ग्वालियर। ग्वालियर मेले का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा कि यह मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है. इसे आगे बढ़ने का कर्तव्य हम सबका है. कई सालों से ग्वालियर व्यापार मेला ने मनोरंजन और हमारी संस्कृति धरोहर को सहेज कर रखा है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने सिंधिया परिवार की तारीफ की. कहा कि सिंधिया परिवार के मुखिया रहे माधो महाराज ने उज्जेन को राजधानी बनाई थी और 1812 में ग्वालियर आई. इसलिए हमारा (सिंधिया) आपका रिश्ता कुछ अलग से भी है. इस दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित कई नेता मौजूद रहे.
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ग्वालियर व्यापार मेला का उद्घाटन
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सिंधिया परिवार की तारीफ : सीएम ने कहा कि अगर उज्जैन को बदलने का स्वरूप किसी को जाता है तो उसमें माधो महाराज हैं. बता दें कि सन् 1905 में शुरू किया गया एक मेला, जिसमें पशुओं की खरीदी एवं बिक्री की जाती थी, वह अब देश का सबसे बड़ा व्यापारिक मेला बन चुका है. ग्वालियर व्यापार मेले को लगभग 119 वर्ष बीत चुके हैं. व्यापार मेले की शुरुआत तत्कालीन महाराज माधोराव सिंधिया में लगभग 105 में की थी. उस समय इस मेले में आसपास के किसान, पशु व्यापारी चरवाहे आदि पालतू पशुओं की खरीदी और बिक्री के लिए आते थे. धीरे-धीरे जब इस मेले की ख्याति और पशुओं की अच्छी नस्ल की चर्चा आसपास के राज्यों में भी होने लगी तो आसपास की रियासतों की व्यापारी भी अच्छे पशुओं की तलाश में इस मेले में आने लगे.
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एक शताब्दी पूरी कर चुका मेला : ग्वालियर मेला केवल व्यापार ही नहीं बल्कि कई राजनीतिक और ऐतिहासिक पहलुओं का भी साक्षी रहा है. आज यह व्यापार मेला एशिया के सबसे बड़े व्यापारिक मेले में तब्दील हो चुका है. ग्वालियर के रेस्क्रोस रोड के किनारे के किनारे लगभग 104 एकड़ की भूमि मैदान पर लगने वाला यह मेला बहुत ही विशाल है. जिसे मेला अवधि के दौरान कई सेक्टर में विभाजित कर दिया जाता है. इस दौरान प्रमुख और आकर्षण के केंद्र होते हैं. झूला सेक्टर, ऑटोमोबाइल सेक्टर, इलेक्ट्रोनिक सेक्टर, शिल्पकारी, खाने पीने का सेक्टर घर की सामान खरीदी का सेक्टर, पशु संबंधी सेक्टर आदि विभिन्न सेक्टर में इसे विभाजित कर दिया जाता है.