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नकली और घटिया मास्क की बाजार में आई बाढ़, देखिए ईटीवी भारत की ये पड़ताल... - Fake Mask case Gwalior

ग्वालियर की डीआरडीओ लैब में मास्क मैन्युफेक्चरर कंपनी के सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक करीब 50 फीसदी कंपनियों के मास्क पैमाने पर खरे नहीं उतरे हैं. बाजार में ज्यादातर नकली मास्क बेचे जा रहे हैं. देखें ये रिपोर्ट...

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Published : Aug 10, 2020, 8:18 PM IST

Updated : Aug 10, 2020, 8:24 PM IST

ग्वालियर। क्या आप कोरोना से बचने के लिए मास्क खरीदने जा रहे हैं ? अगर आपको एक असली और गुणवत्तायुक्त मास्क मिल जाए तो आप खुद को सौभाग्यशाली मान सकते हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में पता चला है कि देश में ऑफलाइन और ऑनलाइन बाजारों में अधिकतर मास्क कंपनियां सर्टिफिकेशन होने का झूठा दावा कर रहीं हैं. इस बारे में ग्राहकों को कम जानकारी होने के कारण और किसी उचित सरकारी निगरानी के अभाव में बड़ी ही बेशर्मी से कई मास्क मैन्यूफेक्चरर महामारी का फायदा उठा रहे हैं. जिससे बाजार में नकली मास्क और निम्न गुणवत्ता वाले मास्क की बाढ़ आ गई है. लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि कौन से मास्क असली हैं और कौन से नकली.

नकली मास्क की भरमार

ज्यादातर कंपनियों के नमूने फेल

देशभर में संक्रमण से बचाव के लिए तैयार हो रहे मास्क का परीक्षण ग्वालियर की डीआरडीओ लैब में किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 3 महीने में मास्क बनाने वाली 809 कंपनियों के नमूने का परीक्षण किया गया है. जिसमें 483 कंपनियों के नमूने फेल हो गए हैं. महज 326 कंपनियों के नमूने ही लैब में मानकों पर खरे उतर पाए हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि बाजार में अलग-अलग कंपनी और डिजाइन के बेचे जाने वाले मास्क लोगों के लिए कितने सुरक्षित हैं.

देशभर में करीब एक हजार से ज्यादा ऐसी कंपनियां हैं, जो अपने स्तर पर मास्क तैयार कर रहीं हैं. लेकिन इनमें से आधे से अधिक कंपनियों के मास्क बिना परीक्षण के ही मार्केट में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं. इसलिए देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के लिए एक कारण ये नकली मास्क भी माने जा सकते हैं.

एक्सपर्ट्स की राय

एक्सपर्ट कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबसे कारगर मास्क N95 है. लेकिन बाजार में इसके वर्जन देखकर ग्राहकों का सिर चकरा रहा है. उन्हें समझ नहीं आता कि आखिर वे कैसे एक सही मास्क का चयन करें.

साथ ही ऐसी सामान्य प्रक्रिया भी मौजूद नहीं है कि इन नकली मास्क की पहचान आसानी से की जा सके. मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इस पर चिंता जाहिर की है. एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 60 फीसदी नकली मास्क बेचे जा रहे हैं.

क्या होते हैं N95 मास्क

N95 अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ (NIOSH) नाम की संस्था द्वारा मास्क के लिए सेट किया गया स्टेंडर्ड हैं. ये संस्था मास्क को तेल और पार्टिकल को फिल्टर करने की रेजिस्टेंस क्षमता के अनुसार सर्टिफिकेशन देती है. इसके अनुसार N95 में 'N' लेटर बताता है कि वो रेस्पिरेटर तेल को नहीं रोक पाता है. साथ ही '95' बताता है कि वो 95 फीसदी हवा के पार्टिकल्स को रोक पाता है. केवल वह फेसमास्क जो अमेरिका की NIOSH संस्था के N95 क्लासिफेशन के पैमाने पर खरे उतरते हैं, उन्हें ही N95 रेस्पिरेटर का सर्टिफिकेशन दिया जाता है. ये भारत के BIS FFP2 स्टैंडर्ड के बराबर है.

