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ग्वालियर में कोरोना मरीजों के लिए जेल बना सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, नहीं मिल रहीं सुविधाएं

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Published : Sep 10, 2020, 8:18 PM IST

कोरोना मरीज ने जयारोग्य अस्पताल के परिसर में करीब 165 करोड़ रुपए की लागत से बने सुपर-स्पेशलिटी की सुविधाओं के बारे में खुलासा किया है. इस खुलासे में बताया गया है कि, अस्पताल में कोरोना मरीजों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

Super Specialty Hospital of Jairogya Hospital Group
जयारोग्य अस्पताल समूह का सुपर स्पेशलिटी अस्पताल

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल समूह परिसर में करीब 165 करोड़ रुपए की लागत से बना सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल लोकार्पण के एक साल बाद कोरोना महामारी में मरीजों की पीड़ा हरने की जगह उनके लिए जेल साबित हो रहा है. दावों के भरोसे मरीज यहां आ तो जाता है, लेकिन बाद में जो दुश्वारियां सामने आती हैं, उनकी वजह से वो बाहर निकलने के लिए छटपटाता है, लेकिन निकल नहीं पाता. हालांकि जयारोग्य अस्पताल समूह के प्रशासक और संभागायुक्त एमबी ओझा व्यवस्थाओं के चुस्त-दुरुस्त होने का दावा करते हैं.

भिंड के एक बुजुर्ग का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया, तो परिजनों ने उन्हें जयारोग्य समूह के सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया. सोचा था कि, 165 करोड़ रुपए की लागत से बने इस असप्ताल में सारी सुविधाएं मिलेंगी और इलाज भी अच्छा होगा, लेकिन भर्ती होने के बाद मरीज ने बताया अस्पताल में उन्हें सुविधाएं मिलना तो दूर, डॉक्टर देखने भी बमुश्किल पहुंचते थे. महानगरीय सुविधाओं का दावा करने वाले इस अस्पताल में न ऑक्सीजन मिल पा रही थी, न ही दूसरी मेडिकल सुविधाएं दुरुस्त हैं.

टॉयलेट की हालत देख कर तो मरीज को नर्क लगने लगा, मरीज स्वस्थ होने की जगह ज्यादा बीमार होने लगे. उनसे मिलने परिजन नहीं आ सकते थे, न ही उन्हें डिस्चार्च कर दूसरे अस्पताल में जाने दिया जा रहा था. अस्पताल उन्हें जेल लगने लगा था. आखिर उन्होंने अपने मित्र वकील को फोन कर अपनी हालत बताई, जिसके बाद अदालत का सहारा लेकर वे सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल से बाहर निकाला गया और फिर एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए.

ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल समूह परिसर में करीब 165 करोड़ रुपए की लागत से बना सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल लोकार्पण के एक साल बाद कोरोना महामारी में मरीजों की पीड़ा हरने की जगह उनके लिए जेल साबित हो रहा है. दावों के भरोसे मरीज यहां आ तो जाता है, लेकिन बाद में जो दुश्वारियां सामने आती हैं, उनकी वजह से वो बाहर निकलने के लिए छटपटाता है, लेकिन निकल नहीं पाता. हालांकि जयारोग्य अस्पताल समूह के प्रशासक और संभागायुक्त एमबी ओझा व्यवस्थाओं के चुस्त-दुरुस्त होने का दावा करते हैं.

भिंड के एक बुजुर्ग का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया, तो परिजनों ने उन्हें जयारोग्य समूह के सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती कराया. सोचा था कि, 165 करोड़ रुपए की लागत से बने इस असप्ताल में सारी सुविधाएं मिलेंगी और इलाज भी अच्छा होगा, लेकिन भर्ती होने के बाद मरीज ने बताया अस्पताल में उन्हें सुविधाएं मिलना तो दूर, डॉक्टर देखने भी बमुश्किल पहुंचते थे. महानगरीय सुविधाओं का दावा करने वाले इस अस्पताल में न ऑक्सीजन मिल पा रही थी, न ही दूसरी मेडिकल सुविधाएं दुरुस्त हैं.

टॉयलेट की हालत देख कर तो मरीज को नर्क लगने लगा, मरीज स्वस्थ होने की जगह ज्यादा बीमार होने लगे. उनसे मिलने परिजन नहीं आ सकते थे, न ही उन्हें डिस्चार्च कर दूसरे अस्पताल में जाने दिया जा रहा था. अस्पताल उन्हें जेल लगने लगा था. आखिर उन्होंने अपने मित्र वकील को फोन कर अपनी हालत बताई, जिसके बाद अदालत का सहारा लेकर वे सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल से बाहर निकाला गया और फिर एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए.

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