ग्वालियर। पूरे देशभर में इस समय गायों की स्थिति को सुधारने के लिए शासन- प्रशासन लगातार कोशिशें कर रही है. वहीं ग्वालियर जिले की रानी घाटी में एक न्यू वृंदावन तैयार होने जा रहा है. न्यू वृंदावन प्रदेश का पहला गौ अभयारण्य होगा, जो इको टूरिज्म का बड़ा केंद्र बनेगा. ये अभयारण्य शहर से करीब 50 से 60 किलोमीटर दूर बनने जा रहा है. जो गायों के संरक्षण के लिए प्रदेश का पहला रोल मॉडल बनेगा. जिसे 'न्यू वृंदावन' नाम दिया गया है.
न्यू वृंदावन अभयारण्य की सबसे बड़ी खासियत ये है कि, ये बहुत कम खर्चे में तैयार होगा. घाटी के बीचो बीच 12 सौ बीघा में तैयार होने के बाद शहर की गौशाला के ऊपर बढ़ते भार को कम करने के अलावा उनके संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. सबसे खास बात ये है कि, इसके मॉडल को ग्वालियर एडीजीपी राजा बाबू खुद तैयार कर रहे है.
गौ- अभयारण्य में रिजरनेटिंग, फार्मिंग, सॉइल हेल्थ बायोलॉजी, लोकर बायोडायवर्सिटी, गोवंश के संरक्षण के साथ नस्ल सुधार जैसे कई आवश्यक वंशों को रखा जाएगा. ये गौशाला बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. जिससे ये गौशाला पूरे प्रदेश के लिए एक रोल मॉडल बनने की राह पर है. इस अभयारण्य में करीब पांच हजार से अधिक पौधे लगाए जाएंगे. ये गौ- अभयारण्य 12 सौ बीघा में तैयार हो रहा है. जिसके लिए जगह-जगह तालाब, टीनशेड और वॉच टावर बनाए गए हैं, जिससे गोवंश की निगरानी की जा सके.
गौ- अभयारण्य को लेकर एडीजीपी राजा बाबू का कहना है कि, देशी गायों का संरक्षण बेहद जरुरी है, जिसे देखते हुए गौ- अभयारण्य तैयार किया जा रहा है. जिससे गायों को संरक्षित किया जा सके, साथ ही लोगों को देशी गायों का दूध मिल सके. इस गौ- संरक्षण अभियान में सरकार ने कुल 43 ब्रीड को चिन्हित किया है. उन्होंने बताया कि, गायों की संख्या बढ़ने के चलते उन्हें शिफ्ट करने के लिए ये न्यू वृंदावन को गो एक मॉडल के रुप में विकसित किया जा रहा हैं.
क्या हैं गौ- अभयारण्य ?
गौ- अभयारण्य गौ- वंश विकास की एक नई परिकल्पना है, जहां गो- वंश मुक्त रूप से रह सकते हैं. गौ- अभयारण्य का उपयोग गाय के व्यवसाय के लिए नहीं किया जाता है. जमीनी मैदान अधिक होने से गाय वहीं विचरण करते हैं. साथ ही इनके लिए भूसे की व्यवस्था भी की जाती है. जिससे गाय सुरक्षित गौ- अभयारण्य में रहते हैं.
आज कल मूक पशुओं का शिकार करना शौक बन गया है. जो लागातर बढ़ते ही जा रहा है. जिसके चलते कई वन्य पशुओं की प्रजातियां नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है. भारत सरकार लगातार जानवरों और पालतू पशुओं को संरक्षित करने के लिए कई योजनाएं चला रही है. इस कारण उनके लिए कई जगहों पर अभयारण्य बनाए जा रहे हैं. उन अभयारण्यों में वन्य पशु निर्भय होकर धूम सकते है.