ग्वालियर। कहते हैं जब मन में कुछ करने का जज्बा होता है तो हर काम आसान हो जाता है. ऐसा ही एक कहानी है ग्वालियर के एक पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की. दरअसल दिव्यांग एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह ने अपना एक हाथ गंवाने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी, और पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल किए हैं. पैरा एथलेटिक्स अजीत सिंह अब देश का नाम बढ़ाने के लिए दिन-रात तैयारियां करने में जुटे हुए हैं. और उनका सपना है कि वह आगे जाकर ओलंपिक में खेलकर देश का नाम रोशन करें.
एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह का सफर
दरअसल एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की कहानी कुछ ऐसी है कि 2017 में एक दिन अपने दोस्त की शादी से लौट रहे थे. उसी समय उनके साथ एक रेल हादसा हो गया. जिसमें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा. साल भर के आराम के बाद पैरा ओलंपिक एथलीट में शामिल होने की बात अपने कॉलेज सीनियर से कही. पहले तो सभी को उनकी बात पर आश्चर्य हुआ फिर सभी ने उनकी मदद के लिए ठान ली और सुबह शाम कड़ी मेहनत कर देश के नाम गोल्ड मेडल लाने में कामयाब रहे.
2019 में बीजिंग में मिला पहला गोल्ड मेडल
अजीत सिंह को पहला गोल्ड मई 2019 में बीजिंग में आयोजित पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हासिल हुआ, जबकि दूसरा मेडल दुबई में आयोजित वर्ल्ड पैराएथलीट चैंपियनशिप में हासिल किया. 2019 में पैरा एथलेटिक्स में जैवलिन थ्रो इवेंट में गोल्ड मेडल लाने की बात हो या फिर दुबई में आयोजित पैरावर्ल्ड एथलीट चैंपियनशिप में जैवलिन थ्रो गेम में मेडल हासिल करने की बात हो, अजीत ने हमेशा से ही देश का नाम रोशन किया है.
दुबई में मिला कांस्य पदक
दिव्यांग खिलाड़ी अजीत सिंह कई बार विश्व पटल पर देश के साथ-साथ जिले का नाम भी रोशन कर चुके हैं. दुबई में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अजीत ने भाला फेंक स्पर्धा में तीसरा स्थान प्राप्त कर कांस्य पदक हासिल किया था. जिसके बाद से अजीत की सफलता पर उनके परिवार समेत गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी.
एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह का संदेश
इन सबके बीच एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह का कहना है की परिस्थिति कैसे भी हो लोगों को हार नहीं माननी चाहिए, जो विषम परिस्थितियों में हार जाते हैं और हताश होकर घर बैठ जाते हैं वह जीवन में कुछ नहीं कर पाते हैं.
लोगों को हर परिस्थिति में पॉजिटिव होना चाहिए, पैरा एथलेटिक्स अजीत सिंह का कहना है कि अगर सरकार खिलाड़ियों की मदद करें तो देश और प्रदेश में कई ऐसी प्रतिभाएं हैं जो आगे जाकर देश का नाम रोशन कर सकते हैं, लेकिन उनको सरकार की मदद नहीं मिल पाती है और वह नीचे रह जाते हैं.