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ग्वालियर लोकसभा सीट पर दिग्गज उम्मीदवारों की दावेदारी बीजेपी और कांग्रेस के लिए बनी बड़ी चुनौती

ग्वालियर लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अंदरूनी खींचतान मची है. बीजेपी के पैनल में मेयर विवेक शेजवलकर, पूर्व मंत्री माया सिंह और वेद प्रकाश के नाम शामिल हैं. जबकि सांसद अनूप मिश्रा का मुरैना से टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर से पैनल में तवज्जों नहीं मिली है.

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Published : Mar 25, 2019, 10:35 PM IST

ग्वालियर| ग्वालियर लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अंदरूनी खींचतान मची है. बीजेपी के पैनल में मेयर विवेक शेजवलकर, पूर्व मंत्री माया सिंह और वेद प्रकाश के नाम शामिल हैं. जबकि सांसद अनूप मिश्रा का मुरैना से टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर से पैनल में तवज्जों नहीं मिली है.

अनुप मिश्रा ने फिलहाल तो चुप्पी साध ली है. लेकिन टिकट ना मिलने पर बगावती तेवर अपना सकते हैं. उधर कांग्रेस में भी ग्वालियर सीट पर कई नेताओं की दावेदारी से आलाकमान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. दिग्विजय सिंह गुट के अशोक सिंह मजबूत दावेदार होने के बावजूद जिला कांग्रेस ने प्रियदर्शनी राजे सिंधिया को प्रत्याशी बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया है.

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ग्वालियर लोकसभा सीट पर इस बार का चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है, लेकिन चुनाव से पहले टिकट वितरण भी कम दिलचस्प नहीं है. दरअसल वर्तमान सांसद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बार ग्वालियर की वजह मुरैना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मुरैना से सांसद अनूप मिश्रा का टिकट काटकर तोमर को मैदान में उतारा गया है. अनूप का टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर सीट के लिए पैनल में उनका नाम नहीं है. सूत्रों के मुताबिक अनूप मिश्रा को लोकसभा का टिकट नहीं मिला तो बगावती तेवर अपना सकते हैं.

ग्वालियर सीट पर 12 साल से वापसी की राह देख रही कांग्रेस को इस बार के बेहतर माहौल में नैया पार लगने की उम्मीद है. ग्वालियर सीट पर कांग्रेस की तरफ से प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है. अशोक सिंह ने 2007 में 26 हजार वोट और 2009 में भी यशोधरा राजे को कड़ी टक्कर दी थी और 35 हजार वोट से हारे थे. 2014 में कांग्रेस के टिकट पर अशोक सिंह तीसरी बार मैदान में थे और नरेंद्र सिंह तोमर से महज 29 हजार वोट से हारे थे. लेकिन रविवार को आपात बैठक बुलाकर प्रियदर्शनी राजे को प्रत्याशी बनाने की मांग का प्रस्ताव पास कर दिया है.

ग्वालियर| ग्वालियर लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अंदरूनी खींचतान मची है. बीजेपी के पैनल में मेयर विवेक शेजवलकर, पूर्व मंत्री माया सिंह और वेद प्रकाश के नाम शामिल हैं. जबकि सांसद अनूप मिश्रा का मुरैना से टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर से पैनल में तवज्जों नहीं मिली है.

अनुप मिश्रा ने फिलहाल तो चुप्पी साध ली है. लेकिन टिकट ना मिलने पर बगावती तेवर अपना सकते हैं. उधर कांग्रेस में भी ग्वालियर सीट पर कई नेताओं की दावेदारी से आलाकमान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. दिग्विजय सिंह गुट के अशोक सिंह मजबूत दावेदार होने के बावजूद जिला कांग्रेस ने प्रियदर्शनी राजे सिंधिया को प्रत्याशी बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया है.

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ग्वालियर लोकसभा सीट पर इस बार का चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है, लेकिन चुनाव से पहले टिकट वितरण भी कम दिलचस्प नहीं है. दरअसल वर्तमान सांसद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बार ग्वालियर की वजह मुरैना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मुरैना से सांसद अनूप मिश्रा का टिकट काटकर तोमर को मैदान में उतारा गया है. अनूप का टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर सीट के लिए पैनल में उनका नाम नहीं है. सूत्रों के मुताबिक अनूप मिश्रा को लोकसभा का टिकट नहीं मिला तो बगावती तेवर अपना सकते हैं.

