ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक महिला को लेकर लगाई गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को ना सिर्फ खारिज कर दिया है, बल्कि याचिका दायर करने वाले उसके बेटे पर 5 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है. दरअसल जनक गंज थाना क्षेत्र में रहने वाले प्रदीप विश्वकर्मा ने अपनी मां के 20 नवंबर 2020 से गायब होने का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी. इससे पहले उसने संबंधित पुलिस थाने में भी अपनी मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दायर की थी, लेकिन पुलिस ने इस गुमशुदगी पर कोई कार्रवाई नहीं की तो उसने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की.
प्रदीप विश्वकर्मा का कहना है कि उसकी मां को कोई बहला फुसला कर घर के जेवर और 20000 रुपए के साथ अगवा कर ले गया है. प्रदीप का यह भी आरोप था कि उसकी मां को किसी ने कैद कर रखा हुआ है. कोर्ट ने इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की गंभीरता देखते हुए पुलिस को निर्देशित किया था कि वह इस महिला को कहीं से भी बरामद कर कोर्ट में पेश करे. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बाद पुलिस सक्रिय हुई और महिला की खोजबीन शुरू की.
महिला ने बताई मामले की हकीकत
पुलिस की तलाश के बाद गायब महिला दतिया के पास के ही एक इलाके में मजदूरी करती हुई मिली. पुलिस ने जब महिला को कोर्ट में पेश किया तो उसने बताया कि उसका बेटा उसे ढंग से रखता नहीं था बल्कि प्रताड़ित करता था. इसके चलते वो खुद ही स्वेच्छा से अलग रहने के लिए चली गई थी और वहां मेहनत मजदूरी कर अपना गुजर-बसर कर रही थी.
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इस पर कोर्ट ने बेटे द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया और उसके बेटे के खिलाफ 5000 रुपए के जुर्माने के भी निर्देश दिए. कोर्ट का कहना था कि बेटे प्रदीप विश्वकर्मा ने वास्तविक तथ्यों को छुपाया है और कोर्ट का कीमती वक्त जाया किया है इसलिए उस पर अर्थदंड की कार्रवाई बनती है.