ग्वालियर। कथा के अनुसार मुरैना गांव तक भगवान श्री कृष्ण गाय चराने आते थे. यहां के लोग श्रीकृष्ण को दाउ के नाम से पुकारते थे. इसलिए मुरैना गांव के श्रीकृष्ण के मंदिर को दाउ मंदिर के नाम से पहचाना जाता है. इस दौरान चंबल अंचल ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलग-अलग इलाको से लोग यहां पहुंचते हैं.
भगवान श्री कृष्ण ने किया था वादा : दरअसल, श्रीकृष्ण के मित्र गोपराम स्वामी की तपस्या और प्रार्थना से खुश हो कर उन्हें भगवान से यह वादा किया कि वह वर्ष में साढे तीन दिन अपने सका गोपराम स्वामी के साथ रहेंगे और तब से गोपराम स्वामी के साथ भगवान श्रीकृष्ण साढे तीन दिन के लिए द्वारिकाधाम से मुरैना गांव स्थित दाऊजी मंदिर पर रहने आते हैं. इस दौरान साढ़े तीन दिन द्वारिकाधाम के मंदिर के पट बंद रहते हैं और भगवान द्वारिकाधीश श्री कृष्ण के दर्शन मुरैना में अपने भक्तो को होते हैं.
पांच दिवसीय लीला मेला का आयोजन : कार्तिक मास में दीपावली की पढवा के दिन से मुरैना गांव में पांच दिवसीय लीला मेला का आयोजन किया जाता है. इस मेले का नाम लीला मेला इसलिए है क्योकि यहां पांच दिन तक भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओ का बालस्वरूपों से मंचन कराया जाता है. ग्रामीण किसानों की दैनिक जरूरतों का सामान भी मिलता है. इसके अलावा परम्परागत खेल जैसे घुड़दौड़, ऊंटदौड़, लोकगीत गायन और वादन प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. जिले और समूचे अंचल में दाऊजी मंदिर के प्रति अगाध श्रृद्धा है. यही कारण है कि यहां लोग अपने बच्चों के सम्बध तक तय करते हैं. लोगों की मान्यता है कि यहा संबंध तय होते हैं तो दाम्पत्य जीवन निर्विवाद और सुखमय व्यतीत होता है. (Shree krishna stay three days) (Shree krishna stay Chambal village)