ग्वालियर सीट पर 12 साल से वापसी की राह देख रही कांग्रेस को इस बार के बेहतर माहौल में नैया पार लगने की उम्मीद है. ग्वालियर सीट पर कांग्रेस की तरफ से प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है. अशोक सिंह ने 2007 में 26 हजार वोट और 2009 में भी यशोधरा राजे को कड़ी टक्कर दी थी और 35 हजार वोट से हारे थे. 2014 में कांग्रेस के टिकट पर अशोक सिंह तीसरी बार मैदान में थे और नरेंद्र सिंह तोमर से महज 29 हजार वोट से हारे थे. लेकिन रविवार को आपात बैठक बुलाकर प्रियदर्शनी राजे को प्रत्याशी बनाने की मांग का प्रस्ताव पास कर दिया है.

Intro:ग्वालियर- ग्वालियर लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर कांग्रेसी बीजेपी दोनों को अंदरूनी कलह की आशंका है बीजेपी के पैनल में मेयर विवेक शेजवलकर पूर्व मंत्री माया सिंह और वेद प्रकाश के नाम शामिल है जबकि सांसद अनुप मिश्रा को मुरैना से टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर से पैनल में तवज्जो नहीं मिली है । अनुप मिश्रा ने फिलहाल तो चुप्पी साध ली है। लेकिन टिकट ना मिलने पर बगावती तेवर अपना सकते हैं। उधर कांग्रेस में भी ग्वालियर सीट के टिकट पर आलाकमान स्तर पर किचकिचाहक जरूर हो रही है । दिग्विजय सिंह गुट के अशोक सिंह की मजबूती दावेदार के बावजूद जिला काग्रेस ने प्रियदर्शनी राजे सिंधिया को प्रत्याशी बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया है प्रियदर्शनी के लिए प्रस्ताव बैठक में अशोक सिंह गैर मौजूदगी रहे । लिहाजा दिग्विजय सिंह गुट प्रियदर्शनी के खिलाफ केंद्रीय चुनाव समिति में घेराबंदी कर सकता है ।


Body:ग्वालियर लोकसभा सीट पर इस बार का चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है लेकिन चुनाव से पहले टिकट वितरण में भी कम दिलचस्प नहीं रहेगा । टिकट को बीजेपी में ज्यादा पेशो पेश की स्थिति बन रही है। दरअसल वर्तमान सांसद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बार ग्वालियर की वजह मुरैना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं । मुरैना से सांसद अनुप मिश्रा का टिकट काटकर तोमर को मैदान में उतारा गया है। अनूप का टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर सीट के लिए पैनल में उनका नाम नहीं है। केंद्रीय चुनाव समिति के पास ग्वालियर सीट से महापौर विवेक शेजवलकर पूर्व मंत्री माया सिंह और वेद प्रकाश के नाम है । मुरैना सीट में पैनल में अनूप मिश्रा का नाम ना होने के बाद फिलहाल अनुप मिश्रा ने चुप्पी साध ली है। सूत्रों का कहना है कि अनु मिश्रा को लोकसभा का टिकट नहीं मिला तो बगावती तेवर अपना सकते हैं । टिकट की दावेदारी को लेकर महापौर विवेक नारायण शेजवलकर का कहना है कि कार्यकर्ता पूरी तरह तैयार है पार्टी जैसे टिकट देगी कार्यकर्ता उसके लिए जी जान से जुट जाएंगे ।

बाईट- विवेक नारायण शेजवलकर महापौर


Conclusion:ग्वालियरसीट पर 12 साल से वापसी की राह देख रही कांग्रेस को इस बार के बेहतर माहौल में नैया पार लगने की उम्मीद है। ग्वालियर सीट पर कांग्रेस की तरफ से प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है । अशोक सिंह ने 2007 में 26 हजार वोट और 2009 में भी यशोधरा राजे को कड़ी टक्कर दी थी और 35 हजार वोट से हारे थे । 2014 में कांग्रेस के टिकट पर अशोक सिंह तीसरी बार मैदान में है और नरेंद्र सिंह तोमर से महज 29 हजार वोट से हारे थे । दिग्विजय सिंह की गुट के अशोक सिंह इस बार भी दावेदारी को लेकर नंबर वन पर है। लेकिन रविवार को जिला कांग्रेसी आपात बैठक बुलाकर प्रियदर्शनी राजे को प्रत्याशी बनाने की मांग का प्रस्ताव पास कर दिया है । इस बैठक में कैबिनेट मंत्री लाखन सिंह प्रदुमन सिंह और इमरती देवी के साथ साथ स्थानीय विधायक वी मौजूद रहे थे लेकिन इस बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह शामिल नहीं हुए थे । वहीं कांग्रेस का दावा है कि उनके सामने न तो बीजेपी की चुनौती है और नहीं टिकट के लिए किसी तरह की किस कर छोरी इन सब के बाद भी कांग्रेस प्रवक्ता पार्टी के अंदर किसी तरह की गुटबाजी से साफ इंकार कर रही है।

बाईट- आर पी सिंह , कोंग्रेस प्रवक्ता
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