ग्वालियर। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 5 दिसंबर को अपना ग्वालियर दौरा निरस्त कर दिया है. इस दौरान 5 दिसंबर को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मेले का उद्घाटन करने वाले थे, लेकिन इस उद्घाटन से सीएम शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने दूरी बना ली. इसी गुटबाजी के चलते सिंधिया ने अपने दौरे और मेले के उद्घाटन को निरस्त कर दिया है.
सीएम,तोमर और सखलेचा के आने पर था सस्पेंस: कल यानि की 5 जनवरी को उदघाटन होना था, लेकिन आज तक इसके आमंत्रण पत्र ही नहीं छप सके हैं. इसकी वजह है सिंधिया के अलावा बाकी गेस्ट का तय न हो पाना. मेले के उदघाटन समारोह में सामान्यता मुख्यमंत्री, उद्योगमंत्री और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आते रहे हैं, लेकिन अभी तक सीएम सहित इन नेताओं का कोई कार्यक्रम नहीं आया था. इस मेले के उद्घाटन में सिर्फ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद रहने वाले थे. बताया जा रहा था कि वर्चुअल तरीके से सीएम शिवराज, तोमर और सकलेचा भी जोड़ने वाले थे.
जिला प्रशासन ले चुका था तैयारियों का जायजा: जिला प्रशासन ने मेले के उदघाटन की तैयारियों को लेकर मेला प्राधिकरण के साथ बैठक कर तैयारियों का जायजा लिया था. वहीं मेला प्राधिकरण के सचिव का कहना था कि मेला उद्घाटन 5 जनवरी होने की जानकारी विभाग से उनके पास आ गई है और उन्होंने तैयारियां शुरू कर दी है. सर्दी को देखते हुए इंडोर ऑडिटोरियम में रंगाई पुताई का काम भी शुरू हो गया है, लेकिन मेले के उद्घाटन से 1 दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने दौरे को निरस्त कर दिया और अब मेले का उद्घाटन भी निरस्त हो गया है.
मेले के उद्घाटन में सियासी साया: बता दें मेले में वाहन बिक्री पर राज्य शासन ने 50 फीसदी रजिस्ट्रेशन फीस माफ करने की छूट देने के आदेश जारी कर दिए हैं. मेले का उदघाटन 25 दिसम्बर को होना था, लेकिन सत्ताधारी नेताओं में आपस में व्याप्त गुटबाजी के चलते इस पर कोई पहल ही नहीं हो सकी और मेला चालू भी हो गया. इस बीच नेताओं में कलह भी सामने आने लगी. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया को अपना एक टूर प्रोग्राम भेजा. जिसमें पांच जनवरी की शाम को मेले के उदघाटन का उल्लेख था. मजेदार बात ये है कि इसकी जानकारी मेले के आयोजक उद्योग विभाग के मंत्री को ही नहीं थी. जब 5 जनवरी को मेले के उदघाटन को लेकर भोपाल में मीडिया ने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी कोई तारीख तय नहीं है. दो जनवरी को फिर उनसे पूछा तो वे बोले अभी राज्य शासन से कोरोना गाइडलाइन को लेकर मार्गदर्शन ले रहे हैं. जबकि यहां प्रशासन ने उदघाटन की तैयारियां पूरी कर ली थी और कल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के द्वारा मेले का उद्घाटन होना था, लेकिन बीजेपी की गुटबाजी के कारण मेले के उद्घाटन को नष्ट कर दिया गया है.कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कहा है कि अब 5 तारीख को मेले का उद्घाटन नहीं किया जाएगा. साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का दौरा भी निरस्त हो गया है. अब जैसे ही सूचना आएगी. उसी दौरान मेले के उद्घाटन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.
इस बार न पशु मेले और कुश्ती का आयोजन नहीं: कोरोना काल के चलते दो वर्ष तक मेला नहीं लग सका था, जबकि पिछली बार मेला लगने की शुरूआत भी हो गई थी, लेकिन फिर से कोरोना संक्रमण के बादल छाने से बीच में ही इसे बन्द करना पड़ा था. इस बार स्वास्थ्य की दृष्टि से स्थितियां अनुकूल थी, इसलिए लगा था कि इस बार मेला और भव्य तरीके से लगेगा, लेकिन सत्ताधारी पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी के चलते इसके लिए आयोजन समिति ही नहीं बन पाई. नतीजा ये निकला कि जब तक मेला लगेगा, यह घोषणा हो पाई तब तक तैयारी का समय ही निकल गया. इस बार न तो पशु मेले का आयोजन हो सका और न ही कुश्ती के आयोजन के लिए पहलवान ही मिल सके.
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कांग्रेस बोली बीजेपी में गुटबाजी: पांच जनवरी को उदघाटन होना है, लेकिन आज तक इसके आमंत्रण पत्र ही नहीं छप सके हैं. इसकी वजह है सिंधिया के अलावा बाकी गेस्ट का तय न हो पाना. मेले के उदघाटन समारोह में सामान्यता मुख्यमंत्री, उद्योगमंत्री और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर आते रहे हैं, लेकिन अभी तक सीएम सहित इन नेताओं का कोई कार्यक्रम नहीं आया है. अब कोशिश हो रही है कि सीएम इस समारोह में वर्चुअली ही जुड़ जाएं. जिला प्रशासन ने मेले के उदघाटन की तैयारियों को लेकर मेला प्राधिकरण के साथ बैठक कर तैयारियों का जायजा लिया. वहीं इस कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस भी गुटबाजी का आरोप लगा रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि कल मेले का उद्घाटन हो रहा है और मध्य प्रदेश के सूक्ष्म लघु उद्योग मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा को जानकारी ही नहीं है. ग्वालियर में गुटबाजी इतनी हावी है कि कल ज्योतिरादित्य सिंधिया इसका उद्घाटन करेंगे और इस उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे और ना ही स्थानीय बड़े मंत्री मौजूद रहेंगे.