ग्वालियर। क्या आप कोरोना से बचने के लिए मास्क खरीदने जा रहे हैं ? अगर आपको एक असली और गुणवत्तायुक्त मास्क मिल जाए तो आप खुद को सौभाग्यशाली मान सकते हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में पता चला है कि देश में ऑफलाइन और ऑनलाइन बाजारों में अधिकतर मास्क कंपनियां सर्टिफिकेशन होने का झूठा दावा कर रहीं हैं. इस बारे में ग्राहकों को कम जानकारी होने के कारण और किसी उचित सरकारी निगरानी के अभाव में बड़ी ही बेशर्मी से कई मास्क मैन्यूफेक्चरर महामारी का फायदा उठा रहे हैं. जिससे बाजार में नकली मास्क और निम्न गुणवत्ता वाले मास्क की बाढ़ आ गई है. लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि कौन से मास्क असली हैं और कौन से नकली.

नकली मास्क की भरमार

ज्यादातर कंपनियों के नमूने फेल

देशभर में संक्रमण से बचाव के लिए तैयार हो रहे मास्क का परीक्षण ग्वालियर की डीआरडीओ लैब में किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले 3 महीने में मास्क बनाने वाली 809 कंपनियों के नमूने का परीक्षण किया गया है. जिसमें 483 कंपनियों के नमूने फेल हो गए हैं. महज 326 कंपनियों के नमूने ही लैब में मानकों पर खरे उतर पाए हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि बाजार में अलग-अलग कंपनी और डिजाइन के बेचे जाने वाले मास्क लोगों के लिए कितने सुरक्षित हैं.

देशभर में करीब एक हजार से ज्यादा ऐसी कंपनियां हैं, जो अपने स्तर पर मास्क तैयार कर रहीं हैं. लेकिन इनमें से आधे से अधिक कंपनियों के मास्क बिना परीक्षण के ही मार्केट में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं. इसलिए देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के लिए एक कारण ये नकली मास्क भी माने जा सकते हैं.

एक्सपर्ट्स की राय

एक्सपर्ट कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सबसे कारगर मास्क N95 है. लेकिन बाजार में इसके वर्जन देखकर ग्राहकों का सिर चकरा रहा है. उन्हें समझ नहीं आता कि आखिर वे कैसे एक सही मास्क का चयन करें.

साथ ही ऐसी सामान्य प्रक्रिया भी मौजूद नहीं है कि इन नकली मास्क की पहचान आसानी से की जा सके. मेडिकल एक्सपर्ट्स ने इस पर चिंता जाहिर की है. एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 60 फीसदी नकली मास्क बेचे जा रहे हैं.

क्या होते हैं N95 मास्क

N95 अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ (NIOSH) नाम की संस्था द्वारा मास्क के लिए सेट किया गया स्टेंडर्ड हैं. ये संस्था मास्क को तेल और पार्टिकल को फिल्टर करने की रेजिस्टेंस क्षमता के अनुसार सर्टिफिकेशन देती है. इसके अनुसार N95 में 'N' लेटर बताता है कि वो रेस्पिरेटर तेल को नहीं रोक पाता है. साथ ही '95' बताता है कि वो 95 फीसदी हवा के पार्टिकल्स को रोक पाता है. केवल वह फेसमास्क जो अमेरिका की NIOSH संस्था के N95 क्लासिफेशन के पैमाने पर खरे उतरते हैं, उन्हें ही N95 रेस्पिरेटर का सर्टिफिकेशन दिया जाता है. ये भारत के BIS FFP2 स्टैंडर्ड के बराबर है.

Last Updated : Aug 10, 2020, 8:24 PM IST
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