ग्वालियर। हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने भिंड के गोहद तहसील के ग्राम बरथरा समेत अन्य पंचायतों में मनरेगा के तहत किए गए विकास कार्यों की लोकायुक्त जांच के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि भिंड में MNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के मद से होने वाले विकास कार्यों को बड़ी-बड़ी मशीनों के जरिए कराया जा रहा है. इसमें सरपंच और ग्राम पंचायतों के सचिवों की भूमिका संदिग्ध है.
- दबंग डकार रहे गरीबों का पैसा
हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि मनरेगा मजदूरों के नाम पर करोड़ों का भ्रष्टाचार किया जा रहा है. इससे मजदूरों के खाते में कोई पैसा नहीं जा रहा है. दबंग लोग उनके हक का पैसा डकार रहे हैं. हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लोकायुक्त पुलिस को पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. वहीं मनरेगा के तहत संचालित सतर्कता एजेंसी को भी समानांतर जांच करने को कहा है.
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- बड़ी-बड़ी मशीनों हो रहा काम
दरअसल गोहद के रहने वाले देवेंद्र शुक्ला ने हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें आरोप लगाया गया था कि मनरेगा के तहत स्वीकृत कार्यों को मजदूरों से ना करा कर बड़ी-बड़ी मशीनों को कराया जा रहा है. शासन की इच्छा से विपरीत सरपंच और सचिव मजदूरों के हक का पैसा डकार रहे हैं. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच करने के आदेश दिए है.
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- विकास कार्यों को छोड़ दिया अधूरा
याचिकाकर्ता देवेंद्र शुक्ला ने यह भी आरोप लगाया है कि कई विकास कार्यों को अधूरा ही छोड़ दिया गया है. मनरेगा के तहत नियम यह है कि ग्राम पंचायतों के गरीब मजदूर वर्ग के लोगों को निर्माण कार्य में शामिल कराकर उन्हें रोजगार से जोड़ा जाए. लेकिन अधिकांश क्षेत्रों में मनरेगा में इसी तरह का भ्रष्टाचार किया जा रहा है. इस पर हाई कोर्ट ने मनरेगा की मॉनिटरिंग करने वाली एजेंसी को इस पूरे मामले की तहकीकात करने के आदेश दिए हैं. लोकायुक्त पुलिस संगठन को भी पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं.