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जर्जर इमारतों में कोई हादसा हुआ, तो निगम कमिश्नर होंगे जिम्मेदार- हाईकोर्ट

ग्वालियर हाईकोर्ट ने जर्जर इमारतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर अब सीधे तौर पर निगम कमिश्नर की जिम्मेदारी तय की है और कहा है की, 2 मार्च तक शहर के किसी भी जर्जर मकान में कोई हादसा होता है, तो निगम कमिश्नर सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार होंगे.

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Published : Feb 26, 2020, 11:54 PM IST

high court said about dilapidated buildings
जर्जर इमारतों में कोई हादसा हुआ तो निगम कमिश्नर होंगे जिम्मेदार-हाईकोर्ट

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नगर निगम अधिनियम में प्रावधान के बावजूद जर्जर इमारतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर अब सीधे तौर पर निगम कमिश्नर की जिम्मेदारी तय की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि 2 मार्च तक यदि शहर के किसी भी जर्जर मकान में कोई हादसा होता है, तो कमिश्नर व्यक्तिगत रूप से इसके जिम्मेंदार होंगे.

जर्जर इमारतों में कोई हादसा हुआ तो निगम कमिश्नर होंगे जिम्मेदार-हाईकोर्ट

दरअसल एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि, नगर निगम अधिनियम की धारा 409 और 410 में स्पष्ट प्रावधान है कि वो जर्जर और कंडम हो चुकी इमारतों को जमींदोज करे, ताकि कोई जनहानि ना हो. बावजूद इसके शहर के करीब 3 सौ मकान ऐसे हैं, जहां कभी भी हादसा हो सकता है, लेकिन नगर निगम प्रशासन ने ऐसे मकानों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

इस पर हाईकोर्ट ने नगर निगम से जवाब-तलब किया था और नगर निगम ने जवाब देने के लिए समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने 2 मार्च तक का समय देते हुए कहा है कि, यदि इस बीच कोई जर्जर मकान में घटना होती है, तो निगम कमिश्नर सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार होंगे. गौरतलब है कि निजी संपत्तियों के अलावा कई ऐसी संपत्तियां सरकारी हैं, जो जर्जर और कंडम घोषित हो चुकी हैं, लेकिन वहां अभी भी सरकारी कार्यालय स्कूल कॉलेज चल रहे हैं.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नगर निगम अधिनियम में प्रावधान के बावजूद जर्जर इमारतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर अब सीधे तौर पर निगम कमिश्नर की जिम्मेदारी तय की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि 2 मार्च तक यदि शहर के किसी भी जर्जर मकान में कोई हादसा होता है, तो कमिश्नर व्यक्तिगत रूप से इसके जिम्मेंदार होंगे.

जर्जर इमारतों में कोई हादसा हुआ तो निगम कमिश्नर होंगे जिम्मेदार-हाईकोर्ट

दरअसल एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि, नगर निगम अधिनियम की धारा 409 और 410 में स्पष्ट प्रावधान है कि वो जर्जर और कंडम हो चुकी इमारतों को जमींदोज करे, ताकि कोई जनहानि ना हो. बावजूद इसके शहर के करीब 3 सौ मकान ऐसे हैं, जहां कभी भी हादसा हो सकता है, लेकिन नगर निगम प्रशासन ने ऐसे मकानों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है.

इस पर हाईकोर्ट ने नगर निगम से जवाब-तलब किया था और नगर निगम ने जवाब देने के लिए समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने 2 मार्च तक का समय देते हुए कहा है कि, यदि इस बीच कोई जर्जर मकान में घटना होती है, तो निगम कमिश्नर सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार होंगे. गौरतलब है कि निजी संपत्तियों के अलावा कई ऐसी संपत्तियां सरकारी हैं, जो जर्जर और कंडम घोषित हो चुकी हैं, लेकिन वहां अभी भी सरकारी कार्यालय स्कूल कॉलेज चल रहे हैं.

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