ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बीएससी नर्सिंग कोर्सेस की परीक्षाओं पर रोक लगा दी है. यह फैसला इन परीक्षाओं को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए दिया गया है. खास बात यह है कि ये परीक्षाएं मंगलवार से शुरू होनी थीं. इनमें प्रदेश के सौ से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों के कई हजार परीक्षार्थी शामिल होने वाले थे.
गलत तरीके से मान्यता हासिल करने का मामला: मामला नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता से जुड़ा है. दरअसल, कुछ कॉलेजों ने सत्र 2019-20 और 2021-22 के लिए जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से इसी साल जनवरी में मान्यता हासिल की थी. विश्वविद्यालय अधिनियम में प्रावधान है कि पुराने सत्र के लिए मान्यता 3-4 साल बाद नहीं दी जा सकती है. इसके बावजूद इन कॉलेजों के संचालकों ने मेडिकल यूनिवर्सिटी से सांठगांठ कर मान्यता प्राप्त कर ली थी.
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पुराने सत्र की संबद्धता नए सत्र में देना अनुचित: इस फैसले को ग्वालियर के अधिवक्ता दिलीप शर्मा ने जनहित याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने इसे गंभीर त्रुटि माना और नर्सिंग परीक्षाओं पर रोक लगा दी. जस्टिस रोहित आर्य और मिलिंद रमेश फड़के की बेंच ने पुराने सत्र की संबद्धता नए सत्र में देने को अनुचित माना और नर्सिंग काउंसिल को ये परीक्षाएं निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए.
बिना इंस्पेक्शन नर्सिंग काउंसिल ने दी मान्यता: जांच के दौरान सामने आया कि संबंधित कॉलेज संचालकों ने सत्र 2019-20 और 2021-22 के लिए संबद्धता का आवेदन पिछले साल जुलाई में दायर किया था. कोढ़ में खाज यह है कि इन नर्सिंग कॉलेजों में छात्रों का नामांकन, प्रैक्टिकल और थ्योरी का इंस्पेक्शन किए बिना ही नर्सिंग काउंसिल द्वारा आनन-फानन में मान्यता दे दी गई थी.