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एमपी उपचुनाव: दलित वोट साधने में जुटे लाल सिंह आर्य, कार्यकर्ताओं के साथ बैठकों का दौर जारी - दलित वोट

मध्य प्रदेश में होने वाले 28 विधानसभा उप चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद बीजेपी लगातार ग्वालियर चंबल अंचल में कमर कसे हुए हैं. यहीं कारण है कि अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं की लगातार बैठकें ले रहे हैं.

Lal Singh Arya, National President of Scheduled Castes
लाल सिंह आर्य, अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष
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Published : Oct 5, 2020, 3:29 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में होने वाले 28 विधानसभा उप चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद बीजेपी लगातार ग्वालियर चंबल अंचल में कमर कसे हुए हैं. यही वजह है कि अब ग्वालियर चंबल अंचल में 2018 विधानसभा चुनाव में जो दलित वोट कांग्रेस के खाते में गया था, बीजेपी अब अपनी ओर लुभाने में लगे हुये हैं. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ग्वालियर चंबल अंचल के बड़े दलित नेता लाल सिंह आर्य को अनुसूचित जाति का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है. अब खुद लाल सिंह आर्य दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं की लगातार बैठकें ले रहे हैं.

गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था और इसकी सबसे बड़ी प्रमुख वजह थी कि दलित वोट पूरी तरह कांग्रेस के खाते में गया था, क्योंकि उस समय ग्वालियर चंबल अंचल में दलित आंदोलन हुआ था. जिसमें दलित वर्ग शिवराज सरकार से काफी नाराज हुआ था और इसकी शिवराज सरकार को 2018 के चुनाव में भुगतना पड़ा. लिहाजा इस उपचुनाव में बीजेपी लगातार ग्वालियर चंबल अंचल में दलित वर्ग को साधने में लगी हुई है.

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में होने वाले 28 विधानसभा उप चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद बीजेपी लगातार ग्वालियर चंबल अंचल में कमर कसे हुए हैं. यही वजह है कि अब ग्वालियर चंबल अंचल में 2018 विधानसभा चुनाव में जो दलित वोट कांग्रेस के खाते में गया था, बीजेपी अब अपनी ओर लुभाने में लगे हुये हैं. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ग्वालियर चंबल अंचल के बड़े दलित नेता लाल सिंह आर्य को अनुसूचित जाति का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया है. अब खुद लाल सिंह आर्य दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं की लगातार बैठकें ले रहे हैं.

गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल अंचल में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था और इसकी सबसे बड़ी प्रमुख वजह थी कि दलित वोट पूरी तरह कांग्रेस के खाते में गया था, क्योंकि उस समय ग्वालियर चंबल अंचल में दलित आंदोलन हुआ था. जिसमें दलित वर्ग शिवराज सरकार से काफी नाराज हुआ था और इसकी शिवराज सरकार को 2018 के चुनाव में भुगतना पड़ा. लिहाजा इस उपचुनाव में बीजेपी लगातार ग्वालियर चंबल अंचल में दलित वर्ग को साधने में लगी हुई है.

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