने भगवान से प्रार्थना की थी और शपथ ली थी कि अब वह किसी भी प्रतिमा को कभी भी खंडित नहीं करेगा. तब जाकर उनकी आंखों की रोशनी वापस आई थी.

42 फीट ऊंची भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाः बता दें कि यहां पर भगवान पार्श्वनाथ की 42 फीट ऊंची पद्मासन मुद्रा में विशाल प्रतिमा है, जो विश्व में और कहीं भी नहीं है. प्रतिमाएं लगभग सैकड़ों वर्ष पुरानी है, जिनका निर्माण जैन धर्म के 22 तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के शासनकाल में जैन श्रावकों द्वारा किया गया था, जिसमें 9 इंच से लेकर 57 फीट तक की विशेष प्रतिमाएं बनाई गई है. गोपाचल न्यास के सेक्रेटरी अजीत बरैया ने सरकार से मांग की है कि इन मूर्तियों को संरक्षित किया जाए और महावीर की जयंती पर यहां पर कॉरिडोर बनाए जाने की घोषणा की जाए.

महावीर जयंती से जुड़ी खबरें...

इन राजाओं के शासनकाल में हुआ प्रतिमाओं का निर्माणः वहीं पुरातत्व विभाग के अभिलेखों के अनुसार इन प्रतिमाओं का निर्माण तोमर वंश की राजा डूंगर सिंह और राजा कीर्ति सिंह के शासनकाल में किया गया था, जो कि जैन धर्म से काफी प्रभावित थे और किले के चारों तरफ उन्होंने जैन धर्म के तीर्थंकरों की प्रतिमाओं का निर्माण करवाया था. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पत्थर की बावड़ी एक विशाल तीर्थ स्थल है. जहां हर दिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और भगवान पार्श्वनाथ की पूजा अर्चना करते हैं.

विश्व की इकलौती भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा

ग्वालियर। जिले में बने किले की तलहटी में एक पत्थर की बावड़ी है. इस बावड़ी पर जैन प्रतिमाएं बनी हुई हैं, जो अपने आप में बेहद खास हैं. वहीं इनमें से कुछ प्रतिमाएं ऐसी है जो विश्व भर में इकलौती है. यहां पर जैन धर्म के तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की एक प्रतिमा बनी हुई है, जो विश्व भर में अद्वितीय है. यही कारण है कि इन प्रतिमा के दर्शन करने के लिए देश से ही नहीं बल्कि विश्वभर से लोग पहुंचते हैं. भगवान पार्श्वनाथ की इन मूर्तियों की देखरेख गोपाचल न्यास के सेक्रेटरी अजीत बरैया कर रहे हैं. वहीं उन्होंने कहा कि ये सभी प्रतिमाएं अपने आप अनूठी हैं.

मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इन प्रतिमाओं को कराया था खंडितः गोपाचल न्यास के सेक्रेटरी अजीत बरैया ने बताया कि लगभग 1528ईसवी में जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने ग्वालियर पर अपना आधिपत्य स्थापित करना चाहा था, तो उन्होंने भगवान की इन सुंदर प्रतिमाओं में से कई प्रतिमाओं को खंडित कर दिया था, लेकिन जब वे इस 42 फीट लंबी प्रतिमा को नष्ट करने पहुंचे थे तो स्वतः ही उनके हाथ कांपने लगे थे और उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसकी सूचना जब बाबर को लगी, तो वह भी इन मूर्तियों को खुद खंडित करने आए था, लेकिन खंडित नहीं कर पाया था. इसके बाद बाबर ने भगवान से प्रार्थना की थी और शपथ ली थी कि अब वह किसी भी प्रतिमा को कभी भी खंडित नहीं करेगा. तब जाकर उनकी आंखों की रोशनी वापस आई थी.

42 फीट ऊंची भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाः बता दें कि यहां पर भगवान पार्श्वनाथ की 42 फीट ऊंची पद्मासन मुद्रा में विशाल प्रतिमा है, जो विश्व में और कहीं भी नहीं है. प्रतिमाएं लगभग सैकड़ों वर्ष पुरानी है, जिनका निर्माण जैन धर्म के 22 तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के शासनकाल में जैन श्रावकों द्वारा किया गया था, जिसमें 9 इंच से लेकर 57 फीट तक की विशेष प्रतिमाएं बनाई गई है. गोपाचल न्यास के सेक्रेटरी अजीत बरैया ने सरकार से मांग की है कि इन मूर्तियों को संरक्षित किया जाए और महावीर की जयंती पर यहां पर कॉरिडोर बनाए जाने की घोषणा की जाए.

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इन राजाओं के शासनकाल में हुआ प्रतिमाओं का निर्माणः वहीं पुरातत्व विभाग के अभिलेखों के अनुसार इन प्रतिमाओं का निर्माण तोमर वंश की राजा डूंगर सिंह और राजा कीर्ति सिंह के शासनकाल में किया गया था, जो कि जैन धर्म से काफी प्रभावित थे और किले के चारों तरफ उन्होंने जैन धर्म के तीर्थंकरों की प्रतिमाओं का निर्माण करवाया था. जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पत्थर की बावड़ी एक विशाल तीर्थ स्थल है. जहां हर दिन बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और भगवान पार्श्वनाथ की पूजा अर्चना करते हैं.

Last Updated : Apr 3, 2023, 6:42 PM IST
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