ग्वालियर| ग्वालियर लोकसभा सीट पर टिकट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अंदरूनी खींचतान मची है. बीजेपी के पैनल में मेयर विवेक शेजवलकर, पूर्व मंत्री माया सिंह और वेद प्रकाश के नाम शामिल हैं. जबकि सांसद अनूप मिश्रा का मुरैना से टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर से पैनल में तवज्जों नहीं मिली है.
अनुप मिश्रा ने फिलहाल तो चुप्पी साध ली है. लेकिन टिकट ना मिलने पर बगावती तेवर अपना सकते हैं. उधर कांग्रेस में भी ग्वालियर सीट पर कई नेताओं की दावेदारी से आलाकमान की मुसीबतें बढ़ा दी हैं. दिग्विजय सिंह गुट के अशोक सिंह मजबूत दावेदार होने के बावजूद जिला कांग्रेस ने प्रियदर्शनी राजे सिंधिया को प्रत्याशी बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया है.
ग्वालियर लोकसभा सीट पर इस बार का चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है, लेकिन चुनाव से पहले टिकट वितरण भी कम दिलचस्प नहीं है. दरअसल वर्तमान सांसद केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बार ग्वालियर की वजह मुरैना सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. मुरैना से सांसद अनूप मिश्रा का टिकट काटकर तोमर को मैदान में उतारा गया है. अनूप का टिकट कटने के बाद भी ग्वालियर सीट के लिए पैनल में उनका नाम नहीं है. सूत्रों के मुताबिक अनूप मिश्रा को लोकसभा का टिकट नहीं मिला तो बगावती तेवर अपना सकते हैं.
ग्वालियर सीट पर 12 साल से वापसी की राह देख रही कांग्रेस को इस बार के बेहतर माहौल में नैया पार लगने की उम्मीद है. ग्वालियर सीट पर कांग्रेस की तरफ से प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है. अशोक सिंह ने 2007 में 26 हजार वोट और 2009 में भी यशोधरा राजे को कड़ी टक्कर दी थी और 35 हजार वोट से हारे थे. 2014 में कांग्रेस के टिकट पर अशोक सिंह तीसरी बार मैदान में थे और नरेंद्र सिंह तोमर से महज 29 हजार वोट से हारे थे. लेकिन रविवार को आपात बैठक बुलाकर प्रियदर्शनी राजे को प्रत्याशी बनाने की मांग का प्रस्ताव पास कर दिया है.